दलित वोटर पर कांग्रेस-बसपा में राजनीति होगी तेज

खास खबर            May 01, 2019


राकेश दुबे।
कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व को दीवार पर लिखी इबारत नजर न आना एक बड़े मुगालते से कम नहीं है। मायावती ने कांग्रेस को अपने रवैये में परिवर्तन की अंतिम चेतावनी दे डाली है। 23 मई आने वाले नतीजे मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार के बहुमत की नींव के आधार स्तम्भ बसपा को खिसका सकते हैं। कांग्रेस ने इस लोकसभा चुनाव में बसपा को करारी चोट दी है।

इसके बाद मायावती का बौखलाना स्वभाविक है। ऐन चुनाव के समय कांग्रेस ने गुना –शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से ज्योतिरादित्य सिंधिया के ख़िलाफ़ खड़े बसपा उम्मीदवार लोकेंद्र सिंह राजपूत को तोड़कर कांग्रेस में शामिल कर लिया। यह चोट करारी ही नहीं, बल्कि मायावती की बसपा में जारी हुकुमत को खुली चुनौती थी।

इसी के चलते बसपा सुप्रीमो मायावती ने कमलनाथ को जारी समर्थन पर फिर से विचार करने की धमकी दी है। मायावती ने ट्वीट कर कहा, सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के मामले में भाजपा से एक घर आगे है।

मायावती ने यहाँ तक कहा है कि उनके गुना लोकसभा सीट परलड़ रहे उम्मीदवार को कांग्रेस ने डरा-धमकाकर जबर्दस्ती बैठा दिया है, किन्तु बीएसपी अपने सिम्बल पर ही लड़कर इसका जवाब देगी व अब कांग्रेस सरकार को समर्थन जारी रखने पर भी पुनर्विचार करेगी'।

मायवती यही नहीं रुकी, दूसरे ट्वीट में मायावती ने कहा कि, , यूपी में कांग्रेसी नेताओं का यह प्रचार कि भाजपा भले ही जीत जाए किन्तु बसपा-सपा गठबंधन को नहीं जीतना चाहिए, यह कांग्रेस पार्टी के जातिवादी, संकीर्ण व दोगले चरित्र को दर्शाता है। मायावती और कांग्रेस के बीच तनाव अब चरम पर पहुंचता दिख रहा है।

दरअसल उत्तर प्रदेश में महागठबंधन में कांग्रेस को शामिल न करने के पीछे मायावती का बड़ा हाथ रहा है। मध्यप्रदेश विधानसभा सभा चुनाव में बसपा के साथ टिकट बंटवारे से मायावती पहले ही नाराज है। अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की टीम उ प्र के दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में है।

प्रियंका टीम के नेताओं का कहना है कि पार्टी अब उत्तर प्रदेश में अपने बूते खड़े होने का फैसला कर चुकी है इसके लिए पार्टी दलितों को लुभाना चाहती है। यह सही है कि दलित कभी कांग्रेस का कोर वोट बैंक हुआ करते थे, लेकिन बसपा के उदय होने के बाद से पार्टी से दलितों ने किनारा कर लिया।

उत्तर प्रदेश में दलितों के नए नेता के तौर पर उभर रहे चंद्रशेखर आजाद से भी प्रियंका गांधी का मिलना मायावती को नागवार गुजरा। चंद्रशेखर आजाद को मायावती भाजपा का एजेंट बताती हैं।

मध्यप्रदेश में जहां विधानसभा में बसपा कमलानाथ सरकार को समर्थन कर रही है, उसके साथ लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बसपा सीटों की उनकी मांग को अनसुना कर दिया था। अब उम्मीदवार को तोड़ लिया।

यही हाल राजस्थान का भी है। इससे से इतर कांग्रेस का मानना है कि इस लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में जितनी ही सीटें मिल जाएं वहीं बहुत हैं। पार्टी दलित और सवर्णों को अपने पाले में कर उ प्र राज्य के विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है। आने वाले दौर में कांग्रेस और बसपा के बीच दलित वोटरों को लेकर राजनीति और तेज सकती है। इसका सीधा प्रभाव मध्यप्रदेश की सरकार पर होगा यह साफ़ दिखता है।

 



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