मल्हार मीडिया ब्यूरो।
नई दिल्ली। सरकार का महत्वाकांक्षी कर सुधार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) शुक्रवार मध्यरात्रि को संसद के केंद्रीय सभागार में लागू हो गया। एक देश, एक कर, एक बाजार के सिद्धांत पर आधारित इस कर को उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी.देवगौड़ा, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, वित्त मंत्री अरुण जेटली, सांसदों, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों, राज्यों के वित्त मंत्रियों और केंद्र एवं राज्य सरकारों के अधिकारियों की उपस्थिति में लागू किया गया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साथ बटन दबाकर जीएसटी को लागू किया। 14 वर्षो के विचार-विमर्श के बाद लागू जीएसटी में 17 छोटे-बड़े करों को समाहित किया गया है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसद के केंद्रीय सभागार से अपने संबोधन में कहा कि "जीएसटी का लागू होना देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण क्षण है। यह ऐतिहासिक क्षण उस 14 वर्ष की यात्रा की समाप्ति है, जो दिसंबर 2002 में शुरू हुई थी। जब केलकर टास्क फोर्स ने मूल्य वर्धित कर सिद्धांत के आधार पर एक समग्र वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का सुझाव दिया था।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के केंद्रीय सभागार में जीएसटी लांच करते हुए कहा कि "हम देश के उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने पर विचार कर रहे हैं। हम जीएसटी के लांच के साथ आज मध्यरात्रि से एक नया अध्याय शुरू करने जा रहे हैं, जो किसी एक पार्टी या सरकार की उपलब्धि नहीं है बल्कि यह सामूहिक विरासत है। यह हमारे सामूहिक प्रयासों का नतीजा है।"
इस अवसर पर केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि "हम आज देश की एक महत्वपूर्ण यात्रा के लिए इकट्ठा हुए हैं। हम जीएसटी के लांच के साथ इतिहास रचने की प्रक्रिया में हैं।"
उधर विपक्षी दलों ने जीएसटी को केंद्र सरकार के प्रचार का हथकंडा बताया हैं। इस कार्यक्रम से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी दूरी बनाए रखी। बता दे कि कार्यक्रम का कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनत दल (आरजेडी), डीएमके और वाम दलों ने बहिष्कार किया। वही जीएसटी के प्रावधानो पर असमंजस और दुविधा की स्थिती के चलते व्यापारीयों ने 30 जून को भारत बंद का अाव्हान किया एवं देशभर में विरोध कार्यवाहीया आयोजित की।
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