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मध्यप्रदेश में मचे घमासान के संदर्भ में ऊंट पर सवार मचके की कहानी को समझना जरूरी

राजनीति            Feb 22, 2019


राकेश दुबे।
प्रतिदिन लिखने बैठा तो राजनीतिक घमासान पर एक कहानी याद आ गई। मचके भाई की कहानी।

एक खानदानी युवराज था, उसके पिता भी राजा थे। दादी भी और और उनके पिता भी। इस बड़ी रियासत के एक राज्य की चौकीदारी के लिए उन्हें एक ऐसे चौकीदार की जरूरत थी जो ऊंट पर बैठकर उनके राज्य के छोटे-छोटे इलाकों में चौकीदारी कर सके।

रिक्ति निकाली गई तो बहुत सारे लोग ऊंट पर बैठने और चौकदारी करने को हाजिर हो गये। इस इलाके में पहले वर्षो से जिसका कब्जा था उसे खदेड़ना पहला काम था, ट्रायल के तौर सारे आवेदकों की टीम उतार दी गई।

कुछ भाग्य से, कुछ पहले से काबिज चौकीदार के कारनामों, तो कुछ प्रचार से इलाके पर कब्जा हो गया। अब सवाल था ऊंट पर बैठे कौन ?

कब्जा हटवाने वालों में सब थे मचके भाई से लेकर सिपाही राजा महाराजा सेठ जी सब। युवराज पशोपेश में।बाहर सलाह की, घर में सलाह की और आखिर सेठ को ऊंट पर बैठा दिया।

सेठ बूढ़े थे ऊंट जवान था, एक पुराना महाराजा जवान था, उसे यह पसंद नहीं आया तो उसे युवराज ने कहीं और भेज दिया।

ऊंट अपनी गति से चलता है, सवार को उसकी गति से तालमेल बैठा कर मचकना होता है। बूढ़ा सेठ मचक नहीं सकता था मचकता तो उसे दर्द होने लगता।

इधर शिकायत होने लगी ऊंट ठीक नहीं चल रहा है, शिकायत करने वाला ऊंट की सवारी कर चुका था।

युवराज ने पूछा ऐसा क्यों हो रहा है ? लोगों ने कहा सवार के मचकने से ऊंट समझता है किधर जाना है।

युवराज ने फैसला किया सवार वही रहेगा, शिकायत करने वाले को मचकने का अनुभव है तो मचके। तब से मचके भाई मचक रहे हैं, सवार अपनी जगह और मचके भाई अपनी जगह।

मध्यप्रदेश के वर्तमान सन्दर्भ से इस कहानी को जोड़ना गलत है, पर सुधार के लिए समझना जरूरी है।

मध्यप्रदेश के मंत्रियों का मंदसौर गोलीकांड, नर्मदा किनारे पौधारोपण और सिंहस्थ में हुए घोटाले के मामले में शिवराज सरकार को क्लीन चिट देने पर मचा घमासान अभी थम नहीं रहा है, और इस कहानी के आसपास ही घूम रहा।

कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर तल्खी दिखाई है,उन्होंने कहा कि मंदसौर गोलीकांड पर किसी को क्लीनचिट नहीं दी गई है। उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस सरकार में भाजपा के नुमाइंदे बैठे हुए हैं।

कुछ अधिकारी कर्मचारी खुद को बचाने के लिए मंत्रियों से ऐसा कहलवा रहे हैं। वहीं दिग्विजय सिंह की डांट के बाद अब जयवर्धन सिंह ने भी सफाई दी है। उन्होंने मीडिया से कहा कि अभी उनके विभाग में सिंहस्थ घोटाले का मामला आया नहीं है, जब आएगा तो उसकी निष्पक्षता से जांच की जाएगी।

वहीं, वन मंत्री उमंग सिंघार के चिट्ठी लिखने के सवाल पर दिग्विजय सिंह जवाब देने से बचते रहे।

मुद्दा पिछली शिवराज सरकार को क्लीन चिट का है। इनमें कई वो मुद्दे हैं, जिन्हें लेकर विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने जमकर हंगामा किया था। गृहमंत्री बाला बच्चन ने मंदसौर गोलीकांड में और जयवर्धन सिंह ने सिंहस्थ घोटाले में शिवराज सरकार को क्लीन चिट दी।

दिग्विजय की नाराजगी के बाद बाला बच्चन ने सफाई दी थी। अब नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने सफाई दी है।

जयवर्धन सिंह ने कहा सिंहस्थ मामले की रिपोर्ट पिछली सरकार द्वारा विधानसभा में पेश की गई थी। ये रिपोर्ट अभी तक नगरीय प्रशासन विभाग तक नहीं पहुंची है।

जब भी फाइल विभाग तक पहुंचेगी, तब इस मामले की निष्पक्ष जांच जरुर की जाएगी। महोदय, निष्पक्ष तो तब होगी जब सरकार में बैठे कुछ लोग सच में बदले जायेंगे।

 



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