मप्र - आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उज्जैन प्रवास से राजनीतिक हल्कों में हलचल

राजनीति, राज्य            Jan 02, 2018


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के मध्य प्रदेश के उज्जैन प्रवास ने राजनीतिक हल्कों में हलचल मचा दी है। भागवत 30 दिसंबर से यहां डेरा जमाए हुए हैं। मंगलवार को उन्होंने दलितों और आदिवासियों के बीच खास तौर पर पैठ बनाने पर जोर दिया। इसकी वजह गुजरात नतीजों को माना जा रहा है। संघ के सूत्रों का कहना है कि संघ प्रमुख भागवत बुधवार को भी कुछ विशिष्टजनों से चर्चा करेंगे। इस चर्चा का विषय मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव और 2019 में लोकसभा चुनाव हो सकते हैं।

संघ के सूत्रों के मुताबिक, संघ प्रमुख भागवत 30 दिसंबर से उज्जैन में हैं। बीते तीन दिनों में उन्होंने अगल-अलग लोगों से संवाद किया। इस दौरान उनका विशेष जोर सामाजिक समरसता पर रहा। साथ ही उन्होंने अनुशांगिक संगठनों के प्रतिनिधियों से कहा कि "हर वर्ग में अपनी पैठ बनाना हमारा लक्ष्य है। बात किसी भी क्षेत्र की हो, वहां हमारी उपस्थिति आवश्यक है। दलित, वनवासी बहुल क्षेत्रों में संघ और उससे जुड़े संगठनों को अपनी पैठ बढ़ानी होगी।" उनका इशारा गुजरात चुनाव नतीजों की ओर था, क्योंकि वहां पिछड़े, दलित और आदिवासी वर्ग के भाजपा से छिटकने से पार्टी को नुकसान हुआ है।

संघ के एक पदाधिकारी कहा कि यह अखिल भारतीय स्तर का शिविर है और इसमें प्रमुख लोगों को ही बुलाया गया है।

संघ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "इन बैठकों में संघ के बोद्धिक, प्रचार, संपर्क, सेवा, व्यवस्था सहित अन्य विभागों के प्रमुख हिस्सा ले रहे हैं। इन बैठकों में हिस्सा लेने वालों की संख्या बमुश्किल 30 है।"

चार जनवरी को संघ प्रमुख उज्जैन में निर्मित भारत माता मंदिर का लोकार्पण करेंगे। उनके यहां पांच जनवरी तक रहने का कार्यक्रम है।

सूत्रों का कहना है कि संघ नहीं चाहता कि मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव और आम चुनाव में गुजरात की छाया नजर आए। गुजरात में हार्दिक पटेल, अल्पेश और जिग्नेश ने जिस तरह नुकसान पहुंचाया है, वैसा अन्य किसी जगह नहीं होना चाहिए। यही कारण है कि आगामी समय में भाजपा संगठन और सरकारों में इन वगरें के लोगों को खास महत्व दिया जा सकता है।

सूत्रों के मुताबिक, भाजपा संगठन के बड़े नेता और राज्य सरकार के कई मंत्री भागवत से मिलने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं, मगर अभी तक किसी से भी उनकी मुलाकात का वक्त तय नहीं हो पाया है। भागवत के इस रुख ने राज्य की सियासत में हलचल मचा दी है।



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