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किसी देश का इस्तेमाल अन्य के खिलाफ आतंकवाद के लिए न हो - भारत, कनाडा

राष्ट्रीय            Feb 23, 2018


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

भारत और कनाडा ने शुक्रवार को हर तरह के आतंकवाद व हिंसक चरमपंथ का मुकाबला करने पर सहमति जताई और इसके साथ ही इस बात पर भी सहमति जताई कि किसी भी देश को किसी अन्य देश के खिलाफ ऐसी गतिविधियों की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। यह सहमति कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की एक हफ्ते की भारत यात्रा के दौरान बनी, जो शुरू से ही खालिस्तानी अलगाववादियों के प्रति कनाडा के कथित नर्म रुख को लेकर विवादों में रही है।

आतंकवाद से मुकाबले के सिलसिले में दोनों देशों ने सहयोग के एक खाके पर दस्तखत किए, जिसमें सिख चरमपंथी समूह बब्बर खालसा इंटरनेशनल और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन के साथ-साथ अल कायदा, इस्लामिक स्टेट, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद के नाम हैं और जिसमें इन सभी के पैदा किए खतरों से मिलकर निपटने की बात कही गई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से अलग से मुलाकात हुई और प्रतिनिधिमंडल स्तर पर भी बातचीत हुई। इसके बाद ट्रूडो के साथ मोदी मीडिया से मुखातिब हुए और कहा कि राजनीतिक और विभाजनकारी गतिविधियों के लिए धर्म के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी जा सकती।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद और चरमपंथ हमारे लोकतांत्रिक व बहुलवादी समाजों के लिए खतरा हैं। हम दोनों देशों के लिए यह बहुत जरूरी है कि हम ऐसी ताकतों से मिलकर लड़ें।

मोदी ने कहा कि जो लोग दोनों देशों की संप्रभुता, एकता व अखंडता को चुनौती देंगे, उन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

ट्रूडो ने अलगाववाद और आतंकवाद का सीधे उल्लेख नहीं किया। उन्होंने कहा कि हम लोकतांत्रिक परंपराओं और बहुलतावाद का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि हम दोनों नेताओं ने दोनों देशों के लोगों के बीच के रिश्तों को मजबूत करने के तरीकों पर बात की।

मुलाकात और बातचीत के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में भी इसी बात को कहा गया है कि दोनों देश हर तरह के आतंकवाद व हिंसक चरमपंथ का मुकाबला मिलकर करेंगे और इसमें यह भी कहा गया है कि किसी भी देश को किसी अन्य देश के खिलाफ आतंकवाद व हिंसक चरमपंथ को करने देने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। इसमें सीमापार आतंकवाद का मुद्दा भी रखा गया है और कहा गया है कि आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।

मोदी ने कहा कि शुक्रवार की वार्ता के दौरान दोनों देशों ने आर्थिक संबंधों को और मजबूत बनाने पर भी बात की।

बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने आईसीटी और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में सहयोग के मसौदे पर दस्तखत किए। साथ ही खेल, बौद्धिक संपदा अधिकार, उच्च शिक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर दस्तखत किए गए।

इसे दोहराते हुए कि कनाडा में 120,000 भारतीय विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं, मोदी ने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एमओयू के नवीकरण से दोनों देशों के छात्रों व शिक्षकों को लाभ होगा।

कनाडा को ऊर्जा महाशक्ति बताते हुए मोदी ने कहा कि वह भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मददगार हो सकता है।

मोदी ने बताया कि दोनों देशों ने सीमापार आतंकवाद, अफगास्तिान की स्थिति, हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति और मालदीव में लोकतांत्रिक संस्थानों की आजादी पर बात की।

इससे पहले मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में एक औपचारिक समारोह में जस्टिन टड्रो का गले लगाकर स्वागत किया।

मोदी द्वारा टड्रो का गर्मजोशी से स्वागत करने के बाद उन अटकलों पर विराम लग गया, जिनमें कहा जा रहा था कि सरकार का रवैया कनाडाई प्रधानमंत्री के प्रति उदासीन है।

टड्रो अपनी पत्नी सोफी और बच्चों जेवियर, एला-ग्रेस और हाड्रियन के साथ जैसे ही कार से राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में उतरे, मोदी ने उनसे (टड्रो) हाथ मिलाया और फिर गले लगा लिया।

कनाडाई प्रधानमंत्री के 17 फरवरी को भारत आने के बाद से चुप्पी साधे मोदी ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए गुरुवार को कहा था कि उन्हें शुक्रवार को होने वाली द्विपक्षीय बैठक का इंतजार है।

मोदी ने ट्वीट कर कहा था, "मैं दोनों देशों के संबंधों के प्रति उनकी (टड्रो) गहरी प्रतिबद्धता की सराहना करता हूं।"

मोदी ने गुरुवार को ट्रूडो की बेटी एला-ग्रेस की मजाकिया ढंग से कान ऐंठते हुए तस्वीर ट्वीट की थी। इस तस्वीर में टड्रो मुस्कुराते हुए दिख रहे हैं। यह तस्वीर मोदी के 2015 में कनाडा दौरे की है।

मोदी ने ट्वीट कर कहा, "मैं खासकर उनके बच्चों जेवियर, एला-ग्रेस और हाड्रियन से मिलने के लिए उत्सुक हूं।"

कनाडाई प्रधानमंत्री भारत की सप्ताह भर की यात्रा के दौरान आगरा, अहमदाबाद, मुंबई और अमृतसर का दौरा कर चुके हैं।

हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच रिश्तों में खटास देखने को मिली है, क्योंकि कनाडा में स्वतंत्र खालिस्तान की मांग करने वाले अलगाववादियों के प्रति कथित रूप से नर्म रुख देखने को मिला है।

वहीं, स्थिति गुरुवार को तब और विवादास्पद हो गई जब कनाडा उच्चायोग ने ट्रूडो के सम्मान में होने वाले रात्रि भोज में खालिस्तानी अलगाववादी जसपाल अटवाल को निमंत्रण दिया था।

हालांकि, बाद में उच्चायोग ने इसे रद्द कर दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि वह इस बात की जांच कर रहा है कि कनाडाई पासपोर्ट धारक अटवाल को वीजा कैसे जारी किया गया।

टड्रो ने बाद में कहा कि इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया जा रहा है। अटवाल को निमंत्रण नहीं दिया जाना चाहिए था।



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