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बुधनी में लोग बोलते नहीं मगर चुनाव सादगी सरलता वर्सेस सादगी सरलता भी है

खास खबर, राज्य            Nov 24, 2018


ममता यादव।
बुधनी में लोग बोलते नहीं हैं बस हाथ से इशारा कर देते हैं। अब आपकी जो मर्ज़ी अर्थ निकाल लो। या तो भाजपा को नहीं लाना है या कांग्रेस को जिताना है।

आप कुछ भी कह लें परम सत्य यही है जनता के मन में क्या है यह जानना अच्छे-अच्छे विशेषज्ञों के वश की बात नहीं है।

कुछेक लोग धीरे से कहते हैं अब परिवर्तन करना चाहते हैं बहुत हुआ। इससे आगे नसरूल्लागंज में सुनने को मिलता है जीत के अंतर में फर्क आ सकता है यानि कम हो सकता है शिवराज सिंह हारेंगे नहीं बदलेगा कुछ नहीं।

बदलना क्यों चाहते हैं सवाल का जवाब आता है काम नहीं हुआ है बस सड़कें बन गईं हैं मुख्य मार्गों पर। आसपास तो हालत अच्छी नहीं है।

इस चुनाव में जाति समाज फैक्टर भी काम नहीं करेगा। लगभग पूरी तरह ओबीसी बाहुल्य वाले इस क्षेत्र में यादवों की संख्या 25 हजार है और किरार, मीणा आदि समाज भी हैं। खुद किरार समाज के लोग इशारे से कहते हैं हम तो अब इन्हें नहीं लायेंगे।

सुना है अब भाजपा नेताओं के जनसंपर्क के दौरान वीडियो रिकॉर्डिंग आदि पर रोक लगा दी गई है, भाजपा वाले भी साथ होंगे तो भी नहीं। कारण मुख्यमंत्री की पत्नि और बेटे के विरोध के वीडियो वायरल होना।

तभी एक सज्जन आते हैं और कहते हैं आप मीडिया वाले एकतरफा रिपोर्टिंग दिखाते हो गोदी मीडिया है जीतू पटवारी का वीडियो तो दिखाते हो कार्तिकेय का क्यों नहीं?

इस पर हमारा जवाब होता है हमें तो कोई नहीं बख्शता क्योंकि बतौर पत्रकार हम किसी को नहीं बख्शते। दरअसल असल और पूरा मीडिया टीवी को ही मान लिया गया है।

राहुल गांधी की सभा में अच्छी खासी भीड़ के बाद कांग्रेस इसे ऐतिहासिक बताती है और बाहर कुछ लोग कहते हैं 2-4 सैकड़ा तो भाजपाई थे सभा में। एक बात जो मैंने नोटिस की बुधनी में चुनाव व्यक्तिगत सादगी,सरलता वर्सेस सादगी सरलता भी है।

शिवराज सिंह मुख्यमंत्री तो हैं मगर वे व्यक्तिगत तौर पर सहज सरल हैं, यही सादगी अरुण यादव में भी है। मगर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि राहुल गांधी का क्रेज है जनता में।

एक रोचक बात जो यहां देखने को मिली कई लोगों ने ये अनुभव बताया भी कि यहां लोग वैसे तो कहते हैं शिवराज को ही जिताना है मगर जब शराब के नशे में होते हैं तो कहते हैं कांग्रेस को जितायेंगे, जब तक मामा हैं हम विधायक नहीं बन सकते।

पहले मुझे ये मनगढंत लगा लेकिन उदाहरण जल्द ही सामने आ गया जब राहुल गांधी के जाने के बाद सभा स्थल पर एक व्यक्ति भाजपा का गमछा डाले आकर खड़ा हो गया।

भैयाजी नशे में टुन थे, बोले देखिये पुलिस वालों ने हमें भीतर नहीं आने दिया बोले ये दुपट्टा डाले हुये हो। हमें बुरा लगा, पर देखिये दुपट्टा डालने से क्या होता है हम तो कांग्रेस को ही वोट देंगे। तो कांग्रेसी खुश हैं कि दारू के नशे में आदमी सच बोलता है।

बहरहाल कम लिखे को ज्यादा समझिये क्योंकि वक्त कम है और फिलहाल अगली यात्रा की तैयारी है।

तमाम बातें हैं, मुद्दे हैं मसले हैं मगर एक लाईन में जो बात मैं लम्बे समय से कहती आ रही हूं एन्टीइनकंबेंसी का फायदा कांग्रेस को मिलेगा। परिणाम सुई की नोक पर आकर भी अटक सकता है।

बुधनी नसरूल्लागंज से लौटकर



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