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कमलनाथ सरकार:असली परीक्षा तो निकाय चुनाव हैं

राज्य            Jun 17, 2019


पंकज शुक्ला।
मध्यप्रदेश में डेढ़ दशक बाद सत्ता में आई कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार 17 जून को अपने शासनकाल के छह माह पूरे करने जा रही है। नाथ सरकार के मंत्री और कांग्रेस के नेता अपनी सरकार के छह माह की उपलब्धियों के साथ जनता के बीच जा रहे हैं।

ये उपलब्धियां कमोवेश वही हैं जो लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के वक्त बताई थीं। तब कमलनाथ ने कहा था कि 75 दिन के शासनकाल में 83 वादे पूरे किए हैं। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होने के बाद उपलब्धियों की सूची में कुछ इजाफा हुआ है।

इन छह माहों में लगभग 3 माह आचार संहिता में खोने वाली कांग्रेस सरकार के लिए यह काम की रफ्तार को टॉप गियर में लाने का वक्त है ताकि इस साल के अंत में होने वाले नगरीय निकाय चुनावों में वह अपनी मैदानी पकड़ साबित कर सके।

प्रदेश में भाजपा के 15 साल के शासन के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बनाने वाली कांग्रेस ने वे सारे वादे पूरे करने के जतन किए जो विधानसभा चुनाव से पहले ‘वचन पत्र’ में किए गए थे। नाथ सरकार का जोर किसान कर्ज माफी पर रहा।

कांग्रेस का दावा है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के पहले तक राज्य के 50 लाख किसानों में से 22 लाख किसानों का दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ हो चुका था।

सरकार अब कर्ज माफी के दूसरे चरण को शुरू करने की घोषणा कर चुकी है। उसने किसानों का बिजली बिल आधा किया तो फसल बेचने पर 2 लाख तक का नगद भुगतान किया।

नाथ सरकार ने किसानों के बाद युवाओं पर फोकस करते हुए ‘युवा स्वाभिमान रोजगार योजना’ को आरंभ किया। इस योजना के तहत युवाओं को साल में 100 दिन उनकी पसंद का प्रशिक्षण देने और इस दौरान 4000 रुपये मासिक भत्ता देने का प्रावधान किया गया।

कमलनाथ सरकार ने अपने आरंभिक दिनों में ही पुलिस जवानों को साप्ताहिक अवकाश का प्रावधान किया है तो ग्राम पंचायत स्तर पर गौशाला खोलने के वादे को पूरा करने की प्रक्रिया आरंभ की। पुजारियों का मानदेय 1000 से बढ़ाकर 3000 रुपये मासिक किया है।

उद्योग संवर्धन नीति में बड़ा बदलाव करते हुए स्थापित होने वाले उद्योग में 70 फीसदी भर्ती में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता का वादा किया है।

पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया तो गरीब सामान्य वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया। सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि में बढ़ोतरी की।
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की राशि 12 हजार से बढ़ा कर 51 हजार की।

कमलनाथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री रहते संगठन और सत्ता दोनों मोर्चों को सुदृढ़ करने की जुगत करते रहे मगर इन उपलब्धियों के गुणगान से अधिक कांग्रेस को भाजपा के हमलों का जवाब देने में ऊर्जा गंवानी पड़ रही है।

सरकार को अस्थिर बता कर भाजपा ने सरकार पर विश्वास का संकट खड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बिजली कटौती पर सरकार को बार-बार अपने ही अमले के साथ सख्ती दिखलानी पड़ी। प्रदेश की आर्थिक स्थिति किसी से छिपी नहीं है।

ऐसे में केन्द्र से मिलने वाली राशि में कमी और बकाया ने भी सरकार की चिंता बढ़ा दी है। नाथ चाहते हैं कि विभाग स्वयं भी आय के नए स्रोत खोजें ताकि सरकार का आर्थिक मोर्चा मजबूत हो।

भाजपा अपने कार्यक्रमों के साथ कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखे हुए है और जनता के बीच पहुंच रही है। कांग्रेस में सत्ता और संगठन में बदलाव की सुगबुगाहट है। ऐसे में परीक्षा तो नगरीय निकाय चुनाव ही हैं। लोकसभा में कांग्रेस के प्रदर्शन को देखते हुए नाथ सरकार के आत्मविश्वास पर असर पड़ना स्वाभाविक है मगर इसे भुला कर उसे इस ‘निकाय परीक्षा’ की तैयारी करनी होगी।

 



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