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सहारा का मीडिया कारोबार हुआ बंद, हजारों पत्रकार हुये बेरोजगार

मीडिया            Jul 14, 2015


मल्हार मीडिया डेस्क सहारा समूह की बुनियाद अब कमजोर होने लगी है आलम ये है कि इस बहु-व्यापारिक कंपनी का अपना मीडिया कारोबार बंद हो गया है। अंग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी खबर के मुताबिक, सहारा के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ग्रुप के टेलिविजन नेटवर्क व प्रेस बंद हो गए हैं और कर्मचारी समूह छोड़कर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह एक याचिका दायर करने वाले हैं, जिसमें समूह को हो रही मुश्किलों का जिक्र होगा और यह भी बताया जाएगा कि कैसे समूह के लिए न्यायालय द्वारा सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की जमानत की कठिन शर्तों का पालन करना मुमकिन नहीं होगा, लेकिन सेबी के वकील अरविंद दातार ने सिब्बल को सहारा के उस दावे की याद दिलाई, जिसमें उसने सिर्फ ऐंबी वैली का ही मूल्यांकन 47,000 करोड़ रुपए होने की बात कही थी। सहारा ने दावा किया था कि वह अपना सारा बकाया चुका देगा। सुब्रत रॉय उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के अनुसार सेबी को बकाया नहीं चुकाने के कारण पिछले साल मार्च से तिहाड़ जेल में बंद हैं। मामले की अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी। police-at-sahara-office रिपोर्ट में कहा गया है कि परिसर पर ताला जड़ा देखकर उसके कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिस पर काबू पाने के लिए पुलिस बुलानी पड़ी। समूह के कुछ कर्मचारी जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं। समूह के मनोरंजन चैनलों का परिचालन व फिल्म निर्माण कारोबार देखने वाली कंपनी सहारा वन मीडिया ऐंड एंटरटेनमेंट के शेयर आज दिन भर के कारोबार के दौरान 3 फीसदी टूटकर 71 रुपए पर बंद हुआ। इसके अतिरिक्त समूह हिंदी में पांच समाचार चैनलों का परिचालन करता था, जो सहारा समय ब्रैंड के तहत उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान की क्षेत्रीय खबरों का प्रसारण करते थे। इसके अतिरिक्त समूह आलमी समय नाम से उर्दू चैनल का भी परिचालन करता था। समूह की वेबसाइट के अनुसार उसके प्रमुख हिंदी दैनिक राष्ट्रीय सहारा के 43 संस्करण थे और इसका प्रकाशन 7 केंद्रों से होता था। समूह रोजनामा राष्ट्रीय सहारा नाम से दैनिक उर्दू समाचार पत्र का भी प्रकाशन करता था, जिसके 15 संस्करण थे। दुनिया भर में समूह के 96 ब्यूरो और 2308 संवाददाता थे। इस बारे में सहारा के प्रवक्ता ने तुरंत कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। इस बीच अदालत में अप्रत्याशित ढंग से समूह की गोरखपुर संपत्ति की बोली लगाई गई। गोरखपुर रियल एस्टेट डेवलपर्स ने 45 एकड़ जमीन के लिए अधिकतम 150 करोड़ रुपए की बोली लगाई। इस जमीन की मूल खरीदार समृद्घि बिल्डर्स ने भी बोली बढ़ाकर 150 करोड़ रुपए कर दी। अदालत ने दोनों पक्षों को इसकी एक चौथाई रकम सेबी-सहारा के खाते में 31 जुलाई तक जमा करने का आदेश दिया। दोनों पक्षों ने बाकी रकम तीन समान किस्तों में 31 अक्तूबर तक चुकाने पर भी सहमति जताई। साभार एस4एम


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