मल्हार मीडिया ब्यूरो।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने शपथ लेने के दो दिनों बाद विधानसभा में विश्वास मत से पहले ही शनिवार को इस्तीफा दे दिया। येदियुरप्पा ने विधानसभा में बहुमत के लिए आवश्यक सदस्यों की संख्या न होने के कारण इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही 12 मई को हुए राज्य विधानसभा चुनाव के बाद उत्पन्न राजनीतिक उठापठक का पटाक्षेप हो गया। विधानसभा में अपने भावुक भाषण के दौरान येदियुरप्पा ने कहा कि भाजपा सदन में बहुमत साबित करने के लिए आवश्यक संख्या नहीं जुटा पाई है।
उन्होंने कहा, "अगर मैं सत्ता छोड़ता हूं, तो भी मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा। मेरा जीवन जनता के लिए है।"
अपने 15 मिनट के भाषण के दौरान 75 वर्षीय भाजपा नेता ने कहा कि ऐसा कोई रास्ता नहीं बचा था, जिससे कर्नाटक के लोगों की सेवा की जाए, क्योंकि कांग्रेस ने अपने विधायकों को उनके परिजनों से भी बातचीत करने नहीं दिया।
येदियुरप्पा ने कहा, "अगर लोगों ने हमें 104 के बदले 113 सीटों पर जिताया होता तो, हम इस राज्य को स्वर्ग बना देते। लेकिन मैं अपने अंतिम सांस तक राज्य के लिए लड़ता रहूंगा। हम लोकसभा की 28 सीटों में से 28 पर जीत दर्ज करेंगे और अगले विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के लिए हम 150 सीटों पर जीत दर्ज करेंगे।"
उन्होंने कहा, "राज्य की जनता ने कांग्रेस और जेडी (एस) को दरकिनार कर दिया। लोगों ने कांग्रेस के कुशासन के खिलाफ वोट दिया। मैंने पहले भी कई 'अग्नि परीक्षा' का सामना किया है और यह विश्वास मत भी एक अग्नि परीक्षा है।"
विधानसभा में अपने भाषण के बाद उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा की और वह राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने राजभवन चले गए।
येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के दो दिन बाद ही इस्तीफा दे दिया।
12 मई को हुए विधानसभा चुनाव में 104 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, जबकि कांग्रेस के पास 78 और जनता दल (सेकुलर) के पास 37 सीटें हैं। इसके अलावा दो सीटें निर्दलीयों के पास और एक सीट बसपा के पास है।
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