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किसान को मौसम ने ठगा, मगर नेताओं अफसरों के चेहरे पर रौनक की आमद

राज्य            Feb 12, 2018


आशीष चौबे।
मध्यप्रदेश में लगातार फसलें ख़राब होने और उचित दाम न मिलने के चलते अन्नदाता हलकान है। क़र्ज़ इतना चढ़ गया कि मज़बूरी फांसी के फंदे तक ले गई। सरकार भाषणों और दावों में अपने आपको किसान हितेषी बताते हुए छलती रही।

पहले तो मौसम ने बेमानी की और फिर फसल बीमा के नाम पर अन्नदाता को ठगा गया। ख़राब फसल के बीमे के नाम पर मरहम लगाने वाली राशि तो छोड़िये इतनी राशि भी न मिली जितना कि प्रीमियम के नाम पर वसू ली गई थी।

किसी किसान को पांच रूपये मिला तो किसी को महज़ पांच सौ। किसान मुख्यमंत्री अपनी सरकार को 'किसानो की सरकार' होने का दम भरते रहे और किसान का दम घुटता रहा।

रबी के सीजन में पिट चुके किसान को इस बार थोड़ा फायदा होने की आशा थी लेकिन, रविवार हुई प्रदेश में ओलावृष्टि ने सारी आशाओं पर पानी फेर कर रख दिया लेकिन नेताओं अफसरों के चेहरे पर रौनक ने आमदगी दे दी है।

 


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