श्रीप्रकाश दीक्षित
लगता है मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मीडिया मालिकों और पत्रकारों को जेब मे रखने का कोई मौका नहीं गँवाना चाहते हैं। लेपटाप की लालीपाप के बहाने पत्रकारों को 40-42 हजार रुपये देने की स्याही अभी सूखी भी नहीं थी की मालिकों और पत्रकारों को खुश करने के लिए सरकार गाजे बाजे के साथ बीमा योजना लेकर आ गई..! गाजे-बाजे के साथ इसलिए क्योंकि इसका ऐलान लाखों-लाख रुपये फूँक कर अखबारों मे आधा पेज विज्ञापन छपवा कर किया गया..! मालिक इसलिए खुश हैं की जो ज़िम्मेदारी उनकी थी उसे करने को सरकार आगे आ गई है।
यदि मुख्यमंत्री वाकई में पत्रकार हितैषी हैं तो उन्हें प्रदेश के सभी मीडिया संस्थानों में बीमा के साथ मजीठिया वेतनमान लागू कराने के लिए कठोर कार्रवाई करनी थी। मजीठिया वेतनमान लागू करने मे अखबार मालिकों कि नानी मरी जा रही है और इससे बचने के लिए शर्मनाक हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। इसे लागू कराने पर मीडिया मालिक कुपित हो जाते और व्यापमं की बदनामी के दौर मे उनसे पंगा लेना शिवराजजी के बूते में नहीं है। मालिकों को पटाए रखने का उन्हें फायदा भी मिल रहा है और प्रदेश के कमोवेश सभी अखबार और लोकल किस्म के चैनल उनका साथ दे रहे हैं। व्यापमं घोटाले को देश भर में प्रचारित करने में राष्ट्रीय मीडिया, खासकर न्यूज़ चैनलों की बड़ी भूमिका रही है। यह जरूर है कि कई चैनलों ने भोपाल संवाददाता पर भरोसा ना कर घोटाले के कवरेज के लिए दिल्ली से रिपोर्टर भेजे थे..!
स्टाफ के लिए स्वास्थ्य और बीमा जैसी कल्याणकारी योजनाएँ चलाने की जवाबदारी संबंधित संस्थान की होती है। इसलिए मीडिया की सभी शाखाओं के स्टाफ के बीमा की ज़िम्मेदारी अखबार या चैनल की है ना कि सरकार की। सरकार की नियत में खोट इससे नजर आ जाता है कि केवल मीडिया संस्थानों में काम करने वाले पत्रकारों के लिए बीमा योजना शुरू की गई है..! जबकि वहाँ विज्ञापन, सर्कुलेशन और प्रिंटिंग आदि महत्वपूर्ण शाखाएँ भी होती हैं। उन्हें मालिकों के रहमोकरम पर क्यों छोड़ दिया गया, इसका खुलासा करने की जरूरत नहीं है। मीडिया के प्रति मुख्यमंत्री के अनुराग और सॉफ्ट कॉर्नर को देखते हुए हमें आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए यदि शिवराज जी मजीठिया लागू करने के लिए मीडिया मालिकों को अनुदान देने की घोषणा कर दें..!
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