पन्ना,छतरपुर,सागर में बुंदेलखंड पैकेज में सेंधमारी

खास खबर            Sep 20, 2017


मल्हार मीडिया ब्यूरो।
बुन्देलखण्ड पैकेज 08/09/2017 । वन विभाग बुंदेलखंड पैकेज का एक और हिस्सा,107, करोड़ों रुपए की राशि की बंदरबाट होने के बाद भी अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो सकी है। जंगली जानवरों के साथ-साथ वृक्षों की प्यास बुझाने के लिए बुन्देलखण्ड विशेष पैकेज के तहत वन क्षेत्रों में चेकडैम बनाने की योजना लागू की गयी थी। चेकडैम बने, लेकिन निर्माण कार्यो में बरती गई अनियमितताओं के कारण यह परियोजना चर्चा में आ गयी। पैकेज राजनीतिक दृष्टि से भी चर्चा का विषय रहा है। मुख्य तकनीकी परीक्षक ने जांच के बाद मुख्य सचिव को भेजी रिपोर्ट में लिखा कि बुंदेलखंड के सागर, छतरपुर, पन्ना, दमोह, टीकमगढ़ एवं दतिया जिले में।

बुंदेलखंड पैकेज में भ्रष्टाचार के खिलाफ मप्र हाईकोर्ट के निर्देश पर मुख्य तकनीकी परीक्षक से कराई गई जांच में यह भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। लेकिन मप्र सरकार ने अभी तक बुंदेलखंड पैकेज को डकारने वाले अफसरों पर कार्रवाई नहीं की है। न ही उनके नाम उजागर किए हैं

आवाज उठाने वाले समाजसेवी पवन घुवारा हाईकोर्ट तक गए। हाईकोर्ट के आदेश पर जांच हुई।  मुख्य तकनीकि परीक्षक की जांच में जो तथ्य सामने आये वह इस प्रकार हैं 

पन्ना 1.जांच के अंतर्गत शामिल 9 वाटर शेड के कार्यो का स्थल निरीक्षण भौतिक सत्यापन तथा व्हाउचर्स के परीक्षण उपरांत यह पाया गया है कि वन विभग द्वारा इन कार्यो में शासन के नियमों, कार्य विभाग नियमावली क्रय नियम इत्यादि किसी का भी पालन नहीं किया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि विभाग द्वारा एक शासकीय विभाग के अनुसार कार्य न करते हुये प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी की तरह कार्य न कार्य किया गया हैं। तथा अनियमिततायें एवं फर्जी व्हाउचर्स द्वारा भुगतान करने की कोई सीमा नही रखी हैं :-

2.जांच में 23 वाहन में से अधिकांश वाहन ऐसे है जो कि व्हाउचर में दर्शाय गये प्रकार से एकदम भिन्न है, जैसे कि व्हाउचर के अनुसार ट्रेक्टर एवं जे.सी.बी. दशायें गये हैं। लेकिन आर.टी.ओ.रजिस्टेशन के अनुसार मोटर सायकिल, स्कूटर, स्कूटी पैप आटो रिक्शॉ एवं इण्डिगो टैक्सी इत्यादि पाये गये हैं।

3.क्रमांक 443 में तालाब निर्माण पर 102974 रू. फर्जी व्हाउचर द्वारा व्यय किया गया जबकि कार्य स्थल पर यह तालाब मौजूद नहीं हैं।

4.क्रमांक 445 में तालाब निर्माण के कार्य पर रू. 736782/- का फर्जी भुगतान होना पाया गया जबकि इस तालाब का निर्माण ही नहीं किया गया एवं यह स्थल पर उपलब्ध ही नहीं था।

5.कुछ व्हाउचर ऐसे व्यक्तियों के नाम पर बताये गये है। जिनकी पूर्व में ही मृत्यू हो चुकी हैं।

6.इसमें सम्मिलत किये गये 9 वाटर शेड में वाटर शेड वाईज अनियमिततापूर्ण किया गया । इस प्रकर इन कार्यो में शासकीय धन का पूर्णतयाः दुरूपयोग किया गया है एवं गंभीर अनियमिततायें पाई गई हैं।

सागर जिलें में :-
सागर जिले में रेल्वे ट्रेक एवं रा.राजमार्ग के आसपास निर्मित तालाबों की जांच में पाया कि ।
1.नवीन तालाब निर्माण में किये गये मिचिंग कार्य में माप दण्डानुसार पत्थर नहीं लगाया जाना पाया गया ।
2.सामग्री क्रय की त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया ।
3.बधान कार्य बेड के मापोकन की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं करना पाया गया ।
4.भुगतान व्हाउचर्स में उपयोग किये गये जे.सी.बी । पोकलेन के रजिस्ट्रेशन न दर्ज किये बिना भुगतान किया जाना पाया गया ।

छतरपुर जिले के बड़ामलहरा एवं बक्स्वाहा विकासखण्ड में बुन्देलखण्ड पैकेज के अंतर्गत कराये गये कार्यो में की जांच:

