फिल्म समीक्षा:बड़े पर्दे पर वीडियो गेम की तरह रेस-3

पेज-थ्री            Jun 18, 2018


डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी।
रेस-3 के अंत में बता दिया गया है कि रेस अभी खत्म नहीं हुई है, यह जारी रहेगी, लेकिन उस रेस में कौन कौन दौड़ेगा, यह राज रखा गया है। रहस्य, रोमांच, ट्विस्ट, नाच गाना, हीरो और हीरोइन दोनों का अंग-प्रदर्शन, डब्ल्यूडब्ल्यूई की तरह जैकलिन और डैसी शाह की कुश्ती, कार रेस, धूम की तरह बाइक रेस, 10 गाने, मिक्स मार्शल आट्र्स और न जाने क्या-क्या है? यह फिल्म थ्रीडी में भी है और अगर थ्रीडी में देखे, तो लगता है कि आप कोई वीडियो गेम का हिस्सा हैं।

पुरानी रेस की तरह इसमें घोड़ों की दौड़ नहीं है। सलमान खान और जैकलिन की नई जोड़ी है। पहले जैकलिन की जगह दीपिका को कास्ट किया गया था, लेकिन अंत में जैकलिन को लिया गया। दुबई, बैंकॉक, कम्बोडिया और मुंबई के मेहबूब स्टुडियो में फिल्म की शूटिंग हुई है। जेसलमैर की कमी अबू धाबी में शूट करके की गई।

4 साल बाद इस फिल्म में बॉबी देओल भी नजर आ रहे हैं और उन्हें सलमान के समानांतर खड़ा करने की कोशिश की गई है। हुमा कुरैशी के भाई शाकिब सलीम भी प्रमुख रोल में हैं। सलमान की एंट्री अलग तरीके से दिखाई गई है और फिल्म में उनका नाम रखा गया है सिकंदर।

रेस-3 फिल्म में कोई किसी का नहीं है। भाई-भाई का नहीं, दोस्त-दोस्त का नहीं, सारे रिश्ते-नाते केवल पैसे पर केन्द्रित है। इस फिल्म से लगता है कि हमारे फिल्मी गुंडों की हैसियत काफी बड़ी हो गई है। पहले वे चिरकुटी अफीम-गांजा तस्करी करते थे, लेकिन अब बड़े-बड़े हथियार बनाने के कारखाने अवैध रूप से खोल रखे है और वे द्वीपों के मालिक हैं। जब इतना मसाला हो, तब फिल्म में कहानी तो कुछ न कुछ गढ़नी ही पड़ती है।

दस साल पहले रेस सीरिज की पहली फिल्म आई थी, जिसने दर्शकों की मानसिकता ही बदल दी। इस फिल्म ने दर्शकों का मनोरंजन तो किया ही, फैशन के नए आयाम भी दिखाए। इस एक्शन थ्रिलर फिल्म में ऐसे कई दृश्य थे, जो हिंदी फिल्म दर्शकों ने पहली-पहली बार देखे।

रेस में दर्शकों ने बहुत से सितारों की ऐसी एक्टिंग देखी, जो उन्हें रोमांचित कर गई। रेस में नीति, चरित्र, प्रतिबद्धता, वफादारी जैसी बातों के अलावा सब कुछ देखा। वफादारी की जगह चालाकी, निष्ठा की जगह अवसरवादिता और सादगी की जगह भव्यता के दर्शन कराये गए। चमक दमक को नए तरीके से परिभाषित किया गया रेस सीरिज की सभी फिल्मों में।

रेस फिल्म में ट्विस्ट ही ट्विस्ट होते हैं। सनी देओल के शब्दों में कहें तो ट्विस्ट पे ट्विस्ट, ट्विस्ट पे ट्विस्ट, ट्विस्ट पे ट्विस्ट... कौन सा जोड़ीदार कब बदल जाए, कहा नहीं जा सकता। जिसे नायक माना जाता हैं वह खलनायक निकल जाता है। उसका साथ देने वाली हीरोइन भी कब अपना रवैया बदल दे, कहा नहीं जा सकता।

रेस के एक्शन सीन ऐसे फिल्माए जाते हैं कि दर्शक हे भगवान् या ओएमजी ही कहता रह जाता हैं। घोड़ों की रेस हो या कारों की, जब फिल्म का नाम ही रेस है तो रेस तो होगी ही। फिल्मों में कार-रेस तो आम बात हो गई है, लेकिन रेस फिल्म में कार रेस साधारण कारों की दौड़ नहीं होती है। इसमें होती है लम्बोर्गिनी, ऑडी, फेरारी, मर्सीडीज आदि कारों की दौड़।

रेस फिल्म का हीरो बेहद रईस होता हैं। दर्शक उसके कपड़े, बालों का स्टाइल, सन ग्लासेस, बैल्ट, जूते, टाई, मफलर, कैप आदि ही देखते रह जाते हैं। लगता है कि फिल्म का हीरो एक्टिंग करने नहीं, मॉडलिंग करने के लिए पर्दे पर आया है। उसके साथ की हीरोइन्स का भी क्या कहना? इस फिल्म में हीरो गैन से नहीं, रॉकेट लांचर से लड़ता है।

बड़े पर्दे पर थ्रीडी में वीडियो गेम का मजा लेना हो, तो फिल्म बुरी नहीं है। ईद का इस फिल्म से कोई संबंध नहीं है।

 



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