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मध्यप्रदेश विधानसभा में हंगामे नारेबाजी के बीच अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव

खास खबर, राज्य            Mar 21, 2018


मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश विधानसभा में आज हंगामे और नारेबाजी के बीच अध्यक्ष पर पक्षपात और सेंसरशिप का आरोप लगाते हुये विपक्ष अवश्विास प्रस्ताव लाया। भाजपा सरकार में पहली बार आसंदी के खिलाफ ये प्रस्ताव आया है।

मंत्री रामपाल की मृतक बहू की मौत पर हुआ हंगामा आज भी थमा नहीं। विधानसभा में विपक्ष बराबर मंत्री और उनके परिवार पर एफआईआर की मांग करता रहा। जोरदार हंगामे के बाद कांग्रेस ने बुधवार को विधानसभा में स्पीकर सीताशरण शर्मा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिया।

नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और डॉ गोविंद सिंह, राम निवास रावत ने विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 145 तथा संविधान के अनुच्छेद 179 ग के तहत स्पीकर के तहत अविश्वास प्रस्ताव संकल्प की सूचना प्रमुख सचिव को दी है।

जिसमें आरोप लगाए हैं कि मंगलवार को विपक्ष ने महिलाओं की सुरक्षा के मामले में स्थगन ग्राह्य करने की सूचना दी थी, जिसे विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा ने खारिज कर दिया। अजय सिंह के अनुसार अध्यक्ष ने जिन तथ्यों के आधार पर सूचना को खारिज किया, वह गलत है। क्योंकि प्रश्नकाल के दौरान पूर्व में भी अति महत्वपूर्ण विषयों पर स्थानगण प्रस्ताव ग्राह किए गए है।

विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष संसदीय कार्यमंत्री के इशारों पर काम कर रहे हैं, हालांकि ये पहली बार नहीं है कि किसी विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो।

इससे पहले जमुना देवी ईश्वरदास लोहाणी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आईं थीं। भूतपूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के खिलाफ तत्कालीन नेताप्रतिपक्ष गौरीशंकर शेजवार अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे और यज्ञदत्त शर्मा और काशीप्रसाद पांडे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है।

संसदीय नियमों के मुताबिक सत्र के 14 दिन पहले अविश्वास प्रस्ताव दिया जाता है जिससे चर्चा हो सके। लेकिन सत्र के अवसान के बाद ये प्रस्ताव ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है। बजट सत्रों में विभाग की अनुदान मांगें संसदीय कार्यमंत्री के दिशा निर्देश पर विपक्ष की अनदेखी कर बिना चर्चा कराए पारित करने का सिलसिला जारी है।

इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष सीतासरण शर्मा का कहना है कि नियम काला कानून नहीं है। ये संशोधन जब सदन में रखे गए थे तब कांग्रेसी वहां मौजूद थे और नियम संशोधन समिति में भी कांग्रेस के 3 विधायक थे।

पटल पर रखे जाने के 7 दिन के भीतर आपत्ति दर्ज कराई जानी चाहिए थी लेकिन कांग्रेस की ओर से आपत्ति नहीं आई। उन्होंने यह भी कहा कि अगर संशोधन के लिए कोई प्रस्ताव आता है तो सरकार उसपर विचार ज़रुर करेगी।

उधर नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव की सूचना में कहा है कि 20 मार्च 2018 को महिला आत्महत्या की गंभीर घटना को लेकर प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष ने कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के लिए आग्रह किया था। लेकिन सरकार ने स्पीकर की बिना अनुमति के विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश की। जिस पर स्पीकर का कोई नियंत्रण नहीं था। इससे स्पष्ट है कि आसंदी निष्पक्ष नहीं है। आसंदी संविधान की भावना के अनुरूप पद पर बने रहने का अधिकार खो चुकी है।

आज सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही प्रश्नकाल में ही विपक्ष ने कैबीनेट मंत्री रामपाल सिंह के मामले को लेकर हंगामा शुरू कर दिया जिसके चलते सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। सदन की कार्रवाई शुरू होते ही कांग्रेस विधायकों ने रामपाल मामले पर दिए गए स्थगन पर चर्चा की मांग की थी, उनका आरोप था कि पीड़ित परिवार के लोगों को धमकाया जा रहा है।

इस मामले में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि वे कल मृतका प्रीति रघुवंशी के परिजनों से भी मिले थे, उनका परिवार बहुत ज्यादा डरा सहमा है। इसके साथ ही कांग्रेस के अन्य विधायकों रामनिवास रावत डॉक्टर गोविंद सिंह आरिफ अकील आदि ने आरोपी मंत्री पुत्र और मंत्री के खिलाफ एफआईआर की भी मांग की।

इस पर स्पीकर ने उन्हें प्रश्नकाल चलने देने के लिए कहा। वहीं संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी बार—बार देहराते रहे प्रश्नकाल को बाधित ना होने दें। लेकिन विपक्षी सदस्य अपनी मांग पर अड़े रहे।

हंगामा बढ़ते देख स्पीकर ने सदन की कार्रवाई 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। सदन की कार्रवाई दोबारा शुरू होते ही विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों ने मंत्री और मंत्री पुत्र पर प्रकरण की मांग दोहराई। उनका कहना था कि एफआईआर होनी ही चाहिए।

दोबारा हंगामा बढ़ते देख अध्यक्ष ने ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12:00 बजे तक यानि करीब 35 मिनट के लिए स्थगित कर दी। उसके बाद एक घंटे के लिए फिर आधे घंटे के लिये और उसके बाद विधानसभा अनिश्चतकाल के लिये स्थगित कर दी गई।

कांग्रेस की आपत्ति नए नियमों को लेकर है
1- नए नियमों के तहत विश्वास प्रस्ताव उसी दिन लाया जा सकेगा, जिस दिन का प्रस्ताव होगा वहीं अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विपक्ष को पूर्व नोटिस देना होता है।

2- नए नियमों में वीआईपी की सुरक्षा के खर्च को लेकर जानकारी देना अनिवार्य नहीं होगा। विस अध्यक्ष का कहना है कि आखिर जानकारी देने की ज़रुरत क्यों है?

3- कांग्रेस का आरोप है कि नए नियमों की आड़ में सरकार मनमानी कर रही है। रामपाल सिंह के मामले में चर्चा नहीं की गई?

4- कांग्रेस ने आसंदी की मर्यादा तोड़ने के आरोप भी विधानसभा अध्यक्ष पर लगाए।

हालांकि अब सत्र के अवसान के बाद सारे आरोप धरे रह गए लेकिन विपक्ष ने इस अविश्वास प्रस्ताव को विधानसभा के इतिहास में दर्ज करा दिया है।

कल की ही भांति आज भी कई विभागों की अनुदान मांगें और बजट बिना चर्चा के ही पारित कर दिये गये। इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष की तरफ से बराबर नारेबाजी होती रही। अध्यक्ष सदस्यों से बैठने का अनुरोध करते रहे लेकिन उनकी न तो सत्ता पक्ष ने सुनी न ही विपक्ष ने।

 



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