मल्हार मीडिया ब्यूरो।
आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) द्वारा शुक्रवार को केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुआई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होने और सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के फैसले के ऐलान के बाद तमिननाडु में सत्तारूढ़ एआईएडीएमके (अन्नाद्रमुक) ने अविश्वास प्रस्ताव का पक्ष लेने या नहीं लेने के मामले में कुछ शर्तें निर्धारित की हैं।
एमडीएमके नेता वाइको ने अन्नाद्रमुक से कहा है कि अगर अविश्वास प्रस्ताव पर उसके समर्थन की जरूरत है तो वह मौके का फायदा उठाए और भाजपानीत केंद्र सरकार पर कावेरी प्रबंधन बोर्ड (सीएमबी) गठित करने के लिए दबाव डाले।
पूर्व सांसद और अन्नाद्रमुक प्रवक्ता के.सी. पलानीसामी ने कहा, "उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद केंद्र अगर सीएमबी और कावेरी जल नियंत्रण कमेटी गठित (सीडब्ल्यूआरसी) करने से इनकार करता है तो फिर अन्नाद्रमुक अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन कर सकती है।"
हालांकि, एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने कहा कि लोकसभा में भाजपा और कांग्रेस के बाद सर्वाधिक सदस्यों, 37, वाली अन्नाद्रमुक अभी अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष या विपक्ष के बारे में कोई निर्णय नहीं ले सकी है।
नाम गोपनीय रखने की शर्त पर पार्टी के वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि पार्टी इस मुद्दे पर जल्द कोई निर्णय लेगी।
तमिलनाडु में भाजपा और पीएमके के पास एक-एक लोकसभा सीट हैं।
उन्होंने कहा कि इस बात के बहुत आसार हैं कि छोटे दलों के समर्थन से भाजपा अविश्वास प्रस्ताव को मात देने में सफल रहेगी।
टीडीपी प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने शुक्रवार को पार्टी नेताओं से बैठक कर मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केंद्र सरकार को सीएमबी और सीडब्ल्यूआरसी गठित करने का आदेश देने के बाद तमिलनाडु विधानसभा में गुरुवार को सर्वसम्मति से इस बारे में एक प्रस्ताव पारित हुआ था।
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