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कर्नाटक सरकार का बड़ा चुनावी दांव,लिंगायत को अलग धर्म की मान्यता

राजनीति            Mar 19, 2018


मल्हार मीडिया ब्यूरो।
कर्नाटक में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले सत्तारूढ़ दल कांग्रेस ने लिंगायत को अलग धर्म की मान्यता देकर बड़ा दांव खेल दिया है। कांग्रेस के इस दांव से बीजेपी के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है।

गौरतलब है कि कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के लोगों की संख्या राज्य की कुल आबादी की 17 से 18 फीसदी है। बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा भी इसी समुदाय से आते हैं। भाजपा ने विवादित येदियुरप्पा को सीएम पद का दावेदार बनाकर इस समुदाय को लुभाने की कोशिश की थी।

हालांकि, अब कांग्रेस ने नया दांव खेला है. राजनीतिक कारणों की वजह से बीजेपी कांग्रेस के इस कदम का विरोध कर रही है. इससे लिंगायतों के बीजेपी से रूठकर कांग्रेस के खेमे में जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं.

कर्नाटक सरकार ने लिंगायत समुदाय की अलग धर्म की मांग को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने नागमोहन दास कमेटी की सिफारिशों को मान लिया है। साथ ही कैबिनेट ने लिंगायत समुदाय के अलग धर्म को मान्यता देने को स्वीकृति दे दी है।

सरकार के फैसले के बाद लिंगायत समुदाय के लोग अलग धर्म का पालन कर सकते हैं। इससे पहले लिंगायत समुदाय के लोगों ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से मुलाकात करके उनके धर्म को अलग मान्यता देने के साथ उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग की थी।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से टोंतदार्य मठ के स्वामी सिद्दिलिंगा से मुलाकात की, इस दौरान उन्होंने नागमोहन दास कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की मांग की थी। उन्होंने मांग की थी कि लिंगायत को अलग धर्म की मान्यता के साथ अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए। जिसे आखिरकार कर्नाटक सरकार ने स्वीकर कर लिया।

मुलाकात के बाद स्वामी ने कहा कि हमारी लड़ाई नई नहीं है, हम 900 साल से इसके लिए लड़ रहे हैं। आपको बता दें कि भाजपा और तमाम हिंदू संगठन ने हमेशा इसका विरोध किया और लिंगायत व वीरशैव को अलग धर्म देने की खिलाफत की।

इन लोगों ने सिद्धारमैया सरकार पर आरोप लगाया है कि वह प्रदेश में लोगों को राजनीतिक लाभ के लिए बांट रही है। भाजपा नेता बीएस येदुरप्पा ने कहा था कि वह समाज को बांटने नहीं देंगे और लिंगायत को अलग धर्म के रूप में नहीं स्वीकार करेंगे।

 



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