सन्तन को बस सीकरी सो काम:मध्यप्रदेश में राजनीतिक दलों से ज्यादा बाबाओं के दल

खरी-खरी            Oct 30, 2018


 अरूण दीक्षित।
किस्सा पंद्रहबी शताव्दी का है।बृज क्षेत्र के रहने वाले गृहस्थ संत और कवि कुम्भनदास को सम्राट अकबर बुलाबा भेजा।कहा जाता है कि अकबर कुम्भनदास के लेखन से बहुत प्रभावित था। लेकिन कुम्भनदास अकबर के बुलाबे पर नही गये।बल्कि उन्होंने एक पत्र भेज दिया। इस पत्र में लिखा था-
संतन को कहा सीकरी सो काम
आवत जात पनहियां टूटी
बिसरि गयो हरिनाम
जिनको मुख देखे दुख उपजत
तिनको करिबे परइ सलाम
कुम्भनदास लाल गिरिधर बिनु
और सबै वेकाम....

इसके साथ ही उन्होंने अकबर का प्रस्ताव ठुकरा दिया था।लेकिन वो जमाना और था और आज कुछ और हवा चल रही है। इनदिनों मध्यप्रदेश में सन्त सिर्फ "सीकरी" के चक्कर में उलझे नजर आ रहे हैं।विधानसभा चुनाव के चक्कर में संत-महात्मा,बाबा और कथावाचक सभी सत्ता की सीकरी का स्वाद चखने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं।हालत यह है कि सन्त भी कांग्रेस और बीजेपी के खेमो में बंट गए हैं।कुछ संत मुख्यमंत्री का भोंपू बजाते घूम रहे हैं तो कुछ उनके कर्मो की कुंडली वांच रहे है।

एक कथित संत ने तो आज अपनी पार्टी बना कर प्रदेश में 50 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।

गुरुशरण उर्फ पंडोखर महाराज दतिया जिले के पंडोखर गांव के निवासी हैं। वे गृहस्थ हैं। एक पत्नी छोड़ के दूसरी शादी की है। उनका राजनीतिक अनुभव यह है कि वे अपने गांव के उप सरपंच रहे हैं।इनकी खासियत यह है कि कुछ साल पहले तक इनके आसपास खूब जमाबड़ा लगता था। दो शादियां करने के बाद भी खुद को हनुमान भक्त बताते हैं।उन्होंने अपनी पार्टी का नाम सांझी विरासत रखा है।

पत्रकारों के सामने पार्टी का ऐलान करने के बाद पंडोखर सरकार न तो मुद्दे गिना पाए और न यह बता पाए कि इनका खर्च कौन उठाएगा। हां उन्होंने सपाक्स पार्टी द्वारा उठाये जा रहे कुछ मुद्दों का जिक्र जरूर किया।

उधर एक जमाने में शिवराज सिंह के मुरीद रहे कम्प्यूटर बाबा आजकल उनके खिलाफ मुहिम चला रहे हैं।शिवराज के द्वारा दिये गए राज्यमंत्री के दर्जे को ठोकर मारकर कम्प्यूटर बाबा अब शिवराज की कुंडली वांचते प्रदेश में घूम रहे हैं। उन्होंने आज वही ग्वालियर में एक बड़ा सन्त सम्मेलन किया।इस सम्मेलन में उन्होंने शिवराज की जमकर बखिया उधेड़ी!कम्प्यूटर बाबा नर्मदा संरक्षण, बृक्षारोपण और अवैध खनन के मुद्दों पर शिवराज को घेर रहे हैं।

उधर बाबा को मनाने नाकामयाब रहे शिवराज ने बाबाओं में ही फूट डलबा दी।पिछले सप्ताह जब कम्प्यूटर बाबा ने उनके खिलाफ इंदौर में हुंकार भरी तो बाबाओं का एक गुट एक दिन पहले ही शिवराज को आशीष देने भोपाल पहुंच गया।शिवराज इन सन्तो के सम्मेलन में शामिल हुये और पूरी विनम्रता से "आशीर्वाद"ग्रहण किया।

अगले ही दिन कम्प्यूटर बाबा के एक अन्य विरोधी बाबा अखिलेश्वरानंद ने कंप्यूटर बाबा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। शिवराज सिंह द्वारा दिये गए कैबिनेट मंत्री के दर्जे से विभूषित अखिलेश्वरानंद इस समय कंप्यूटर बाबा को कोसते घूम रहे हैं।

यही नहीं कंप्यूटर बाबा के साथ राज्यमंत्री का दर्जा पाने बाले योगेंद्र महंत भी अब उनके खिलाफ पूरे प्रदेश में मुहिम चलाने बाले हैं। योगेंद्र महंत ने कंप्यूटर बाबा के साथ शिवराज की नर्मदा यात्रा की पोल खोलने की मुहिम शुरू की थी।इसी बजह से उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा मिल गया था। वैसे वे कांग्रेसी थे,फिलहाल शिवराज के लिये जुटे हुए हैं।

कंप्यूटर बाबा के दवाब के बीच बीजेपी ने एक और हाथ मारा है।उसने दो दिन पहले विदिशा की उस युवा साध्वी को अपने साथ ले लिया है जिन्होंने पिछले चुनाव में कांग्रेस के लिये प्रचार किया था।

यही नही इन दिनों मठ मंदिरों से जुड़े महंत और बाबा लोग भी सरकार के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं।

एक दिन सरकार के विरोधी बाबा इकठ्टे होते हैं तो दूसरे दिन बड़ी संख्या में शिवराज को आशीर्वाद देने बाबा भोपाल आ जाते हैं।

यहां यह भी बता दें कि कांग्रेस के समर्थक माने जाने बाले शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती भी मध्यप्रदेश के ही हैं।वह खुलेआम बीजेपी सरकारों की आलोचना करते रहते हैं।

फिलहाल हालात यह हैं कि मध्यप्रदेश में राजनीतिक दलों से ज्यादा बाबाओं के दल बन गए हैं।सभी किसी न किसी रूप में "सीकरी" के चक्कर में उलझे हुये हैं।आज अगर कुम्भनदास होते तो बाबाओं की हालत देख शायद यही लिखते----सन्तन को बस सीकरी सो काम।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं

 



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