नर्मदा घाटी के गांव-गांव में होने लगा है मेधा पाटकर को गिरफ्तारी का विरोध

राज्य            Aug 21, 2017


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने से डूब में आने वाले मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी के 40 हजार परिवारों के उचित पुनर्वास की मांग को लेकर अनशन करने वाली नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर को गिरफ्तार का धार जेल में रखे जाने का विरोध अब घाटी के गांव-गांव में होने लगा है। 13 दिनों से कैद मेधा व तीन अन्य लोगों की बिना शर्त रिहाई के लिए गांव-गांव से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठियां लिखी जा रही हैं। नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से बताया गया है कि नर्मदा घाटी के लोग मेधा पाटकर, संतू, विजय व धुरजी की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए उन्हें बिना शर्त रिहा करने की मांग कर रहे हैं। वे चिठ्ठी के साथ प्रधानमंत्री को अपने-अपने गांव का चित्र और पुनर्वास की स्थिति का विवरण दे रहे हैं।

192 गांवों के लोगों ने प्रधानमंत्री से सवाल किए हैं कि क्या बिना पुनर्वास नर्मदा घाटी के लाखों लोगों को डुबाया जाएगा? क्या विकास की कीमत लाखों लोगों की जिंदगी से लगाई जाएगी? क्या लाखों की संख्या में जो पेड़ और मवेशी डूबेंगे, वो आपको मंजूर होगा?

मध्यप्रदेश में सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई प्रधानमंत्री के गृहराज्य गुजरात को फायदा पहुंचाने के लिए बढ़ाई जा रही है।

नर्मदा घाटी के लोगों ने प्रधानमंत्री से 32 सालों से चल रहे नर्मदा बचाओ आंदोलन और उसकी मांगों को गंभीरता से लेते हुए जल्द से जल्द मध्यप्रदेश सरकार को नर्मदा घाटी के 192 गांव और एक नगर के लाखों लोगों का आदर्श पुनर्वास करने के निर्देश देने का आग्रह किया है।

आंदोलन से जुड़े लोगों का आरोप है कि जेल में बंद मेधा पाटकर को रिहा न होने देने की सरकार की लगातार कोशिश चल रही है। मेधा को सात अगस्त को धार के उपवास स्थल से जबरिया उठाकर इंदौर के बॉम्बे अस्पताल ले जाया गया और उसके बाद नौ अगस्त को अस्पताल से छुट्टी मिलने पर नर्मदा घाटी की तरफ बढ़ने पर पीथमपुर बाइपास पर उन्हें गैरकानूनी ढंग से गिरफ्तार कर लिया गया था।

उनका कहना है कि 11 अगस्त को कुक्षी न्यायालय में वीडियो कांफ्रेंसिंग में तकनीकी बाधाओं के नाम पर सुनवाई अगले दिन के लिए टाल दी गई। 16 अगस्त को नर्मदा घाटी में न जाने का बांड भरने की शर्त मानने से इनकार करने पर मेधा को जमानत नहीं मिली। इससे स्पष्ट है कि सरकार की मंशा मेधा के जेल में रहते बिना पुनर्वास नर्मदा घाटी के लाखों लोगों को डुबाने की है।

इस बीच किसान संघर्ष समिति की उपाध्यक्ष आराधना भार्गव ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर मेधा और तीन अन्य लोगों को बिना शर्त रिहा करने की मांग की है। उन्होंने पत्र में कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार अपने 40 हजार परिवारों की बलि देकर प्रधानमंत्री को खुश करना चाह रही है। यह कृत्य अलोकतांत्रिक एवं असंवैधानिक है। सरकार को पहले प्रभावितों का पुनर्वास करना चाहिए, उसके बाद ही नर्मदा घाटी में बसे लोगों का विस्थापन हो।



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