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मप्र में उठी बच्चों को न पढ़ाने वालों को चुनाव के अयोग्य घोषित करने की मांग

खास खबर            Mar 29, 2018


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

मध्य प्रदेश में अपने बच्चों का न पढ़ाने वाले अभिभावकों को ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक के चुनाव लड़ने के अयोग्य करार दिए जाने का कानून बनाने की मांग उठी है।

राजधानी के समन्वय भवन में बुधवार को राज्य के बाल संरक्षण आयोग द्वारा बाल अधिकारों पर आयोजित कार्यशाला में आयोग अध्यक्ष डॉ. राघवेंद्र शर्मा ने छह से 14 साल तक उम्र के बच्चों को शिक्षा से वंचित रखने वालों को पंच से सांसद स्तर तक के चुनाव के लिए अयोग्य घोषित करने के संबंध में कानून बनाने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव का महिला-बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस तथा सहकारिता राज्य मंत्री (स्वंतत्र प्रभार) विश्वास सारंग ने समर्थन किया।

आयोग द्वारा बाल अधिकारों की राज्य-स्तरीय कार्यशाला में शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009, किशोर न्याय अधिनियम-2015, पॉस्को एक्ट के प्रावधानों तथा चाईल्ड फ्रेंडली पुलिस की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा हुई और जानकारी दी गई।

महिला-बाल विकास मंत्री चिटनिस ने कहा कि हमें भारतीय मूल्यों के अनुसार जीवन को समग्रता से समझना होगा। माता-पिता और समाज का व्यवहार बच्चों को प्रभावित करता है। इसलिए माता-पिता की अपने आचरण के प्रति संवेदनशीलता आवश्यक है।

राज्य मंत्री विश्वास सारंग ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम से संबंधित संस्मरण सुनाते हुए कहा कि 'बच्चे ही परिवार, समाज और देश का भविष्य हैं।' इसलिए बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए किए जा रहे कार्य वास्तव में देश के बेहतर भविष्य के लिए किए जा रहे कार्य हैं।



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