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फिल्म समीक्षा:इंटरवल तक ही बननी चाहिए थी राब्ता

पेज-थ्री            Jun 12, 2017


डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।
राब्ता देखकर लगता है कि कुछ फिल्में केवल इंटरवल तक ही बननी चाहिए। उसके बाद फिल्म देखने के लिए दर्शकों को फीस का पेमेंट लाजिमी है। राब्ता के बारे में यही कहा जा सकता है। प्रेम कहानी और पुर्नजन्म को लेकर कई फिल्में बन चुकी हैं, लेकिन इतनी भंकस फिल्म शायद ही कोई हो। मधुर गाने भी जिस परिस्थिति में दिखाए गए हैं, उससे लगता है कि ये गाने तो एफएम पर ही अच्छे लगते हैं। गाने और चित्रण का कुछ तालमेल तो होना चाहिए। प्रेम कहानी में ऐसे डायलॉग भी अच्छे नहीं लगते जैसे इस फिल्म में है - ‘लड़कियों को बंगला चाहिए, न की कंगला’, ‘लड़की हीरो पर नहीं, हीरे पर मरती है’ और ‘जो लड़ सकते हैं, वे ही प्रेम कर सकते हैं’ आदि। एक और डायलॉग है - ‘लड़ाइयां सिर्फ लड़ी नहीं जाती, खेली भी जाती हैं’। फिल्मकार शायद प्रेम को भी लड़ाई या खेल समझता है।

यहां तो लीडिंग अखबार की हेडलाइन्स भी शाम तक याद नहीं रहती और इस फिल्म की हीरोइन को सैकड़ों साल पहले के जन्मों की पूरी दास्तान याद रहती है। शायद उसके मां-बाप और दादा-परदादा ने केवल बादामें ही खाई होगी। पिछला जन्म भी ऐसा मानो रीपिट टेलीकास्ट चल रहा हो। ठीक है भाई, कहानी है पर कम से कम ऐसी कहानी तो बनाओ कि विश्वास किया जा सकें। सुशांत सिंह राजपूत और कृति सेनन ने भले ही कितनी भी अच्छी एक्टिंग की हो, उनका करियर तो दांव पर लग ही गया। रोमांटिक थ्रिलर के नाम पर जो कुछ परोसा गया है, वह यातना की तरह है। टी-सीरिज का नाम आते ही यह भरोसा होता है कि गाने ठीक-ठाक होंगे और वे है भी।

टी-सीरिज वाले वाकई चतरे हैं। वे ऐसे गानों पर ध्यान देते हैं, जिनसे कमाई हो सकें। फिल्म से उन्हें लेना-देना ज्यादा होता नहीं। ऐसे में प्रोड्यूसर दिनेश विजन को चाहिए था कि वे अपना विजन लगाते। यो भी राब्ता का अर्थ होता है संबंध या कनेक्शन। लंदन, बुडापेस्ट और मॉरिशस के खूबसूरत जंगलों और झरनों के अलावा इस फिल्म में स्वर्ण मंदिर के भी दर्शन होते है।

प्रेम कहानी के नाम पर फिल्म में प्रेम को इतने हल्के तरीके से दिखाया गया है, मानो वह कोई चॉकलेट या पिज्जा हो। वन नाइट स्टेंड, टू नाइट स्टेंड जैसी बातें एक खास उम्र तक के बच्चों को पसंद आ सकती है। प्रेम की गहराई में उतरने के लिए कहानी में जान होनी चाहिए। दो जिस्म और एक जान वाली बात ऐसे ही नहीं कही जाती। यह बात ठीक है कि फिल्म में बहुत सारे ट्विस्ट है, कई घुमावदार मोड़ भी है, लेकिन हर ट्विस्ट और हर मोड़ पर (और हर जन्म में भी) जीतने वाला ही जीतता रहे और हारने वाला ही हारे, यह कहां संभव है? फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने फिल्म से गालियों वाले वाक्य और कुछ बोल्ड सीन हटा दिए हैं। इस फिल्म के निर्देशक पर तेलुगु फिल्म मगधीरा की कहानी चोरी करने का मामला भी कोर्ट तक गया था। एक पंजाबी गायक ने इस फिल्म के गाने ‘मैं तेरा बॉयफ्रेंड’ पर भी चोरी का आरोप लगाया था।

राब्ता में अतिथि भूमिका में दीपिका पादुकोण और राजकुमार राव भी हैं। जिम सर्भ ने एक प्रमुख भूमिका निभाई है, जो पहले नीरजा में नजर आए थे। अरिजीत का ‘इक वारी आ’ गाना और टाइटल सांग मधुर है। पाश्र्व संगीत अच्छा है। राजकुमार राव ने केवल 324 साल के बाबा आदम के जमाने के बुड्ढे का रोल किया है।

 



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