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बुंदेलखंड में बलात्कार के बेशर्म आंकड़े, पढ़ाई छूटने के डर से छेड़खानी की शिकायत नहीं करतीं बच्चियां

खास खबर, वामा            Aug 14, 2017


छतरपुर से धीरज चतुर्वेदी।

महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में मध्यप्रदेश नंबर 1 है। इसमें भी बंदेलखंड इलाके के आंकड़े शर्मनाक हैं। आलम यह है कि छेड़खानी की शिकार हुई बच्चियां घर में इस डर से शिकायत तक नहीं करतीं कि परिवार वाले कहीं उनकी पढ़ाई ही न छुड़वा दें।

बेटी बचाओ-बेटी बढाओ, महिला सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण इत्यादि सभी बाते नारो और भाषणो तक सीमित होते दिखते है। इसी वर्ष पिछले छह माह में बुंदेलखंड के सागर संभाग में महिला प्रताडना के आंकड़े शर्मसार कर देने वाले हैं। प्रतिदिन 18 महिलायें अत्याचार का शिकार होती हैं। वहीं प्रतिदिन एक महिला की आबरू लूटी जाती है। रोज तीन महिलाओं के साथ छेड़खानी की घटनायें दर्शाती हैं कि पुलिस महकमा कलयुगी भीष्म बना हुआ है।

यूं तो पूरा मध्यप्रदेश बलात्कार के मामलों में पहले पायदान पर रहने का दुर्भाग्य लिख चुका है। बुंदेलखंड में भी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर घटनायें कचोटने वाली हैं। खासकर बलात्कार के मामलों में कमी की कोई उम्मीद नजर नहीं आती। सागर संभाग के पांच जिलों में 1 जनवरी से 30 जून के बीच 202 मामले बलात्कार के दर्ज हुये। अव्वल नंबर पर सागर जिला रहा जहां 78 अपराध पंजीबद्ध हुये। वहीं दूसरे नंबर पर छतरपुर में 46 बलात्कार की घटनायें पुलिस रोजनामचों में दर्ज हुई। टीकमगढ़ में 45, दमोह में 21 और पन्ना जिले में मात्र 12 बलात्कार की घटनायें हुई। प्रतिदिन के हिसाब से आंकलन किया जाये तो इन छह माह यानि 181 दिनों में रोज ही एक महिला बलात्कार का शिकार हुई। इसके बाद भी महिला सुरक्षा का दम भरा जाये तो क्या यह भाषणों का मुद्दा बनकर नहीं रह गया।

शायद ही ऐसी कोई महिलायें खासकर युवतियां होंगी जो छेडखानी का शिकार ना बनी हों। सागर संभाग में छेड़खानी के भयभीत कर देने वाले आंकड़े हैं। इस साल छह माह में 594 महिलायें छेड़खानी का शिकार बनी। सागर जिले में 246, छतरपुर में 137, टीकमगढ में 92, दमोह में 75, और पन्ना जिले में 44 मामले पुलिस की चैखट तक पंहुचे। यह तो वह मामले हैं जो पुलिस रोजनामचों में दर्ज हुये। उन मामलों का तो आंकड़ा ही नहीं होगा जिसमें युवतियां स्कूल, कोचिंग जाते समय छेड़खानी का शिकार होने के बाद भी अपना मुंह नहीं खोल पातीं। सामाजिक लज्जा के कारण इन युवतियेा के परिजन मामलो को थाने तक नही पंहुचा पाते और खून का घूंट पीकर रह जाते हैं। इस संदर्भ में युवतियों का यह भी कहना है कि उनके साथ रोज ही छेड़खानी होती है, लेकिन अगर मामले को तूल दिया तो उनकी शिक्षा प्रभावित हो जायेगी। हो सकता है कि परिजन स्कूल, कालेज, कोचिंग जाना बंद करवा दें। घर से बाहर निकलने पर बहुत कुछ सहना पड़ता है अगर जीवन में आगे बढ़ना है।

लच्छेदार भाषण, मंच पर महिलाओं का सम्मान के साथ सशक्तिकरण का दम, लेकिन हकीकत तो कुछ ओर ही बयां करती है। सागर संभाग में पिछले छह माह यानि जनवरी से जून 2017 के बीच 3324 अपराध महिला प्रताड़ना के दर्ज हुये। जिलेवार सागर में 243, टीकमगढ में 169, दमोह में 92, छतरपुर में 88 और पन्ना जिले में 28 प्रकरण महिला विरूद्ध अत्याचार के पंजीबद्ध हुये। आंकडे बताते है कि कोई महिना ऐसा नही होता जब 500 से 600 के बीच महिला अत्याचार के अपराध दर्ज ना हुये हो। इन अपराधों में अपहरण, मारपीट सहित अन्य अपराध शामिल है जिसमें महिला प्रताडना की संलिप्तता होती है।

विज्ञापनो की दुनिया में बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओ-बेटी पढ़ाओ के नारे दफन से होकर रह गये हैं। सुनने में यह अच्छा लगता है लेकिन सच्चाई यह है कि बेटियों की सुरक्षा सवालों के घेरे में है। ग्रामीण अंचलो में कम उम्र में लड़कियो की शादी का फैसला करने वाले परिजन इसी असुरक्षा से ग्रसित होते हैं। सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम बेसलाईन सर्वे 2014 के अनुसार 79.2 प्रतिशत लडकिया हाईस्कूल के पूर्व ही पढाई छोड देती है। बुंदेलखंड में यह औसत ओर बढ जाता है। कहा जा सकता है कि बेटियो के प्रति भयभीत होना ही प्रमुख कारण जिससे कम उम्र में ही बेटियो की शादी करने के लिये परिजन मजबूर हो जाते हैं। यह सब सुरक्षा से जुडा मुद्दा है। महिलाओ के साथ छेडखानी और बलात्कार के बढते आंकड़ों ने सरकार की निभया पुलिसिंग पर सवाल अंकित कर दिये हैं। क्या यह महज सरकारी कागजी खानापूर्ति के लिये है। सुनकर आश्चर्य होगा कि निर्भया पुलिस की शायद ही कोई ऐसी उपलब्धी जिससे उसे शबासी मिल सके।


द्वापर में भीष्म पितामाह की चुप्पी के कारण भगवान कृष्ण को द्रोपदी की लाज बचानी पडी थी। भीष्म की खामोशी के पीछे तो उनकी प्रतिज्ञा थी। कलयुग में तो वह पुलिस भीष्म पितामाह का रूप धारण किये है जो वर्दी पहनने के पूर्व देशभक्ति जनसेवा की शपथ लेती है। जिसे कृष्ण बनना चाहिये वह भीष्म की अवधारणा को धारित किये है। तभी तो महिलाओं पर अत्याचार के मामले पुकारते है कि कोई तो कृष्ण आयेगा।

 



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