फिल्म समीक्षा:बटुए के लिए हानिकारक ठर्रे जैसी वोदका डायरीज

पेज-थ्री            Jan 19, 2018


डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।
वोदका पीना सेहत के लिए हानिकारक है, क्योंकि इसमें अल्कोहल होता है। इसी तरह वोदका डायरीज देखना आपके बटुवे के लिए हानिकारक है। यह फिल्म हॉलीवुड की शटर आईलैंड से प्रेरित बताई जा रही है। कहने को मर्डर मिस्ट्री है, लेकिन इंटरवल के पहले ही दर्शकों को आभास हो जाता है कि कहानी में क्या लोचा हो सकता है? कहानी मनाली (हिमाचल प्रदेश) के एक एसीपी की है। हिमाचल प्रदेश में पुलिस कमिश्नर सिस्टम कहां है भई? अब आप अंदाज लगा लो कि वोदका में कितना नशा होगा।

फिल्म का हीरो एक जगह अपनी कवयित्री पत्नी से कहता है कि क्राइम में भी आर्ट छुपा है। कविता में लोग दिल चुराते हैं, अपराध में भी दिल निकाल ले जाते हैं। फिल्म के अनुसार अपराध और कविता में कोई खास अंतर नहीं है। दोनों में ही जान दी और ली जाती है। फिल्म मनाली की खूबसूरत वादियों में फिल्माई गई है और वो भी जब तब वहां बर्फबारी हो रही थी। बर्फबारी का समय सीमित होता है, इसलिए भागते-दौड़ते 22 दिन में फिल्म का शेड्यूल पूरा किया गया। यह हड़बड़ी फिल्म के कई दृश्यों में नजर भी आती है।

इंटरवल तक फिल्म बेहद दिलचस्प लगती है, लेकिन फिल्म का लोचा समझ में आने लगता है। अगर दर्शक यह अनुमान लगा ले कि कहानी में क्या पेंच हो सकता है और उसका अनुमान सही निकले, तो कहानी बेजान हो जाती है। अंत आते-आते फिल्म में संभावनाएं सही निकलती हैं और उससे आगे भी कुछ बात होती है। शुरू में ही पति-पत्नी के व्यवहार में असामान्य संवाद सुनकर अंदाज हो जाता है कि कुछ न कुछ गड़बड़ है।

हॉलीवुड फिल्मों की नकल करके यह फिल्म बनाई गई है। मनाली की सुंदर वादियां दर्शकों को लुभाती है और के.के. मेनन का अभिनय भी। राइमा सेन और मंदिरा बेदी की अपनी दिक्कतें है। राइमा को हिन्दी बोलने में दिक्कत होती है और मंदिरा ओवर एक्टिंग की शिकार है। निर्देशक कुशल श्रीवास्तव इस थ्रिलर को बनाने में कहीं न कहीं चूक गए है। फिल्म का संगीत थ्रिलर फिल्मों के भड़भड़कूटे जैसा है। मैं कहानी का रहस्य बताकर फिल्म की बची-खुची संभावना खत्म नहीं करना चाहता। वोदका के नाम पर ठर्रे का शौक हो, तो नोश फरमाएं।

 


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