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पार्टी के नंबर कम करेंगे स्मृति और चिंतामणि

राजनीति            Oct 24, 2018


श्रीप्रकाश दीक्षित।
देश की बड़ी अदालतों याने सुप्रीम कोर्ट और प्रदेशों के हाईकोर्ट पर मोदी सरकार की निगाह शुरू से ही टेढ़ी बनी हुई है. इसके बारे में विस्तार से जाने की जरूरत नहीं क्योंकि उत्तराखंड की बर्खास्त सरकार की बहाली करने वाले जज की राह में रोड़े और न्यायिक आयोग के मार्फ़त दरबारी जजों की नियुक्ति में विफल हो जाने के बारे में सब जानते हैं.

बड़ी अदालतों के बारे में मोदी सरकार की खुन्नस से प्रोत्साहित होकर ही शिवराजसिंह चौहान जैसे मुख्यमंत्री भी बड़ी अदालतों के फैसलों पर, कोई माई का लाल नहीं कर सकेगा ऐसा,जैसे दुस्साहसी बयान देते रहे हैं.

अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा दीवाली पर पटाखे फोड़ने का समय निर्धारित करने के तुरंत बाद उज्जैन से पार्टी सांसद चिंतामणि मालवीय ने इसकी अवहेलना करने का सार्वजनिक बयान देकर पार्टी की फजीहत ही कराई है.कौन शांतिप्रिय नागरिक है जो दीवाली की रात होनेवाली कानफोड़ू और खतरनाक आतिशबाजी से परेशान ना होगा.इनसे होने वाला प्रदूषण भी जानलेवा साबित हो रहा है.

बेहद जूनियर होते हुए भी राज्यसभा सदस्य स्मृति ईरानी को मोदी सरकार में मानव संसाधन जैसा महत्वपूर्ण महकमा मिलने पर राजनैतिक हल्कों में आश्चर्य व्यक्त किया गया था.जल्द ही उनकी प्रशासनिक क्षमता की पोल खुलने लगी और मानव संसाधन विभाग छीन उन्हें कपड़ा मंत्रालय थमा दिया गया.

बाद में सूचना प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया पर फ्लाप होने पर वापस ले लिया गया.इन्हीं स्मृति ईरानी ने महिला होते हुए सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट आदेश के विरोध में बेतुका बयान देकर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है.

देश का आम नागरिक मजहबी अराजकता से ऊब गया है.रही सही कसर आशाराम और राम रहीम आदि की असलियत सामने आने से पूरी हो गई है. ऐसे में स्मृति और चिंतामणि जैसों के उकसाने वाले बयान पार्टी के नंबर ही कम करेंगे.



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