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आरुषि हत्याकांड - सबूतों के अभाव में डॉ. राजेश और नूपुर तलवार बरी

राष्ट्रीय            Oct 12, 2017


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

उत्तर प्रदेश में नोएडा के बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड के मामले में उच्च न्यायालय ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया। निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए न्यायालय ने सबूतों के अभाव में डॉ. राजेश तलवार और नूपुर तलवार को बरी कर दिया। इस फैसले से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को तगड़ा झटका लगा है। उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद नोएडा में राजेश तलवार के परिजन भी मीडिया के सामने आए। राजेश तलवार की चाची वंदना तलवार ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, "अंतत: हमें न्याय मिला। इस परिवार ने काफी लंबी लड़ाई लड़ी है। इस दौरान काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले। हम उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं, जिन्होंने हमारा साथ दिया।"

न्यायमूर्ति बी.के. नारायण और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र की खंडपीठ ने जांच एजेंसी की जांच में कई खामियां पाईं और राजेश तलवार और नूपुर तलवार को बरी कर दिया।

न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा, "जांच के दौरान सीबीआई तलवार दंपति के खिलाफ ऐसे सबूत पेश नहीं कर पाई, जिसमें उन्हें सीधे दोषी माना जा सके। ऐसे मामलों में तो सर्वोच्च न्यायालय भी बिना पर्याप्त तथ्यों और सबूतों के किसी को इतनी कठोर सजा नहीं सुनाता।"

अदालत ने आगे कहा, "माता-पिता को सिर्फ इसलिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि वह घटना की रात घर में मौजूद थे। उन्हें इस मामले में संदेह का लाभ मिलना चाहिए। उन्हें इस मामले में बरी किया जाता है।"

अदालत का फैसला आने के बाद राजेश तलवार और नूपुर के वकील तनवीर अहमद ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "चार महीने की लंबी बहस के बाद अदालत ने मेरे दोनों मुवक्किल को बरी कर दिया है। उम्मीद है कि वह शुक्रवार की दोपहर तक जेल से रिहा हो जाएंगे।"

अहमद ने कहा, "पिछले चार महीने से इस मामले में बहस चल रही थी। यह बहस बुधवार को पूरी हुई थी, जिसके बाद दो सदस्यीय खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को पीठ ने अपना फैसला सुनाया। उनको सिर्फ इसलिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि वह घटना की रात घर में मौजूद थे।"

उन्होंने कहा, "चार महीने के दौरान दोनों पक्षों के बीच इस मामले को लेकर काफी सकारात्मक माहौल के बीच बहस हुई थी। अदालत ने इस दौरान दोनों पक्षों के वकीलों को इस बात के लिए भी धन्यवाद दिया कि दोनों पक्ष काफी अच्छे माहौल में बहस कर रहे हैं।"

इस बीच सीबीआई के वकील ने अपने एक बयान में सिर्फ इतना कहा कि अदालत का फैसला पढ़ने के बाद ही कोई कदम उठाया जाएगा। फिलहाल हमें फैसले की कॉपी का इंतजार है।

अदालत का फैसला सामने आने के बाद डासना जेल के अधिकारियों ने कहा, "हमें पता चला है कि तलवार दंपति को बरी कर दिया गया है। फैसले के दिन सुबह वह थोड़ा तनाव में दिख रहे थे, लेकिन फैसला आने के बाद वे काफी खुश हैं।"

जेलर से यह पूछे जाने पर कि दोनों को कब तक रिहा किया जाएगा, तो उन्होंने कहा कि जैसे ही न्यायालय के फैसले की कॉपी उन्हें मिल जाएगी, उन्हें कानूनी प्रक्रिया पूरी कर छोड़ दिया जाएगा।

गौरतलब है कि इस मामले में आरोपी दंपति डॉ. राजेश तलवार और नूपुर तलवार ने सीबीआई अदालत गाजियाबाद की ओर से आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की थी।

डॉ. तलवार की नाबालिग पुत्री आरुषि की हत्या वर्ष 2008 में 15 मई की रात नोएडा के सेक्टर-25 के जलवायु विहार स्थित घर में ही कर दी गई थी। अगले दिन घर की छत पर उनके घरेलू नौकर हेमराज (नेपाल का रहनेवाला) का शव भी पाया गया था।

इस हत्याकांड में नोएडा पुलिस ने 23 मई को डॉ. राजेश तलवार को बेटी आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। 1 जून को यह मामला सीबीआई को सौंपा गया था।

सीबीआई की जांच के आधार पर गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट ने 26 नवंबर, 2013 को हत्या और सबूत मिटाने का दोषी मानते हुए तलवार दंपति को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। तब से तलवार दंपति जेल में बंद हैं।

नौ साल बाद भी सवाल बरकरार है कि चौकीदार की निगरानी और अंदर से बंद फ्लैट में आरुषि और हेमराज की हत्या किसने की? और यह भी कि जब सीबीआई की जांच में कई खामियां पाई जाती हैं, तब भरोसा किस एजेंसी पर क्या जाए?



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