नाईक के वीडियो सालों से यूट्यूब पर थे, क्या मेनस्ट्रीम मीडिया सोई हुई थी
खरी-खरी, मीडिया
Jul 14, 2016
जगदीश वर्मा ‘समन्दर’।
इस्लामिक तकरीरों को लेकर मुस्लिम धर्मगुरू डॉ. जाकिर नाईक के जिन वीडियो के आधार पर न्यूज चैनल रोजाना सनसनीखेज खबरें परोस रहे हैं वे वीडियों पिछले पिछले कई सालों से यूटयूब पर मौजूद थे। बांग्लादेश में मारे गये आतंकियों से जाकिर की इन प्रेरणादायी तकरीरों के कनेक्शन की खबरों के बाद ही जाकिर साहब भारतीय मीडिया की नजरों में क्यों चढ़े? यह बड़ा सवाल है। क्या इससे पहले मैनस्ट्रीम मीडिया सोई हुई थी।
छोटे से वीडियो को आधार बनाकर एक घंटे का शो बना देने वाले समाचार चैनलों को इससे पहले हिन्दुस्तान से हो रहा ये दुष्प्रचार क्या दिखायी नहीं दे रहा था। यू ट्यूब पर मौजूद जाकिर नाईक के एक-एक वीडियो को देखोगे तो पता चलेगा कि हिंन्दुस्तान में रहकर कितने खतरनाक तरीके से सनातन धर्म के देवी देवताओं की धज्जियॉं उढ़ाकर ईस्लामी विचारधारा मजबूत की जा रही है। भारत में पैसे के लालच में हिन्दु से ईसाई धर्म परिवर्तन और उसके बाद हिन्दु संगठनों द्वारा उनकी घर वापसी के समाचार सुर्खियां बनते हैं। लेकिन क्यूं हैरानी नहीं होती जब लाईव कार्यक्रम के दौरान हिन्दुस्तान में ही डॉ. नाइक जैसे धर्मगुरू सैकड़ों गैरमुस्लिमों को एक कलमा पढ़ा कर मुस्लिम धर्म में परिवर्तित करा देते हैं। ऐसे कार्यक्रम के लिये राज्य सरकारें डॉ. नाईक को बाकायदा मैदान उपलब्ध कराती आयी हैं । पीस टीवी पर हजारों लोगों के सामने वेद, उपनिषद, गीता, जैसे हिन्दु शास्त्रों को कुरान से कमतर साबित कर किसी भी अन्य धर्म के लोगों को कलमा पढ़ाकर मुस्लिम बनाये जाने के वीडियो क्या धर्म परिर्वतन के सबूत नहीं देते हैं।
जाकिर नाईक के अनुयायियों के अनुसार वह सर्वधर्म सद्भाव के विचारों से शांति फैलाता है । लेकिन यूट्यूब पर मौजूद उनके वीडियों बताते हैं कि वह सनातन धर्म सहित दुनियॉ ंके सभी धर्मों के खिलाफ माहोल बनाने का कार्य कर रहा है। अन्य धर्मों से इतर ईस्लाम को ही दुनियॉं का एकमात्र अच्छा धर्म साबित करना नाईक का मुख्य उद्देश्य है। कानूनन अपने धर्म का प्रचार-प्रसार गलत नहीं है लेकिन नाईक ईस्लाम के प्रचार से ज्यादा दूसरे धर्मों के बारे में दुष्प्रचार करते नजर आते हैं। हजारों लोगों के सामने वह कृष्ण से लेकर हिंदुओ की परम्पराओं, प्रथाओं और मूर्तिपूजा तक का मजाक उड़ाता है।
उसकी तकरीरें मुस्लिम कट्टरपंथियों को बेहद पसन्द आती हैं।नौजवान लड़के उन्हें धर्मगुरू मानकर ईस्लाम को पूरे विश्व का धर्म बनाने की प्रेरणा ले रहे हैं। हिन्दुस्तान में रहकर नाईक यहाँ से ज्यादा विश्व के अन्य देशों में चर्चित हैं हालांकि भारतीय मीडिया की खबर वह ढाका में हुये हमले के बाद बना है। पड़ोसी देश से ही खबर आयी कि वे युवा आतंकवादी जाकिर के विचारों से प्रेरित थे, जिन्होंने इस्लाम का कलमा ना सुनाने पर 22 गैरमुस्लिमों की जान ले ली। इससे सक्रीय हुई भारतीय इंटेलीजेंस और मीडिया में जाकिर को लेकर अब नये खुलासे हो रहे हैं। जाकिर के यूट्यूब वीडियों की जॉंच हो रही है तो भारत में उनके पीस चैनल को ‘बैन’ किये जाने की संभावना है।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह पर जाकिर की एक सभा में शामिल होकर उन्हें शांतिदूत की उपाधि देने का आरोप लग रहा है। विरोधी पार्टी को उनहोंने इत्ता सा जवाब दिया कि राजनाथ सिंह भी विवादस्पद साध्वी प्रज्ञा की सभा में गये थे। शायद उन्हें नहीं मालूम कि जाकिर के एक कार्यक्रम में हिन्दुओं के एक कथित शंकराचार्य स्वामी देवानंद सरस्वती ने बाकायदा इस्लाम के सदके में कसीदे पढ़े थे और जाकिर को इंसानियत का पुजारी बताया था। उक्त कथित शंकराचार्य महोदय (बाद में इन पर कई आरोप लगे कि यह फ्रॉड शंकराचार्य हैं) ने डंके की चोट पर कहा कि अगर कोई हिंदू कुरान का पहला कलमा ही पढ़ ले तो उसकी सारी भक्ति पूरी हो जायेगी। इस प्रशंषागान में उन्होनें कहा कि हिन्दु धर्म तो कोई धर्म ही नहीं है। वाकई नहीं है, एक विचारधारा है लेकिन यह विचारधारा इंसानों को प्रेम करना सिखाती है। दूसरे धर्मों का आदर करना सिखाती है, सनातन धर्म के नाम पर दूसरे धर्मों को मानने वालो को बेइज्जत और काफिर करने की सीख नहीं देती। कथित शंकराचार्य का यह वीडियो जाकिर के चेलो नें धुआंधार शेयर किया हुआ है। यह भी किसी दिन खबरों में दिखायी दे जायेगा ।
