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आशु की चकरघिन्नी:एक पन्त, काज कई!

खरी-खरी            Mar 05, 2016


5 मार्च। प्रदेश के मुखिया की सालगिरह। अरमानों की तरन्ग चरम पर। छोटे, बड़े, बुजुर्ग, नए, पुराने, राजधानी के, यहाँ से बाहर के, गांव, शहर कस्बे के, पदों पर बैठे, पदों का सुख भोग चुके या पदों की लालसा लिए हर शख्स को अपनी सक्रियता, आत्मीयता, प्यार, दुलार लुटाना है। सबकी अलग मन्शा, सबका अलग तरीक़ा। शहर के चौक-चौराहों से लेकर गलियों तक माहौल गर्माने लगा है। हर शख्स अपनी हैसियत और "चाहत" के मुताबिक पोस्टर, बैनर, प्रोग्राम के इन्तजाम में लग गया है। बड़ी सुविधा के रुप में हासिल हुए सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं अभी से परोसी जाने लगी हैं। कुछ आयोजन कल रात तय हो चुके (इनमें नए भाजपाई हुए अमजद अन्जुम का मन्गलवारा में कव्वाली का मुकाबला भी शामिल है) और दर्जनों कार्यक्रम परसों करने की तैयारी शुरू हो चुकी। एक खास बात और पोस्टर वीरों ने "शिव" को खुश करने के बीच "महाशिव" का त्यौहार भी अतिरिक्त लाभ के रुप में मना लिया। पुछल्ला सालगिरह "भय्या" की, शिकन "भाई" के माथे पर शहर के पहले नागरिक के सिर तिहरी भूमिका और जिम्मेदारी है। पहली, भैया के करीबी भाई, दूजे सन्गठन की जिला जिम्मेदारी और फिर शहर सरकार के अगुआ। भाई ने शहरभर के पार्षद से लेकर मण्डल अध्यक्षों को गुरुवार को अपने बँगले पर जमा किया। मस्त ठन्डा पानी और गर्मागरम आलूबडा एवं चाय के साथ थमाइ ताकीद। सालगिरह समारोह को सेवा दिवस के तौर पर मनाने राजधानी की हर गली किए जाएं आयोजन, मदद के लिए शहर सरकार से लेकर प्रदेश सरकार तक तैयार है। सरकारी खर्च पर आयोजन की श्रृंखला का काउंट डाउन शुरु हो चुका है।


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