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मुस्कुराइए आपके प्रजातान्त्रिक देश की कमान खानदानों के हाथ में है

खरी-खरी            Jan 24, 2019


ममता यादव।
वो इंडियन आईडल का शो था। महीनों कड़ी प्रतियोगिता का सामना करते हुए कोई 5-6 प्रतिभागी बचे थे। जज नेहा कक्कड़ जैसी प्रतिभाएं थीं जो इसी मंच से यहां तक पहुंची थीं।

फिर एक दिन फ़िल्म प्रमोशन के लिये टीम आती है। जिसकी हीरोइन हैं नवाब पटौदी की पोती और सैफ अली खान की बेटी।

हर प्रतिभागी के प्रदर्शन के बाद सारा से उनके परफॉर्मेंस पर राय मांगी जा रही थी प्राथमिकता से हाथों हाथ लिया जा रहा था उन्हें। दूसरे रियलिटी शोज में भी हुआ।

एक तरफ संघर्ष से मेहनत करते हुए जगह बनाते लोग थे तो दूसरी ओर इस तरह के लोग जिनका नाता किसी न किसी पुश्तैनी खानदान से है। जो पहली ही फ़िल्म के साथ हाथों हाथ लिए जाते हैं और सर चड़ाए जाते हैं।

वंशवाद को दोष देने से पहले सोच लीजिये इसे पोषित करने और बढ़ाने का काम कर कौन रहा है। ज्योतिरादित्य का अनुभव प्रियंका से ज्यादा है मगर आज बराबरी पर ही खड़े हैं। दो दिन पहले की गई एक पोस्ट पर सत्येंद्र पांडे का कमेंट याद आ गया दरी बिछाने उठाने वालों, जिन्दाबाद मुर्दाबाद के नारे लगाने वालों का कुछ हो भी नहीं सकता क्योंकि ये मानसिक गुलाम हैं। वंशवाद का विरोध कौन सी पार्टी किस मुंह से करेगी?

लोकतंत्र तो नाम का है सरकार और देश तो आज भी इंग्लैंड के तरीके से ही चल रहा है। अखबारों को देखकर लग रहा है ऐतिहासिक घटना हो गई। प्रियंका 6 कालम ज्योतिरादित्य 1 कालम में। मुस्कुराइए आप प्रजातान्त्रिक देश के नागरिक हैं जिसकी बागडोर खानदानों के हाथ में है।

 



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