इस कड़ी में फिलहाल ये सवाल है कि भारतीय मीडिया एैसे सवेंदनशील मुद्दों को तब ही क्यों दिखाती है जब पूरा सच सबके सामने खुदबखुद आ जाता है। जब उस सच के छुपने की गुंजायश ही नहीं रह जाती, तब कौन सा तीर मारा जाता है। बड़े चैनलों में जाकिर अब ‘खबर’ है लेकिन दो साल पहले ही सुदर्शन जैसे कुछ छोटे चैनलों में नाईक के जहरीले विचारों पर बाकायदा श्रंखलाबद्ध स्टोरी चलायी गयीं । तब क्या एबीपी न्यूज, आज तक आदि चैनलों को नाईक के नापाक विचारों में कोई दुर्गन्ध नजर नहीं आयी थी ? मैनस्ट्रीम मीडिया पर जाकिर के हिन्दुविरोधी और आतंक समर्थित जो बयान अब प्रमुखता से दिखाये जा रहे हैं, सुदर्शन चैनल पर तीन साल पहले ही इस पर श्रंखलाबद्ध गंभीर चर्चा की जा चुकी है। बड़े आश्चर्य की बात लगती है कि सबसे ज्यादा जागरूक और जगाने की जिम्मेदारी उठाने वाले लोगों को यह तक पता नहीं चला कि जाकिर के पीस टीवी को हिन्दुस्तान में प्रसारण की अनुमति ही नहीं है। इसके बावजूद वह धल्लड़े से देखा और दिखाया जा रहा है।
https://www.youtube.com/watch?v=ZqN0jxu1-wc&feature=youtu.be
उधर लोगों का एक सवाल ये है कि कोई हिन्दु संत जरा सा सांई का विरोध कर दे या मंदिर र्निमाण को जरूरी बता दे तो मीडिया के लिये वह विवादास्पद बयान बन जाता है। लेकिन हिन्दुस्तान की सरजमीं से पूरे विश्व के सामने सनातन धर्म और हिन्दु देवी देवताओं के अस्तित्व से लेकर चरित्र तक पर प्रश्न लगाकर लाईव मखोल उड़ाया जाता है तो उसमें मीडिया को कोई विवादस्पकता नजर नहीं आती, क्यों ? क्या इससे दंगे भड़कने की गुंजाइश नहीं है । इस्लाम के एक पैगम्बर का कार्टून बना देने पर ही अमन के पुजारियों ने फ्रांस में कत्लेआम से पूरी दुनिया को डरा दिया कि खबरदार जो हमारे धर्म के बारे में कुछ भी उल्टासीधा कहा या सोचा तो । लेकिन हिन्दु समुदाय के कृष्ण, शिव, गणेश, गीता, उपनिषद, वेद आदि पर स्वतंत्रतापूर्वक लांछन लगाये जा रहे हैं । क्या इस पर लगाम नहीं लगनी चाहिये । क्या जाकिर की ये तकरीरें बहुत पहले ही खबर नहीं बननी चाहिये थीं । एैसा नहीं है कि किसी को कुछ पता नहीं होता, सब जानते हैं लेकिन एैसी स्टोरीज तय वक्त के लिये उठाकर रख ली जाती हैं।
खैर, फिलहाल डॉ. जाकिर नाईक का नाम टीवी चैनलों की टीआरपी का सबब बना हुआ है । उनके टीवी चैनल और वक्तव्य सभाओं पर प्रतिबन्ध की तैयारी है। अपनी तकरीरों में नाईक महाराज मुस्लिम समाज का वन्दे मातरम कहना गलत बताते हुये यहॉं तक कहते आये हैं कि अगर कोई देश एैसा कानून लागू करे जो इस्लाम विरोधी हो तो मुस्लिम नागरिकों को उसे नहीं मानना चाहिये, चाहे इसके लिये सरकार के खिलाफ ही क्यूं ना जाना पड़े।
हालांकि अभी तक वह मानते हैं कि फिलहाल भारत में ऐसा नहीं है। ऐसी स्थिति में उन पर कानूनी बंदिशें क्या रंग दिखा सकती हैं यह तनावपूर्ण सवाल हो सकता है। राजनैतिक पार्टियों ने भी इस मुद्दे में आरोप-प्रत्यारोप करना शुरू कर दिया है। भाजपा से खबर आयी है कि जाकिर की शिकायतों की एक फाईल 2008 में ही कांग्रेस सरकार को दे दी गयी थी लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी। मुस्लिम समाज भी जाकिर को लेकर दो फाड़ है। इस मामले में सरकार का रवैया क्या रहता है यह समय बतायेगा। लेकिन मीडिया इस मामले को कितनी दूर तक खींचता है यह देखना भी कम दिलचस्प नहीं रहेगा।
भड़ास4मीडिया से साभार
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