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हम बे-कारकून ही सही, अफवाह है तो बुरी बात है,खबर है तो और बुरी बात है

खरी-खरी, मीडिया            Nov 01, 2018


राकेश दुबे।
पता नहीं सोशल मीडिया पर मध्यप्रदेश की राजधानी के मीडिया के बारे में धूम मचा रही यह बात कितनी सही है कि कुछ मीडिया व्यक्तित्व उपहार स्वरूप लक्जरी कार प्राप्त करने में सफल हुए हैं। यदि यह अफवाह है तो बुरी बात है और खबर है तो और बुरी बात है।

बहरहाल उन लोगों को मीडिया का मजाक उड़ाने का मौका जरुर मिल गया है, जो समाज के प्रत्येक कार्य को अपनी दृष्टि से देखने के आदी होने के साथ ही चटखारे लगाने में माहिर है।

कल सुबह मुझसे एक सज्जन ने फोन करके जानना चाहा कि सोशल मीडिया पर जारी लक्जरी कार प्राप्तकर्ताओं की सूची में कुछ नाम नदारद हैं, ऐसा क्यों?

उनका प्रश्न मेरी समझ के बाहर था, उन्होंने स्पष्ट किया कि राजधानी भोपाल में कार्यरत प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के लोगों को मुम्बई की किसी संस्था ने विधानसभा चुनाव में सरकार का पक्ष प्रस्तुत करने के एवज में लक्जरी कार उपहार में दी है।

मेरे साथ यह मेरे उन वरिष्ठ कनिष्ठ सहकर्मियों को चौकानें वाली खबर थी। जो सालों से कलमनवीसी कर रहे हैं और इसके अलावा वे कुछ और नहीं जानते। मेरी ही तरह आधे हिन्दुस्तान में नौकरी करके भोपाल वापिस लौटे एक मित्र से पूछा।

मित्र के जवाब ने मेरे सहित अनेक साथियों की हकीकत बयान कर दी। मित्र ने कहा “ आप और हम पत्रकारिता में उन उस उस्तादों के चेले हैं, जिन्हें न तो इस तरह के गुर आते थे और न वो हमें सिखा गये हैं।” यह बात सौ फीसदी सही है।

इस धंधे में अर्धशतक के करीब पहुंचने वाली हमारी जमात अब तक इससे अछूती है। मुझसे फोन पर हकीकत जानने वाले सज्जन हमारी पूरी जमात को “मिसफिट” मानते हैं।

ख़ैर! अभी तक इस खबर की पुष्टि या खंडन अधिकृत रूप से जारी नहीं हुआ है। इसमें मध्यप्रदेश शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी, सरकार के एक उपक्रम और मुम्बई की एक फर्म के नाम के साथ राजधानी के मीडिया में कार्यरत कुछ साथियों के नाम नत्थी किये गये हैं।

सोशल मीडिया पर ही कथित लाभ पाने वाली सूची के कुछ साथियों का पक्ष भी आया है और वे भी हमारी मिसफिट जमात के हिस्से हैं।

वर्तमान में दौर में “फिट” और ‘मिसफिट’ के अलग-अलग पैमाने बनाने में सरकार सफल रही है। बड़ी चतुराई के साथ सरकारी निमन्त्रण तक “फिट” और ‘मिसफिट’ मीडिया को भेजने का दौर है। इस दौर में ऐसी खबर / अफवाह किसी का भला नहीं करेगी। मीडिया का मखौल जरुर बनेगा बन भी रहा है। आपके पास भी किसी ऐसे मित्र का फोन आया क्या ? आइये ! हम बे-‘कार’ कारकूनों की जमात में शमिल हो जाइये।

 



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