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पुरूस्कार लौटाने वालों को पांचजन्य ने बताया बुद्धि के स्वयंभू ठेकेदार, कहा नेहरू मॉडल के अनुयायी

मीडिया            Oct 13, 2015


मल्हार मीडिया ब्यूरो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र पांचजन्य ने हाल में सम्मान लौटाने वाले लेखकों को 'बुद्धि के स्वयंभू ठेकेदार' क़रार दिया है और उन्हें 'सेकुलर ग्रंथि से पीड़ित' बताया है। दिल्ली से सटे दादरी में अखलाक नामक व्यक्ति की हत्या और उससे पहले कन्नड़ विद्वान कलबुर्गी की हत्या के विरोध में अनेक साहित्याकारों ने उन्हें अपने सम्मान लौटा दिए हैं। इससे पहले हिंदी लेखक उदय प्रकाश के साहित्य सम्मान लौटाने से शुरु हुए सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए मंगलवार को पंजाबी की जानी मानी लेखिका दलीप कौर टिवाणा ने भी पद्मश्री सम्मान केंद्र सरकार को लौटाने की घोषणा की है। पांचजन्य के संपादकीय में इन लेखकों को ‘नेहरू मॉडल’ का अनुयायी क़रार दिया गया है। संपादकीय में लिखा गया है कि देश को चाहे जो शासन पसंद हो, इन्हें 'नेहरू मॉडल' से इतर कुछ स्वीकार नहीं। वही नेहरू जिन्होंने 1938 में जिन्ना को लिखे पत्र में गोहत्या करना मुसलमानों का मौलिक अधिकार माना था। कांग्रेस का शासन रहने पर गोहत्या जारी रखने का वचन दिया था। पांचजन्य के संपादकीय ​में लिखा गया है कि ‘सिख दंगों के दोषियों के हाथों से 'सम्मानित' होने में ये बुद्धिजीवी आहत नहीं हुए। अल्पसंख्यक की सेकुलर परिभाषा सिर्फ एक वर्ग तक सिमटी है। संपादकीय में इन लेखकों पर समान मामलों में दो तरह की नीति अपनाने का आरोप भी लगाया गया है। इस संपादकीय में यह भी लिखा गया है कि कश्मीर के विस्थापित हिन्दुओं के लिए इनके मुंह से एक बोल न फूटा था। क्योंकि इनके हिसाब से हिन्दुओं के मानवाधिकार जैसी कोई चीज़ होती नहीं है।


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