Breaking News

उन्हें सिर्फ भीड़ की ज़रूरत है ! महान नेता वही होता है जो इतिहास की धारा को मोड़ दे

खरी-खरी            May 11, 2018


राकेश कायस्थ।
जनसभा में जनप्रिय प्रधानमंत्री ने हाथ उठाकर पूछा— बताइये भाइयों-बहनों क्या कोई कांग्रेसी नेता भगत सिंह और उनके साथियों से जेल में मिलने गया था? सवाल सुनते ही एहसास हुआ कि मेरा भारत फिर से सोने की चिड़िया बन चुका है।

अब यहां गली-गली में तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय हैं, जिनसे निकलकर लाखों इतिहासकार सीधे मोदीजी की रैली में आ रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने सवाल फिर दोहराया— मैंने जितना इतिहास पढ़ा है, मुझे पता है कि कोई नहीं गया था। आप बताइये भाइयों—बहनों कुछ गलत हूं तो मुझे सही कीजिये।

समझ में नहीं आता कि मोदीजी ने इतना लोड क्यों लिया? लालकृष्ण आडवाणी जैसे पढ़े लिखे नेता अब भी पार्टी में हैं और उपर वाले की मेहरबानी से सेहतमंद भी हैं। उनसे जाकर पूछ लेते।

अगर आडवाणी से आंख मिलाने में शर्म आ रही थी तो सुषमा स्वराज से पूछ लेते, काफी पढ़ी-लिखी नेता हैं। मातहत भी हैं, बात एकदम गोपनीय रहती।

लेकिन देश के प्रधानमंत्री को ना आडवाणी की ज़रूरत है, ना सुषमा स्वराज की। उन्हें सिर्फ भीड़ की ज़रूरत है। भीड़ ने मोदीजी के इतिहास ज्ञान पर तुरंत मुहर लगा दी पंचम स्वर में `नहीं’ बोलकर।

देवताओं ने आसमान से फूल जरूर बरसाये होंगे, टीवी कैमरे पर नज़र नहीं आये वह अलग बात है।

जब भीड़ जब इस बात का अनुमोदन तत्काल कर सकती है कि नेहरू या कोई कांग्रेसी नेता भगत सिंह से मिलने नहीं गया था, तो फिर भीड़ यह क्यों नहीं मान सकती कि मोदीजी ज़रूर गये होंगे।

बैक डेट से डिग्री बनवाई जा सकती है तो बैक डेट से महापुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आजादी की लड़ाई में शिरकत क्यों नहीं की जा सकती है? महान नेता वही होता है जो इतिहास की धारा को मोड़ दे।

नेता मोदीजी जैसा महान हो तो इतिहास को पीछे भी ले जा सकता है और रैली में मौजूद अपने इतिहासकारों की मदद से तथ्यो में पर्याप्त संशोधन भी करवा सकता है।

कर्नाटक की रैलियों में प्रधानमंत्री ने तथ्यों के साथ जो कुछ किया, उसके बाद कहने को कुछ बचता नहीं है।

सोशल मीडिया पर रोजाना छीछालेदर हुई, रोजाना सही तथ्य याद दिलाये गये लेकिन मजाल है कि कान पर जूं तक रेंगे।

मैंने पहले भी कहा था कि देश को ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जो 24 घंटे में 26 घंटे काम करता है।

इसके बाद आप उम्मीद करें कि इतना काम करके वे पद की गरिमा भी रख लेंगे तो आपकी नादानी होगी।

पद की गरिमा आपको ही रखनी होगी। तरीका एक ही है— आंखें और कान बंद कर लीजिये।

 



इस खबर को शेयर करें


Comments