लोकतंत्र पर 'सांप्रदायिक और दमनकारी ताकतों' द्वारा हो रहे है हमले - सोनिया गाँधी

राजनीति            Aug 09, 2017


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को देश में लोकतंत्र पर 'सांप्रदायिक और दमनकारी ताकतों' द्वारा हो रहे हमले को लेकर चिंता जाहिर की। सोनिया ने 'भारत छोड़ो आंदोलन' के 75 साल पूरे होने पर बुलाए गए लोकसभा के विशेष सत्र के दौरान कहा कि भारतीय लोकतंत्र की नींव को कमजोर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

सोनिया ने कहा, "जब हम भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, लोगों के मन में संदेह है कि क्या भय और अंधी ताकतें फिर से उभर रही हैं। क्या यह भय आजादी के ऊपर हावी नहीं हो रहा है? क्या लोकतंत्र की नींव को नष्ट करने के प्रयास नहीं हो रहे हैं? वैचारिक आजादी, अभिव्यक्ति की आजादी, धार्मिक आजादी एवं समानता और सामाजिक न्याय की आजादी एक कानून पर चलने वाले ढांचे पर आधारित हैं।"

सोनिया के मुताबिक, "भारत छोड़ो आंदोलन हमें विभाजनकारी, सांप्रदायिक और संकीर्ण विचारधाराओं का बंदी नहीं बनने की बात याद दिलाता है। महात्मा गांधी के नेतृत्व में हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने एक समावेशी, लोकतांत्रिक और न्यायप्रिय भारत के लिए लड़ाई लड़ी। यह विचार हमारे संविधान में स्थापित था।"

उन्होंने कहा, "लेकिन ऐसा मालूम पड़ रहा है कि नफरत की विभाजनकारी राजनीति के बादल छा रहे हैं। ऐसा लगता है कि धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और उदार मूल्य व्यवस्था खतरे में है।"

उन्होंने कहा, "असहमति जताने और सार्वजनिक स्थानों पर बहस की गुंजाइश घट रही है। कई बार कानून के ऊपर गैर-कानूनी शक्तियां हावी होती दिखती हैं।"

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि विभाजनकारी शक्तियों से लड़ने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, "अगर हम अपनी आजादी को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो हमें दमनकारी ताकतों से लड़ना होगा, इससे कोई फर्क नहीं पढ़ता कि वे कितनी मजबूत और शक्तिशाली हैं। हमें उस भारत के लिए लड़ना होगा, जिसमें हम विश्वास रखते हैं, जिसे प्यार करते हैं और जहां सभी आजाद हैं।"

कांग्रेस अध्यक्ष ने इस बात का जिक्र किया कि भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव जवाहर लाल नेहरू द्वारा लाया गया था और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने उसका समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे संगठन व तत्व थे, जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया और इसमें भाग नहीं लिया, इन तत्वों ने स्वतंत्रता दिलाने में कोई भूमिका नहीं निभाई।

भाषण की शुरुआत में सोनिया ने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने वाले और आजादी के संघर्ष में अपनी जान कुर्बान करने वाले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि दी।



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