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किसी के मार्गदर्शक थे, तो किसी के थे अभिभावक, किसी ने सीखी देशभक्ति, तो किसी ने अपनापन

मीडिया            Aug 21, 2018


मल्हार मीडिया ब्यूरो। भोपाल। स्व. अटल जी के जाने से ऐसा लगा जैसे मैंने अपना अभिभावक खो दिया। वो एक विराट व्यक्ति थे, जिनमें एक साथ कई गुणों का संगम था। वो विलक्षण थे, अब शायद उनके जैसा कोई और नहीं होगा। मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में मंगलवार को आयोजित श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने स्व. अटल जी के बारे में ऐसे ही उद्गार व्यक्त किए। शाम 4 बजे से आयोजित श्रद्धांजलि सभा में प्रदेश के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं, धर्मगुरुओं, बुद्धिजीवियों, आम नागरिकों और छात्र-छात्राओं ने अपने प्रिय नेता को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। 

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटलबिहारी वाजपेयी का मधप्रदेश से गहरा रिश्ता रहा है। उनका जन्म भले ही ग्वालियर में हुआ था, लेकिन भोपाल से लेकर जबलपुर तक और ओरछा से लेकर इंदौर तक प्रदेश के हर शहरों में अनेक ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अटलजी के साथ अपने जीवन का समय बिताया है। प्रदेश की ओर स्व. अटलजी को श्रद्धासुमन करने के लिए एक सभा का आयोजन मंगलवार को राजधानी के मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में किया गया, जहां सभी राजनीतिक दलों के नेताओं, समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, बसपा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, आम आदमी पार्टी सहित अन्य राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। सभा के समापन पर उपस्थित लाखों लोगों ने मौन रखकर अपने प्रिय नेता को श्रद्धांजलि दी।

भरोसा नहीं होता कि अटलजी नहीं हैं: शिवराज सिंह चौहान

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटलबिहारी वाजपेयी को याद करते हुए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि मुझे अभी भी भरोसा नहीं होता कि अटल जी नहीं हैं। लगता है वे अभी आएंगे, अपने चिरपरिचित अंदाज में, मुस्कुराते हुए। एक राजनेता, लेखक, पत्रकार, कुशल वक्ता, कवि, पत्रकार, साहित्यकार, समाजसेवी और सबसे बढ़कर सबको प्यार करने वाले अटलजी भारत के मुकुटमणि थे। मुख्यमंत्री जी ने स्व. अटलजी के साथ बिताए लम्हों को याद करते हुए कहा कि मैंने देशभक्ति का पाठ उन्हीं से सीखा।

अटलजी व्यक्ति नहीं विचार थे: राकेश सिंह

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि करोड़ो दिलों में जिन अटलजी ने अपना स्थान बनाया था, आज वे हमारे बीच मौजूद नहीं हैं। अटलजी की विलक्षणता को पहचानकर स्व. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उनके प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी की थी। अटलजी ने कहा था- प्रभु मुझे इतनी ऊंचाई मत देना, गैरौं को गले न लगा सकूं, इतनी रुखाई मत देना। ईश्वर ने अटलजी को कल्पनातीत ऊंचाई दी, लेकिन साथ मैं ऐसा हृदय भी दिया जो सभी के लिए प्रेम से भरा रहता था। वे एक विचार थे, जो अब विचारधारा में बदल गया है और देश को सुगंधित कर रहा है।

काजल की कोठरी से बेदाग निकलने वाली विभूति थे अटल जी: सुरेश पचौरी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री  सुरेश पचौरी ने कहा कि राजनीतिक दलों, नेताओं के बीच प्रतिद्वंदिता होती है, दुश्मनी नहीं। हमें ये संस्कार हमारे जिन महान नेताओं ने दिए हैं, उन्हीं में से एक थे अटलजी। अटलजी से पारिवारिक संबंध रहे और जब संसद में पहुंचा, तो मुझे अटलजी के रूप में एक कुशल मार्गदर्शक मिल गया। राजनीति काजल की कोठरी है और अटल जी ऐसी विलक्षण विभूति थे, जिन्हें यह काजल की कोठरी भी कलंकित नहीं कर पाई।

अटलजी मिठास और सुगंध का मेल थे: उमा भारती

केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि मैं कई बार इस निश्चय करके अटलजी से मिलने गई कि उनसे अपने व्यवहार के लिए माफी मांगूंगी। लेकिन अटलजी की सरलता ने मुझे इसका मौका ही नहीं दिया। उनका व्यक्तित्व मिठास और सुगंध का अद्भुत मिश्रण था। वे विशाल देवदार की तरह थे, जो अपने आप में हिमालय की अलौकिक खुशबू समेटे होता है।



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