Breaking News

स्वराज के बलिदानी संपादकों के चित्र सप्रे संग्रहालय में

मीडिया            Jun 13, 2019


मल्हार मीडिया भोपाल।
दुनिया की पत्रकारिता के इतिहास में बेमिसाल है ‘स्वराज’ के संपादकों की बलिदान-गाथा। इन आठ अल्पज्ञात संपादकों में से छह संपादकों के चित्र 19 जून को माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान, भोपाल की चित्र-दीर्घा में प्रतिष्ठित किए जाएँगे।

पहली बार ये चित्र प्रदर्शित हो रहे हैं। सप्रे संग्रहालय के संस्थापक-संयोजक विजयदत्त श्रीधर ने बताया कि नवंबर 1907 में इलाहाबाद से निकला उर्दू साप्ताहिक ‘स्वराज’ केवल ढाई वर्ष तक प्रकाशित हुआ। इस बीच कुल 75 अंक निकले।

संपादक हुए आठ, जिन्हें कुल मिलाकर 94 साल नौ माह के कठोर कारावास की सजा हुई। इसमें ‘कालापानी’ भी शामिल है। ‘स्वराज’ के पहले संपादक शान्ति नारायण भटनागर थे जिन्हें उत्तर भारत में नवीन क्रान्तिकारी चेतना का अग्रदूत माना जाता है।

‘स्वराज’ के संपादक पद के लिए निर्धारित योग्यता थी - ‘‘स्वराज के लिए एक एडीटर चाहिए जो अँगरेजी और उर्दू का विद्वान हो। जिसका एक पैर स्वराज के दफ्तर में और दूसरा जेल में हो। तनख्वाह जौ की दो रोटी और एक प्याला पानी।’’ इस नायाब शर्त पर भी ‘स्वराज’ को एक के बाद एक आठ देशाभिमानी संपादक मिले।

श्यामलाल यादव को ‘माधवराव सप्रे पुरस्कार’

खोजी पत्रकारिता के लिए ‘सूचना का अधिकार’ कारगर औजार है। इसे सिद्ध कर दिखाया है प्रखर पत्रकार श्यामलाल यादव ने, जिनकी आर.टी.आई. आधारित खबरों ने दुनिया भर में नाम कमाया है। श्यामलाल यादव का चयन सप्रे संग्रहालय के ‘माधवराव सप्रे पुरस्कार’ के लिए किया गया है। उन्हें 19 जून को सप्रे संग्रहालय की पैंतीसवीं वर्षगाँठ समारोह में पुरस्कृत किया जाएगा। भारत की प्रदूषित नदियों पर श्री यादव की रिपोर्ट को यूनेस्को ने दुनिया की 20 सर्वोत्तम खोजी रपट में शुमार किया है। वे अभी ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में वरिष्ठ संपादक हैं।

सामाजिक सरोकारों के पत्रकारी-लेखन के लिए पंकज चतुर्वेदी को ‘महेश गुप्ता सृजन सम्मान’ प्रदान किया जाएगा। सम्प्रति वे राष्ट्रीय पुस्तक न्यास में संपादक हैं।

‘आंचलिक अखबारों की राष्ट्रीय पत्रकारिता’ पर परिचर्चा

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र शर्मा की अध्यक्षता में ‘आंचलिक अखबारों की राष्ट्रीय पत्रकारिता’ पर विचार-गोष्ठी भी होगी। अध्येता हरीश पाठक ने इस विषय पर राजेन्द्र माथुर फैलोशिप के अन्तर्गत विस्तृत अध्ययन किया है। वरिष्ठ पत्रकार उमेश त्रिवेदी, राजेश बादल और डा. राकेश पाठक विचार गोष्ठी में विशिष्ट वक्ता होंगे।

 



इस खबर को शेयर करें


Comments