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पत्रकारों के प्रकार जो बोलचाल में तय कर दिये गये, पर पत्रकार ही आपत्ति नहीं लेते

मीडिया            May 05, 2018


ममता यादव।

पूरा कॉपी राईट है चोरी करने की सोचियो भी मत। शेयर चाहे जितना कर लो

कुछ रोज पहले ही विश्व पत्रकारिता दिवस गुजरा है। उसी दिन से याद कर रही थी एक पोस्ट को पत्रकारों की प्रजातियों वाली जो सितंबर या अगस्त 2017 में लिखी थी। आज सोचा इसको मल्हार मीडिया में शामिल ही कर दूं।

वैसे तो रोज ही और पत्रकारिता दिवसों पर यह बात बहुत जोर—जोर से दिमाग में घंटी नहीं घंटा बजाती है कि जब पत्रकारिता में आये थे या आने का सोचा था तब पता ही नहीं था पत्रकारों के भी इतने प्रकार होते हैं। हमें तो सिर्फ ये पता था कि पत्रकार सिर्फ पत्रकार होता है। 

पत्रकारों को विभिन्न विश्लेषणों, घटिया मजाकिया विश्लेषणों से नवाजा जाता है, उन पर हंसा जाता है और हम सिर्फ खींसें निपोरकर रह जाते हैं। हम विरोध भी दर्ज नहीं कराते। गौर फरमाईये जरा पत्रकारों के लिये उपयोग की जाने वाली इस शब्दावली पर। आप अपनी सहूलियत से प्रकार, प्रजाति कुछ भी लिख सकते हैं।

 

विचारधारा वाले पत्रकार, पार्टी वाले पत्रकार, अड़ीबाज पत्रकार, ब्लैकमेलर पत्रकार, बिकाऊ पत्रकार, खाऊ पत्रकार,चमचा पत्रकार, दलाल पत्रकार, बड़ा पत्रकार,छोटा पत्रकार, महिला पत्रकार, पुरूष पत्रकार, जातिवादी पत्रकार, मज़दूर पत्रकार, श्रमजीवी पत्रकार, पिट्ठू पत्रकार, गुलाटी पत्रकार, धाकड़ पत्रकार, दबंग पत्रकार, भक्त पत्रकार, सोशल मीडिया पत्रकार, कारड वाले पत्रकार, अधिमान्य पत्रकार, नकली पत्रकार, असली पत्रकार, अनपढ़ पत्रकार, साक्षर पत्रकार, लिक्खाड़ पत्रकार, अध्ययनशील पत्रकार, टीवी पत्रकार, प्रिंट पत्रकार, वेब पत्रकार,नकलची पत्रकार, डिग्रीधारी पत्रकार, दुकानदार पत्रकार, नौकरीदार पत्रकार, सन्गठन पत्रकार, नेता पत्रकार, टेबल पत्रकार, लिफाफा पत्रकार, विज्ञप्ति पत्रकार, कापी पेस्टीय पत्रकार, विज्ञापन पत्रकार,मंगतू पत्रकार, मैनेजर पत्रकार, दोगला पत्रकार, बेचारा पत्रकार, बिचौलिये पत्रकार, गलती से बने पत्रकार, ग्लैमर पत्रकार, अवसरवादी पत्रकार, पैर पड़क पत्रकार, ईमानदार पत्रकार, बेईमान पत्रकार, जांबाज पत्रकार, फ़ोटो खिचाऊ पत्रकार, भड़ासी पत्रकार, खोजी पत्रकार, संवेदनशील पत्रकार, निर्भीक पत्रकार,पार्टी पत्रकार और सबसे बड़ा सम्मानीय नाम सिर्फ पत्रकार।

फ़िलहाल इतने ही याद आ रहे हैं और याद आएंगे तो जोड़ देंगे। कुछ आप लोग भी सोचो। वैसे कसम से हम तो हर भेदभाव से परे सिर्फ पत्रकार ही समझते थे सोचते थे।

 



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