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दसवीें पास तीन महीने में बनें पत्रकार,500 रुपया देने पर मिलेगी स्पेशल ट्रेनिंग

मीडिया            Sep 02, 2015


yashvant-singhयशवंत सिंह अगर आप ये सोच कर पत्रकारिता में स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई में वक्त बरबार कर रहे हैं कि आप एक अच्छे पत्रकार बन जायेंगे तो जरा इस इस विज्ञापन पर नजर डाल लीजिये जो कह रहा है कि यदि आप दसवीं पास हैं तो सिर्फ तीन महीने में पत्रकार बनें। जी हां! ये दावा है एक विज्ञापन का। विज्ञापन में बताया गया है कि उन्हें तीन महीने में क्या—क्या सिखाया जाएगा ताकि पत्रकार बन सकें। साथ ही पांच सौ रुपये अलग से देने पर उन्हें क्या अलग ज्ञान दिया जाएगा? सोचिए! दसवीं पास अगर तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद पत्रकार बन गया तो वह क्या देश समाज को दिशा देगा और सच्चाई को क्या कितना समझ पाएगा? जिनको खुद अपने ज्ञान को अपडेट करने की जरूरत है, वही जब पत्रकार बनकर सही गलत का फैसला करेंगे तो जाहिर तौर पर उनका दकियानूसी माइंडसेट आम जन और समाज का बहुत नुकसान करेगा। दसवीं पास पत्रकार बनने का यह विज्ञापन आजकल सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है और लोग पत्रकारिता के गर्त में गिरने को लेकर चिंता जता रहे हैं। असल में पत्रकारिता शिक्षा के नाम पर इन दिनों हर कोई अपनी जेब भर रहा है। लुट रहे हैं आम घरों के नौजवान जो मीडिया के ग्लैमर के चक्कर में गली गली खुले संस्थानों के प्रलोभनों दावों वायदों में फंस कर लाखों रुपये गंवा बैठते हैं और बाद में दर दर भटकने को मजबूर हो जाते हैं। कोई छोटा न्यूज चैनल हो या बड़ा, कोई छोटा अखबार हो या बड़ा, सब के सब मीडिया स्कूल चला रहे हैं और बच्चों को फंसाकर उनका पैसा, समय और जीवन बर्बाद कर रहे हैं। इसी तर्ज पर अब कमाई के चक्कर में कुछ ऐसे धंधेबाज आ गए हैं जो दसवीं पास को पत्रकार बनाने लगे हैं। अभी तो गनीमत है कि ये दसवीं पास को पत्रकार बनाने का दावा कर रहे हैं। कल को कुछ लोग दसवीं फेल, आठवीं फेल को पत्रकार बनाने का दावा लेकर आ सकते हैं और लोग धड़ल्ले से पैसे देकर पत्रकार बनने के लिए लालायित भी हो जाएंगे। गांवों से लेकर शहरों तक के युवाओं को ये लगता है कि अगर वे पत्रकार बन गए और उन्हें पत्रकार होने का कार्ड मिल गया तो बड़े आराम से पुलिस ले लेकर अफसर नेता मंत्री सबसे मिल लेंगे और गाड़ी पर प्रेस लिखाकर खुद को पत्रकार कहते हुए भीड़ में अलग दिखेंगे व कई तरह के लाभ हासिल कर लेंगे। ऐसे छोटे—मोटे प्रलोभनों के कारण मीडिया स्कूल की ढेर सारी दुकानें खुल रही हैं जिसमें प्रेस कार्ड बेचा जा रहा है। लेखक भड़ास4मीडिया के संपादक हैं। साभार


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