1.नवीन तालाब निर्माण में किये गये पिचिंग कार्य में निधारित गुणवत्ता का पत्थर नहीं लगाया जाना ।

2.सामग्री क्रय की त्रटिपूर्ण प्रक्रिया।

3.कक्ष पी-82 में भुगतान किये गये व्हाउचर्स क्रमांक एम-179 दिनांक 20.02.2012 में मजदूरों के हस्ताक्षर तो है परन्तु बिना राशि इन्द्राज किये श्रमिकों के हस्ताक्षर प्राप्त करना पाया गया जिसकी लागत रूपये 479981 है, जो गंभीर अनियमितता की श्रेणी में आता है। इसी कक्ष में जे.सी.बी. द्वारा कराये गये कार्यो का भुगतान राशि 3.20.472 बिना जे.सी.बी. नंबर पर किया गया।

4.कक्ष पी.202 में निर्मित नवीन तालाब निर्माण में रेत परिवहन हेतु ट्रक नंबर एम.पी.15जी1732 का उपयोग कर भुगतान किया गया व्हाउचर क बी.एम्स/91 दिनांक 27.01.2012 म.प्र. आर.टी.ओ. की बेब साइट से उक्त वाहन का प्रकार जीप के नाम पर दर्ज होना पाया गया जिस पर कुल व्यय 31149 किया।          

5.कक्ष पी-50 में नवीन तालाब क्र.2 के निर्माण कार्य में ट्रक एम.पी.08/2799 का उपयोग किया जाना दर्शाया गया हैं। जबकि म.प्र. आर.टी.ओ की बेबसाइट पर उक्त वाहन नंबर स्कूटर का है। होना पाया गया है इस कार्य पर राशि रूपये 1.82.431 का भुगतान हुआ।

6.कक्ष पी-107 परलोकेशन पिट क्रमांक 8 में भौतिक सत्यापन में खुदाई की दर्ज मात्रपा से प्राप्त मात्रा 30 प्रतिशत ही पाई गई।

उपरोक्त अनियमिततायें रेण्डम वैसेस पर चयनित कक्षो के परीक्षण उपरांत प्राप्त की है। इस प्रकार की अनियमितताये बुंदेलखण्ड पैकेज के जिले के अन्य विकासखण्डों में भी पाई जाना सम्भावित है। अतः विभाग द्वारा परीक्षण कराया जाना उचित होगा। घुवारा का आरोप है कि अभी तक सरकार ने उन्हें जांच के बाद की कोई जानकारी नहीं दी है। मुख्य सचिव को कई बार पत्र लिखे। उन्होंने कहा कि मप्र में 3700 करोड़ रुपए के पैकेज में 80 फीसदी से ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ है। जनता को कोई फायदा नहीं मिला। देश में पहली बार किसी पिछड़े क्षेत्र के लिए पैकेज दिया। अब भविष्य में ऐसा पैकेज किसी को मिलने वाला नहीं है। 

राज्य सरकार ने अभी तक केंद्र के बुंदेलखंड पैकेज का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेजा है।बुन्देलखण्ड में  यहाँ अब तक 21 सूखे पड़ चुके है. प्राप्त आंकड़ो के अनुसार वर्ष 1838, 1868, 1877, 1887, 1896, 1897, 1906, 1907, 1978, 1980, 1990, 1993, 2002, 2004, 2005, 2006, 2009, 2013, 2014, 2015, 2016 सूखे के साल रहे। कभी घने वन क्षेत्र वाला बुंदेलखंड ग्रेनाईट की सतह लिए है। विकास के अनियोजन ने समय के साथ जैसे-जैसे यहाँ अपने कदम फैलाए बुन्देलखण्ड। 

जंगल से वीरान होकर परती-चटियल भूमि में तब्दील हो गया। नदी और पहाड़ो के खनन से यहाँ का अनियमित मौसम कभी सूखा तो कभी अतिवर्षा और कभी बाढ़ लेकर आया। सरकारी विकास पत्र में अब इसको आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित किया जा चुका है। पानी से हलकान बुंदेलखंड का ये क्षेत्र करोड़ रूपये का सलाना राजस्व खनन से देता हैं चंदेल कालीन जल प्रबंधन की विरासत रहे बुन्देलखण्ड में पानी के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने बहुत सी परियोजना,पॅकेज से काम किया लेकिन सब ढाक के तीन पात साबित हुए और बुंदेले प्यासे ही रह गए। पानी पिलाने के नाम पर यहाँ के माननीय रुतबे वाले होते चले गए। इस बार भी पानी का मुद्दा चुनाव से बाहर है। ठीक-ठाक गर्मी अभी दो माह दूर है इसलिए किसान और नेता दोनों जातीय सियासत में सूखे को भूल बैठे है।

पवन घुवारा से मिले मेल के आधार पर
 

 



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