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निजी कमाई से 110 करोड़ रुपये दान पेशकश करने वाले अनोखे शख़्स

राष्ट्रीय            Mar 05, 2019


मल्हार मीडिया।
मुर्तज़ा की दौलत भले ही अम्बानी, टाटा, बिड़ला, अडानी, अजीम प्रेमजी, लक्ष्मीनिवास मित्तल, हिन्दुजाओं, पालनजी शापूरजी मिस्त्री, शिव नाडार, गोदरेजों, दिलीप संघवियों, पीरामलों आदि से कम हो, जज़्बा किसी से कम नहीं है।

पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों के परिवारों की मदद के लिए देशवासी लगातार आगे आ रहे हैं। इसी कड़ी में मूलत: कोटा के रहने वाले और फिलहाल मुंबई में रह रहे मुर्तज़ा अली ने प्रधानमंत्री राहत कोष में 110 करोड़ रुपए की सहायता राशि देने की पेशकश की है। मुर्तजा ने पीएमओ में मेल करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का समय मांगा है।

मुर्तज़ा अली साइंटिस्ट हैं और पुलवामा हमले में शहीद होने वालों के परिजनों को यह राशि देना चाहते हैं। मुर्तज़ा ने इस दान के लिए अपनी कागज़ी कार्रवाई पूरी कर ली है। शहीदों के परिजनों को यह व्यक्तिगत हैसियत से सबसे बड़ी मदद है। मुर्तज़ा यह राशि अपनी टैक्सेबल आय से देंगे।

मुर्तज़ा के मेल के जवाब में प्रधानमंत्री राहत कोष के डिप्टी सेक्रेटरी अग्नि कुमार दास ने काग़ज़ी कार्रवाई के लिए मुर्तज़ा की प्रोफाइल मांगी थी। मुर्तज़ा ने प्रोफाइल, पैन कार्ड सहित राशि की पूरी डिटेल पीएमओ को भेज दी है। इसके बाद 1 मार्च को पीएमओ से जवाब आया कि दो-तीन दिन में दिन और समय बता दिया जाएगा। मुर्तज़ा चाहते हैं 110 करोड़ का चेक सौंपने के साथ-साथ सामाजिक कार्यों के लिए नई योजनाओं व कुछ नई टेक्नोलॉजी के बारे में भी पीएम से उनकी बातचीत हो।

मुर्तज़ा कहते हैं कि हमने फंड में 110 करोड़ रुपए देने के लिए पूरीकाग़ज़ी कार्रवाई कर रखी है।

दिव्यांग मुर्तजा ने ऐसे विकसित की फ्यूल बर्न रेडियेशन टेक्नोलॉजी

मुर्तजा दिव्यांग हैं। वे जन्म से नेत्रहीन हैं। उनकी आंखों में कुछ फीसद ही दृष्टि है। उन्होंने कोटा के कॉमर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। उनका ऑटो मोबाइल का पुश्तैनी बिजनेस था, लेकिन एक घटना ने उनकी जिंदगी बदल दी।

वे एक काम से जयपुर गए, जहां वे पेट्रोल लेने एक पेट्रोल पंप पर गए। उसी दौरान एक युवक ने मोबाइल रिसीव किया, जिससे वहां आग लग गई। मुर्तजा ने इसका कारण जानने के लिए स्टडी शुरू की। इस तरह उन्होंने फ्यूल बर्न रेडियेशन टेक्नोलॉजी का अविष्कार किया। इस टेक्नोलॉजी के जरिए जीपीएस, कैमरा या अन्य किसी उपकरण के बगैर ही किसी भी वाहन को ट्रेस किया जा सकता है। उनके इस अविष्कार को एक कंपनी ने खरीद लिया और बदले में उन्हें मोटी रकम मिल गई।

इस राशि को देश के शहीद परिवार को समर्पित करने का निर्णय लिया है। कोटा कॉमर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन करने वाले मुर्तजा कहते हैं कि पुलवामा अटैक बहुत बड़ी घटना थी। मैं हर सूरत में शहीदों के परिजनों की मदद करना चाहता था। बहरहाल आविष्कार करने का मुर्तजा का जुनून अभी मंद नहीं पड़ा है। आने वाले समय में वह कुछ और महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर काम करना चाहते हैं।

 



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