सप्रे संग्रहालय में श्रद्धांजलि सभा - कुलदीप नैयर अभिव्यक्ति की आजादी के निडर योद्धा थे

मीडिया            Aug 24, 2018


मल्हार मीडिया भोपाल।

अभिव्यक्ति की आजादी के निडर योद्धा, अपने समय की हलचलों के सिद्ध लेखक और मानवाधिकार के लिए लड़ने वाले श्री कुलदीप नैयर को माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में पत्रकारों ने शिद्दत से याद किया। श्री चंद्रकान्त नायडू ने बताया कि उनके संपर्क बहुत व्यापक थे और इसीलिए उनके पास भरपूर जानकारियाँ होती थीं। यही कारण है कि श्री नैयर देश के अग्रगण्य और सम्मानित पत्रकार हुए।

श्री लज्जाशंकर हरदेनिया ने श्री नैयर को निष्पक्ष पत्रकार और भारत-पाक अवाम के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों का पैरोकार बताया। श्री राजेश बादल ने नैयर जी के बड़प्पन की चर्चा करते हुए बताया कि जब वे श्री खुशवंत सिंह को अपनी पुस्तक भेंट करने गए तब उन्होंने उठकर सम्मान देने में लाचारी जताई। श्री नैयर ने कहा कि आप तो मेरे प्रोफेसर रहे हैं मैं तो सिर्फ आपको प्रणाम करने की अभिलाषा लेकर आया हूँ।

श्री दीपक तिवारी ने श्री कुलदीप नैयर को पत्रकारिता का आदर्श पुरुष निरूपित किया। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में जैसी निडरता नैयर जी ने बरती आज उस आदर्श स्थिति का अभाव चिंताजनक है। श्री राकेश दीक्षित ने कहा कि वे देश विभाजन के समय सियालकोट से दिल्ली आए थे लेकिन वे अपनी जन्मभूमि को कभी भुला नहीं पाए। श्री गिरीश उपाध्याय ने श्री कुलदीप नैयर को पत्रकारिता का नई पीढ़ी के लिए प्रकाश स्तंभ निरूपित किया।

श्री राजेन्द्र कोठारी ने श्री नैयर जी के काम करने की शैली की चर्चा करते हुए कहा कि पत्रकारों के बीच संपर्क, संवाद और सरोकार बढ़ाने की जरूरत है। श्री राकेश दुबे ने बताया कि श्री कुलदीप नैयर ने उन्हें सीख दी थी कि यदि भारत को जानना है तो एक बार वाघा बार्डर होकर आएँ और दूसरी तरफ बस्तर को समझ लें तो आप हिन्दुस्तान को समझ जाएँगे। सप्रे संग्रहालय की निदेशक डा. मंगला अनुजा ने श्री नैयर को काव्यांजलि अर्पित की।

श्रद्धांजलि सभा के समापन पर श्री कुलदीप नैयर की स्मृति में मौन रखा गया और सभी उपस्थित पत्रकारों ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि सभा का संचालन सप्रे संग्रहालय के संस्थापक विजयदत्त श्रीधर ने किया।



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