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मध्यप्रदेश में नौ​करी:गैरों पर करम, अपनों पर सितम

खास खबर            Jun 13, 2019


राकेश दुबे।
कमलनाथ जी, दूसरे राज्यों के युवाओं को मध्यप्रदेश में रोजगार और उसके लिए आयु सीमा में वृद्धि का निर्णय मध्यप्रदेश हित में नहीं है। यह निर्णय लगता है आपने घबराहट में लिया है।

यदि ऐसा नहीं होता तो केबिनेट में शामिल आधा दर्जन मंत्रियों में नाराजी नहीं होती। ये मंत्री अनुशासन और पार्टी की डोर से बंधे थे, इसीलिए भारी मन से उन्होंने इस फैसले पर मुहर, मजबूरी में लगा दी। लगता है आपके सचिव सही सलाह नहीं दे रहे हैं।

तुलसी दास जी ने रामचरितमानस में लिखा है “सचिव, वेद,गुरु तीन जो,प्रिय बोले भय आस।” पूरी चौपाई और उसका अर्थ अपने सनातनी हिन्दू दोस्त से पूछ लें। थोड़े खफा है, पर मतलब बता देंगे।

अब मुद्दे की बात ! भले ही आपके मंत्री खंडन- मंडन करें, परंतु हकीकत में मंत्री से लेकर मतदाता तक आपके इस निर्णय से खफा है। सचिव हमेशा सही नहीं होते। इस फैसले से पहले न तो उन्होंने आपको बेरोजगारी के वर्गीकृत आंकड़े ही बताये और न इस प्रदेश की संरचना से जुड़ा भूगोल ही समझाया।

व्यापारिक गणित आप समझते होंगे, पर इस प्रदेश की व्यापारिक ज्यामिति भी है, जो उन्होंने नहीं बताई होगी। वे जानते भी होंगे, इसमें संदेह है।

उड़ीसा में समुद्र होता है, खारे पानी का, यहाँ पुण्यसलिला नर्मदा बहती है। नर्मदा का अपना प्रताप है,उसमे पोकलेंड मशीन उतरवाने वालों का हश्र सबके सामने है।

मुख्यमंत्री जिस शपथ से बनता है उसकी पहली शर्त “बिना भेदभाव और पक्षपात के न्याय करना है।” यह निर्णय उस कसौटी पर खरा नहीं है। उसी शपथ का दूसरा भाग “मध्यप्रदेश राज्य का मुख्यमंत्री और कर्तव्य निर्वहन है”।

यह निर्णय इशारा करता है कि उस दिन इस विषयक प्रतिज्ञान में कोई कोर कसर रह गई है। तभी इस निर्णय का पलड़ा अन्य राज्यों के पक्ष में झुका हुआ है।

स्मरण के लिए कुछ आंकड़े। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय मध्यप्रदेश तीन भागों में विभाजित था। भाग क, भाग ख, और भाग ग। भाग क की राजधानी नागपुर, भाग ख की ग्वालियर और इंदौर तथा भाग ग की रीवा रखी गई थी।

१९५५ में राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मध्यप्रदेश का गठन भाषाई आधार पर किया गया। उस समय मध्यप्रदेश मैं कुल ७९ रियासतें थी। इसकी राजधानी भोपाल रखी गई। तब मध्यप्रदेश में ८ संभाग व ४३ जिले थे।

२६ जनवरी १९७२ को दो नए जिले भोपाल तथा राजनंदगांव बने। १९८२ मैं कांग्रेस सरकार ने दस नए जिले बनाने का निर्णय १९९८ मैं सिंहदेव कमेठी का गठान किया जिसके आधार पर ६ और नए जिले बनाये गए।

इस तरह १९९८ में जिलो की संख्या 61 हो गई।१ नवम्बर २००० को भारत के २६ वें राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ का गठन किया गया जिससे मध्यप्रदेश के 16 जिले छत्तीसगढ़ में चले गए। लेकिन इससे मध्यप्रदेश में रोजगार की समस्या का निदान नहीं हुआ।

नये जिलों का सिलसिला अगस्त २००३ से चला तीन नए जिले अशोकनगर , बुरहानपुर तथा अनूपपुर का निर्माण किया गया फिर १७ मई २००८ को अलीराजपुर, २४ मई २००८ को सिंगरौली , १४ जून २००८ को सहडोल संभाग, २५ मार्च २०१३ को नर्मदापुरम संभाग का गठन हुआ ।सिलसिला चलता रहा इसी क्रम में १६ अगस्त २०१३ को आगर मालवा जिला बना।

इस प्रकार वर्तमान में मध्यप्रदेश ५२ जिले तथा १० संभाग हैं। मध्यप्रदेश का ५२ वां जिला निवाड़ी ०१ अक्टूबर २०१८ को अस्तित्व में आया।

इन सभी जिलों में स्नातकोत्तर, स्नातक और उससे नीचे अर्हता रखने वालों की एक बड़ी तादाद है। चयनित प्राध्यापक, शिक्षक, नर्स आदि विभिन्न श्रेणी के लोग आयुसीमा पार हो रहे हैं।

राज्य सरकार की लोकसेवा में दूसरे राज्यों के उम्मीदवारों को छूट कही से न्याय संगत नहीं है। जनता के इन तर्कों को मानकर आपको पुनर्विचार करना चाहिए।

यह पुनर्विचार की अपील जनता के साथ आपके मंत्रीमंडल के साथियों की भी है,अपने साथियों की ही मान लीजिये। गैरों पर करम, अपनों पर सितम मत कीजिये।

 



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