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स्किल बड़ा या हार्डवर्क यानि मँगरू चोर के सवाल पर दरोगा को ही भागना पड़े

वीथिका            Oct 12, 2018


राकेश कायस्थ।
झँगरू एक अत्यंत परिश्रमी चोर था। उठाईगीरी हो या सेंधमारी किसी काम को छोटा नहीं समझता था। अपना हर काम पूरी निष्ठा से करता था। रोज नंगे बदन पर तेल चुपड़कर और भगवान का नाम लेकर काम पर जाता था। इसके बावजूद अक्सर पकड़ा जाता था। बेचारे को छूटने के लिए कभी रिश्वत तो कभी माफीनामा देना पड़ता था।

झँगरू  ने पूरे जीवन में परिश्रम की पराकाष्ठा की लेकिन उसका करियर वहाँ नहीं पहुँच पाया, जहाँ तक पहुँचना चाहिए था। लेकिन झँगरू के बेटे मँगरू की कहानी अलग है।

चौर्यकर्म में पूरे शहर में उसके नाम का डंका बज रहा है। दिन-दहाड़े ताला तोड़ता है लेकिन मजाल कि कोई कुछ बिगाड़ सके। कहते हैं कि उसने इतनी साधना की है कि चोरी उसके लिए एक आध्यात्मिक यात्रा बन गई है।

मॅंगरू एक बार किसी शोरूम का ताला तोड़ रहा था। संयोग से पेट्रोलिंग करते दरोगा जी वहाँ पहुँच गये। कोई कच्चा चोर होता तो सिर पर पैर रखकर भाग खड़ा होता लेकिन दरोगा जी देखते ही उसने शांत भाव से पूछा— सत्तर साल में क्या हुआ है? सवाल सुनते ही पसीने से तर-बतर दारोगा जी उल्टे पाँव लौट गये।

दारोगा जी एक बार फिर टकरा गये। ताला तोड़ने के बाद मँगरू सामान टेंपो में भरने वाला था। दारोगा जी ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। मँगरू ने मंत्र पढ़ा— नेहरू का पूरा खानदान चोर।

यह सुनते ही दारोगाजी ने डंडा वहीं छोड़ दिया और टेंपो पर माल लादने में हाथ बँटाने लगे। अब कहीं भी दिन-दहाड़े चोरी की खबर मिलती है तो दारोगा जी रास्ता बदल लेते हैं, क्योंकि उन्हे मालूम है कि जरूर मँगरू ही होगा।

मोराल ऑफ द स्टोरी-- जीवन में सफलता सिर्फ हार्डवर्क से नहीं मिलती है। स्किल का होना भी उतना ही ज़रूरी है।

 



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