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सप्रे संग्रहालय में गांधीजी की सर्वकालिक प्रासंगिकता पर विमर्श

मीडिया, राज्य            Oct 02, 2018


मल्हार मीडिया भोपाल।
महात्मा गांधी की सर्वकालिक प्रासंगिकता इसलिए है क्योंकि वे मनसा-वाचा-कर्मणा एकात्म थे। वे ऐसे विरल महापुरुष थे जो कहते थे वह करते थे। वे साध्य ही नहीं साधनों की पवित्रता पर भी जोर देते थे। इसीलिए 19वीं शताब्दी को गांधी के जन्म की, 20वीं शताब्दी को गांधी के कर्म की और 21वीं शताब्दी को गांधी, विचार और दर्षन के मान से विकल्प की शताब्दी माना जाता है। आज मानवता और प्रकृति के सम्मुख जिस तरह का संकट गहरा रहा है उससे मुक्ति का मार्ग महात्मा गांधी ही दिखाते हैं।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान, भोपाल में आयोजित गांधीपर्व के मुख्य अतिथि प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त प्रसन्न कुमार दाश ने कहा कि गांधी एक जीवन्त आदर्श हैं। उनके विचार और दर्शन में आध्यात्मिकता का महत्वपूर्ण सहभाग है। गांधी जी की अहिंसा मजबूरी नहीं मजबूती का काम था। श्री दाश ने आह्वान किया कि यदि सब भारतवासी एक दिन हाथ के बने कपड़े पहनने का संकल्प ले लें तो लाखों हाथों को काम मिल जाएगा।

श्री दाश ने कहा कि सप्रे संग्रहालय को देखकर उनके मन में यह विचार आया कि आयकर का भी अभिलेखागार बनाया जाए और हमने बना दिया है। संस्कृत विद्वान डा. राधावल्लभ त्रिपाठी ने कहा कि महात्मा गांधी के एकादष व्रत दोहराने के लिए नहीं है। जीवन में उन पर अमल करना समाज को सुखी और संतुष्ट बना सकता है। अध्यक्षीय संबोधन में श्री कैलाशचन्द्र पंत ने कहा कि महात्मा गांधी का जीवन सादा जीवन उच्च विचार का प्रतीक था।

उनकी भाषा सीधी और सरल थी लेकिन आत्मबल का प्रभाव था कि करोड़ों लोग उस दुबले-पतले बूढ़े की आवाज पर आजादी की लड़ाई में जुट गए। श्री पंत ने पं. सुन्दरलाल श्रीधर के तपस्वी जीवन को प्रणाम करते हुए कहा कि पहले वो आजादी के लिए संघर्ष करते रहे और जब आजादी और सत्ता आयी तब सब छोड़कर समाज सेवा के लिए जीवन समर्पित कर दिया।

मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री विनय शंकर दुबे ने कहा कि पं. सुन्दरलाल श्रीधर ने अपना पूरा जीवन समाज के लिए जिया। वे हमारी पीढ़ी के लिए प्रेरणा के स्रोत रहे। गांधी भवन न्यास के सचिव श्री दयाराम नामदेव ने अपने समय का साक्ष्य देते हुए बताया कि बाबा राघवदास और अन्य तपस्वियों के जीवन से उन जैसे अनेक व्यक्तियों ने सेवा का मार्ग चुना।

इस अवसर पर मानस साधक श्री रमाकान्त दुबे, समाजसेवी श्रीमती सविता वाजपेयी, सार्थक पत्रकारिता के प्रतिमान श्री प्रेमनारायण नागर तथा धु्रपद गायक एवं गुरु श्री उमाकान्त गुन्देचा और श्री रमाकान्त गुन्देचा को ‘महात्मा गांधी सम्मान’ से सम्मानित किया गया। गांधी भवन न्यास के सचिव श्री दयाराम नामदेव को नर्मदा के बरमान घाट पर महात्मा गांधी के पाँव पखारने की अनुपम घटना का दृष्य चित्र भेंट किया गया। संगीत कला साधक पं. सुरेश तांतेड़, बहुमुखी रचनाकार डा. रामवल्लभ आचार्य और प्रतिष्ठित लोकधर्मी श्री राकेश दीवान को ‘तपोनिष्ठ पं. सुन्दरलाल श्रीधर सम्मान’ से सम्मानित किया गया। अपर सचिव जनसंपर्क डा. एच.एल. चौधरी को ‘संतोष कुमार शुक्ल लोक संप्रेषण पुरस्कार’ प्रदान किया गया। अतिथियों ने नरसिंहपुर जिले के स्वतंत्रता संग्राम पर केन्द्रित पुस्तक ‘तपश्चर्या’ का विमोचन किया।

आरंभ में अतिथियों का स्वागत संस्थापक श्री विजयदत्त श्रीधर ने किया। प्रशस्ति वाचन निदेशक डा. मंगला अनुजा ने किया। कार्यक्रम का संचालन डा. रत्नेश ने किया। अंत में उपाध्यक्ष श्री राकेश दीक्षित ने धन्यवाद ज्ञापन किया।



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