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एक बार खुद के लिए लोगों से बुरा बनकर देखिये,खुद का स्थाई होना मायने रखता है

वीथिका            Jan 12, 2018


संजय शेफर्ड।
हम कितने मासूम होते हैं। बड़े हो जाते हैं पर कभी बड़े होते ही नहीं। एक अच्छी खासी उम्र जी लेने के बाद भी हमें पता ही नहीं होता है कि हमारा दोस्त कौन है? दुश्मन कौन? इसीलिए हर बार हम हारते हैं, इसीलिए हर बार हम टूटते हैं, इसीलिए अच्छे होते हुए भी बुरे या फिर संदिग्ध नज़रों से देखे जाते हैं।

माना कि शक करना बुरा है लेकिन सबके लिए अच्छा बने रहना तो और भी बुरा है। दुश्मनी अच्छी नहीं पर बेवज़ह की दोस्ती तो और भी खतरनाक होती है।

हम कभी सोचते ही नहीं कि हमें क्या पसंद है? हम क्या चाहते हैं? हमारी अपनी चाहत क्या है? दूसरों की पसंद को ही अपनी पसंद मान लेते हैं। एक बार सोचकर देखिये कि आप कौन से व्यक्तित्व को जी रहे हैं? आपका अपना कोई व्यक्तित्व है भी कि नहीं।

ज़ाहिर सी बात है आप खुश नहीं हैं, आपके इस व्यवहार से वह लोग भी खुश नहीं हैं जिनके लिए आप कदम-कदम पर कॉम्प्रोमाईज करते रहे हैं। फिर आपकी यह अच्छाई किस काम की है? और एक बार बुरा बनने में भी क्या हर्ज है? एक बार अपने अच्छे के लिए लोगों से बुरा बनकर देखिये।

दोस्त, दोस्त होते हैं। परिचित, परिचित होते हैं। परिवार, परिवार होता है। रिश्ते रिश्ते होते हैं। प्यार प्यार होता है और कुछ लोग कुछ नहीं होते। सिर्फ कह देने मात्र से कोई अपना नहीं हो जाता है। सबके हिस्से में कुछ प्यार और जिम्मेदारियां होती हैं उन्हें पूरा करना होता है। सबकी अलग-अलग कुछ अर्थपूर्ण परिभाषाएं हैं जिनका वक़्त-बेवक्त निर्वहन करना होता है। जो लोग कुछ नहीं होते वह सचमुच में कुछ नहीं होते, उन्हें कोई नाम मत दो।

जिन्दगी यही है, सच और खुरदरा बने रहना। अपनी जिन्दगी खुद चुनना। अपनी जिन्दगी जीना। उधार का व्यक्तित्व, उधार के लोग, उधार के दोस्त कभी लम्बे समय तक नहीं ठहरते। लोगों का क्या है ? लोग आते जाते रहते हैं, हम स्थाई बने रहते हैं। हमारा खुद का स्थाई होना मायने रखता है।

आप उसी की परवाह करिए आपका परवाह करना जिसके लिए मायने रखता हो। आप उसके सामने आंसू बहाइये जिसे आपके आंसू अर्थपूर्ण लगते हों। आंखों में जो आंसू बनकर ठहर जाये वह अपना होता है, और जो टूटकर बिखर जाए वह पराया।

टूटिये, टूटकर बिखरिये। जरुरत पड़े तो रोइये, चिखिये, चिल्लाइये। बस खुद से प्यार करना मत छोड़िए। यह सारे आपके मानवीय गुण हैं और इस बात का सबूत भी कि आप जिन्दा हैं।

अपनी छाती में हाथ डालकर टटोलिये कि आप कहीं मर तो नहीं गए? यह जो डेढ़ सौ ग्राम का दिल आपकी बाईं छाती में धड़क रहा है वह आपका ही है कि किसी और का? किसी को रखना ही है, किसी को अपना ही बनाना है तो दाईं छाती तो खाली ही है? उसे पूरा स्पेस दीजिए।

यह दाईं छाती बहुत ही सुरक्षित होती है क्योंकि, यहां कोई दिल नहीं होता, यहां कोई धड़कन नहीं होती, यहां कोई टूटने बिखरने का डर नहीं होता, यहां मौत नहीं होती है। इसीलिए जिसे आप प्यार करते हैं उसे अपनी दाईं छाती में रखिये ताकि वह अपनी सांस से सांस ले सके। अपनी धड़कन से आपमें धड़क सके। आपके टूटने, बिखरने, नहीं होने के बाद भी जिन्दा रह सके।

आप इसलिए नहीं हैं कि कोई आये और आपकी जिंदगी को रौंदकर चला जाए, आप इसलिए हैं कि आप अपने आपका सम्मान कर सकें। अपनी जिन्दगी, अपने उन अपनों का सम्मान कर सकें जो वर्षों वर्षों से आपकी आंखों में आंसू बनकर ठहरे हुए हैं। आप उनकी परवाह कर सकें जो आपकी परवाह करते हैं। हो ना हो वह अच्छे ना हों, हो ना हो वह खूबसूरत ना हों, हो ना हो उनकी बातें आपको अच्छी नहीं लगती हों, पर इतना भी क्या कम है कि वह आपसे प्यार करते हैं। वह आपके एक भी आंसू को टूटकर जमीन पर नहीं गिरने देते। आप गिरते हैं और वह आपको थाम लेते हैं …
हमें सच्चाई के साथ जीने के लिए थोड़ा नर्म, बहुत ज्यादा खुरदुरा होना होता है।

किताबनामा।

 


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