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खेल मंत्री ने किया अवार्डी खिलाड़ियों से सीधा संवाद

स्पोर्टस            Jan 17, 2019


मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के खेल और युवा कल्याण मंत्री जीतू पटवारी ने प्रदेश के अर्जुन, विक्रम, एकलव्य खिलाड़ियों तथा विश्वामित्र पुरस्कार से सम्मानित प्रशिक्षकों और खेल संघों के पदाधिकारियों से खेलों के विकास पर सीधा संवाद किया। उन्होंने कहा कि इस संवाद के माध्यम से प्राप्त महत्वपूर्ण सुझावों पर गंभीरता के साथ अमल किया जायेगा ताकि खिलाड़ियों को प्रोत्साहन मिले और खेलों का विकास हो।

प्रदेश के खिलाड़ी ओलंपिक, एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में भागीदारी करते हैं, तो सरकार उन्हें प्रोत्साहन देगी। जिस तरह अन्य प्रदेशों में करोड़ों रूपए की सम्मान निधि वहां के खिलाड़ियों को उपलब्ध करायी जाती है, उसी प्रकार हमारे खिलाड़ियों को भी प्रोत्साहन की बढ़ी हुई राशि प्रदान की जायेगी।

इसका प्रस्ताव तैयार कर वित्त विभाग को भेजा गया है। खेल मंत्री श्री पटवारी आज टी.टी. नगर स्टेडियम स्थित मार्शल आर्ट हॉल में आयोजित संवाद कार्यक्रम को संबांधित कर रहे थे। कार्यक्रम में प्रदेश भर से आये अर्जुन, विक्रम, एकलव्य खिलाड़ियों तथा विश्वामित्र पुरस्कार से सम्मानित प्रशिक्षकों और खेल संघों के पदाधिकारियों ने प्रदेश में खेलो के विकास के लिए महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किये।

खेल मंत्री ने टी.टी. नगर में आयोजित खिलाड़ियों से सीधे संवाद में कहा कि मैंने कभी किसी भी खिलाड़ी के लिये चयन प्रक्रिया में न तो दखल दिया है, न कभी किसी की सिफारिश की है। हाल ही में विभिन्न समाचार चैनल में प्रसारित छतरपुर की बेसबाल खिलाड़ी द्वारा लगाए गए आरोप के संबंध में जानकारी देते हुए खेल मंत्री ने कहा कि इस प्रकरण पर मैंने जाँच के आदेश दे दिए हैं। दोषी पाये जाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि मैं न सिफारिश करता था, न करता हूँ और न कभी सिफारिश करुँगा।

मंत्री श्री पटवारी ने खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करते हुए बताया कि ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेताओं को 3 करोड़, रजत विजेताओं को 2 करोड़ और कांस्य विजेता को 1 करोड़ रूपए की राशि दिये जाने का प्रस्ताव है। प्रतिभागिता करने पर कम से कम 10 लाख रूपए प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाएंगे। एशियन गेम्स के स्वर्ण पदक विजेताओं को 2 करोड़, रजत को 1 करोड़ और कांस्य विजेता को 75 लाख रूपए की राशि दिया जाना प्रस्तावित है। प्रतिभागिता करने पर कम से कम 5 लाख रूपए प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाएंगे।

राष्ट्रमंडल या एशियन इंडोर गेम्स के स्वर्ण पदक विजेताओं को 50 लाख, रजत विजेताओं को 30 लाख और कांस्य विजेता को 20 लाख रूपए और प्रतिभागिता करने पर 2 लाख रूपए प्रोत्साहन स्वरूप दिया जाना प्रस्तावित किया गया है। दक्षिण एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेताओं को 6 लाख, रजत विजेताओं को 4 लाख और कांस्य विजेताओं को 3 लाख रूपए तथा प्रतिभागिता करने पर 1.50 लाख रूपए प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।

राष्ट्रमंडल, एशियन या अन्य अंतराष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक विजेताओं को 4 लाख, रजत को 3 लाख और कांस्य विजेता को 2 लाख रूपए की राशि, प्रतिभागिता करने पर 1 लाख रूपए प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाने का प्रस्ताव है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय खेलों में दलीय विधा में स्वर्ण पदक विजेताओं को 6 लाख, रजत को 4 लाख और कांस्य विजेता को 3 लाख रूपए, अधिकृत राष्ट्रीय चैंपियनशिप में मप्र के मूल निवासी या खेल विभाग द्वारा संचालित अकादमियों के अधिकृत खिलाड़ियों को पदक जीतने पर व्यक्तिगत एवं दलीय विधा में स्वर्ण पदक विजेताओं को 2 लाख, रजत को 1.50 लाख और कांस्य विजेता को 1 लाख रूपए की राशि दिये जाने का प्रस्ताव है।

श्री जीतू पटवारी ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर के खेलों में लगातार भागीदारी के बाद भी किसी खिलाड़ी को नौकरी नहीं मिल पाती है, तो सरकार का यह प्रयास होगा कि किसी खिलाड़ी के साथ अन्याय न हो। उसके लिए न्यूनतम कारगर व्यवस्था की जाएगी। खिलाड़ियों की राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भागीदारी पर उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके अलावा पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को शानदार पारितोषिक के रूप में प्रोत्साहन राशि को बढ़ाया जा रहा है। देश में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए खिलाड़ी को प्रशिक्षण हेतु राशि रू. 1.00 लाख अथवा वास्तविक (जो कम हो), जिसमें खिलाड़ी का आना-जाना, भोजन, आवास, प्रशिक्षण एवं चिकित्सा व्यय सम्मिलित होगा, उपलब्ध कराई जावेगी।

यह पहला अवसर है कि खेलों के विकास और खिलाड़ियों के हित में अवार्डियों और खिलाड़ियों से सीधे संवाद कर सुझाव लिए गए। कार्यक्रम में उपस्थित अवार्डियों और खिलाड़ियों द्वारा संवाद कार्यक्रम की मुक्तकंठ से सराहना करते हुए खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री पटवारी की इस पहल का स्वागत किया गया। खिलाड़ियों का मानना है कि संवाद रूपी इस खेल महाकुंभ के माध्यम से खेल नीति तैयार कर खिलाड़ियों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकेंगे।

 



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