बदली-बदली सी सरकार नजर आई विधानसभा में कल भाजपा आज कांग्रेस

राज्य            Jan 16, 2019


 बृजेश राजपूत।
दृश्य एक: मध्यप्रदेश की पंद्रहवीं विधानसभा का पहला सत्र। इंदिरा विधान भवन के बाहर जहां प्रवेश पत्र बनाये जाते हैं उस काउंटर पर उतावले लोगों की भीड। सभी को अंदर जाने की बेताबी। हर तरफ चार पहिया वाहनों की बेतरतीब भीड़। तकरीबन यही हाल विधान भवन के अंदर की दीर्घाओं और गलियारों का भी था।

ये सारे वो लोग थे जो अपने जन प्रतिनिधियों को जिताकर उनके साथ विधानसभा भवन आये थे और अपने नेताओं को सदन में शपथ लेते देखना चाहते थे। हर ओर भीड ही भीड। विधानसभा के सुरक्षा अधिकारी भी ये भीड़ देखकर भौंचक थे। इतनी भीड़ उन सब ने पहले नहीं देखी थी। इस भीड़ को रोक टोक की मनाही थी।

बस किसी तरह मामूली सी सख्ती के साथ इनको रोका जा रहा था यहां मत जाइये वहां मत जाइये। नव नियुक्त विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति भी कहते हैं कि भई मैंने अपने कक्ष के दरवाजे भी सबके लिये खोले हुये हैं, किसी को कोई रोक टोक नहीं, मगर ये सब हैं कौन ? अरे ये सब जनता है जो दूर दूर से आयी है, पंद्रह साल से ये सब बेताब थे अपने नेताओं को लोकतंत्र के इस सबसे बड़े मंदिर में इस शान के साथ आते देखने के लिये। भैय्या यही तो बदलाव है और इस बदलाव को आने में पंद्रह साल लगे हैं।

दृश्य दो : विधानसभा भवन के अंदर का मुख्य सदन। यहां भी सब कुछ बदला—बदला ही है। वो बीजेपी के माननीय सदस्य जो विधानसभा अध्यक्ष के दाहिने तरफ की बैंचों पर पिछले पंद्रह साल से बैठते आये थे वो इस बार बायीं तरफ बैठे दिख रहे थे। इस सदन की वो सीट जिस पर सदन का नेता बैठता है और जिस सीट पर सबकी नजर होती है उस सीट पर बड़ा बदलाव हुआ है। पिछले तेरह साल से सदन का नेता जिसे बाहर के लोग मुख्यमंत्री कहते हैं उस सीट पर शिवराज सिंह चौहान बैठते आ रहे हैं वहां पर हमेशा ऑफ वाइट रंग के कुर्ता पाजामा पहनने वाले कमलनाथ बैठे दिख रहे हैं।

सदन की चिर परिचित आवाज शिवराज सिंह कमलनाथ के ठीक सामने की विपक्षी दल की बैंच पर बैठे हैं। शिवराज के चेहरे पर वो चमक और आवाज में वो खनक नदारद है जिसके लिये उनको जाना जाता रहा है। शिवराज सरकार के संकटमोचक पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी श्रीहीन दिख रहे हैं। उनके ललाट पर चमकने वाला लाल टीका की रंगत उड़ी हुयी है। उनको घेरने वाले विधायकों की भीड़ गायब है।

थोड़ी देर देखने के बाद लगा उनके विधायक ही उनसे बच कर गुजर रहे हैं और उधर सामने की तरफ मंत्रियों की आगे लगी बैंचों पर सारे नये चेहरे दिख रहे हैं। उसमें भी नयी उमर के मंत्री ज्यादा हैं। विधानसभाध्यक्ष की कुर्सी पर एनपी प्रजापति हैं जिनकी भाषा और मुस्कान में कौन ज्यादा मोहक है अंदाजा लगाना मुश्किल है।

दृश्य तीन : ये क्या सदन से बहिर्गमन कर बीजेपी के सारे एक सौ नौ विधायक विधानसभा भवन से बाहर सडक पर निकल आये हैं और जा रहे हैं महामहिम राज्यपाल के भवन की ओर इनकी अगुआई शिवराज सिंह कर रहे हैं जो चलते चलते मीडिया से बात कर रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि सदन के अंदर कांग्रेस सदस्यों ने मनमानी की है विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में उनकी नहीं सुनी गयी और नियम विरूद्ध अपना अध्यक्ष चुन लिया।

बीजेपी के अधिकतर नेता इसे लोकतंत्र की हत्या बता रहे हैं मगर नेताओं का ये बड़ा सा दल कोई ढंग का नारा भी जोश के साथ नहीं लगा पा रहा है। मेरे साथ चल रहे हमारे शर्मा जी कहते हैं यार इनको नयी भूमिका और नये रोल में आने में अभी वक्त लगेगा फिलहाल तो ये सब सदमे में हैं ऐसा लग रहा है।

सच मानें तो मैंने भी करीब पंद्रह साल बाद बीजेपी नेताओं का ऐसा प्रदर्शन और मार्च देखा क्योंकि कुछ दिनों पहले तक ये सारे काम वो लोग कर रहे थे जो आज अंदर सदन में बैठकर इन बीजेपी नेताओं को जाओ जाओ के वैसे ही इशारे कर रहे थे जैसे पहले एक सौ साठ बीजेपी विधायक तकरीबन साठ कांग्रेस के सदस्यों के किया करते थे और ऐसे विरोध प्रदर्शनों पर हंसते थे। वक्त का पहिया ऐसा घूमा है कि सबके रोल बदल गये हैं भूमिकायें बदल गयीं हैं। मतलब काम वही लोग नये।

यही हमारे लोकतंत्र की खूबसूरती है कि कितनी शांति से सत्ता परिवर्तन हो जाता है, शासन चलाने वाले सूत्रधार बदल जाते हैं मगर शासन जनता के नाम पर वैसा ही चलता रहता है..
बदलाव के दो दृश्य और हैं जो लंबे समय तक आंखों में तैरते रहेंगे। पर्यटन मंत्री हनी बघेल की नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेघा पाटकर के दफ्तर जाकर उनके सांथ जमीन पर बैठकर बातें करना और कृषि मंत्री सचिन यादव का नरसिंहपुर से आये गन्ना किसानों से मिलने के लिये उनके सामने नीचे जाकर बैठ जाना और कहना मैं भी किसान हूं। पुराने मंत्रियों में ये विनम्रता ढूढ़े नहीं मिलती थी। इसलिये लिख रहा हूं बदली बदली सरकार नजर आती है।

 



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