मुंबई में 5 साल में तीन गुना बढ़े रेप,उत्पीड़न के मामले
वामा
Dec 09, 2015
मल्हार मीडिया ब्यूरो
मुंबई में वर्ष 2010-11 से अब तक यानी 5 सालों में रेप और उत्पीड़न जैसे अपराधों में तीन गुना वृद्धि हुई है। शहर के एक एनजीओ की ओर से कराए गए सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। इस नए रिपोर्ट के बाद मुंबई में महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं। प्रजा फाउंडेशन एनजीओ के संस्थापक निताई मेहता ने सर्वेक्षण रिपोर्ट के हवाले से बताया कि वर्ष 2014 में 2013 के मुकाबले रेप के मामलों में 49 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वहीं, उत्पीड़न-छेड़खानी के मामले 39 प्रतिशत बढ़े।
वर्ष 2010-11 से अब तक रेप एवं उत्पीड़न जैसे अपराधों में तीन गुना वृद्धि हुई है। शहर के एक एनजीओ की ओर से कराए गए सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह नतीजे सामने आए हैं। इससे महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा हो गया है।
प्रजा फाउंडेशन एनजीओ के संस्थापक और प्रबंध न्यासी निताई मेहता ने सर्वेक्षण रिपोर्ट के हवाले से बताया कि वर्ष 2014 में 2013 के मुकाबले रेप के मामलों में 49 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वहीं, उत्पीड़न-छेड़खानी के मामले 39 प्रतिशत बढ़े।
उन्होंने कहा, यदि चार साल के अंतराल में देखा जाए, तो वर्ष 2010-11 से 2014-15 के बीच रेप के मामलों में 290 प्रतिशत और उत्पीड़न-छेड़खानी के मामलों में 247 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2010-11 में रेप के 165 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2014-15 में इनकी संख्या 643 हो गई।
मेहता ने बताया कि एक अन्य बड़ा मुद्दा रेप मामलों में दोषी ठहराए जाने का है। सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2014 में ऐसे मामलों में 27 प्रतिशत को सजा हुई, जबकि पिछले साल ब्रिटेन में यह प्रतिशत 57 था। हालांकि, चेन छीनने की घटनाओं में पिछले सालों के मुकाबले वर्ष 2014-15 में 44 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। इसके अलावा, वाहन चोरी और दंगों में वर्ष 2013-14 के मुकाबले 2014-15 में गिरावट दर्ज की गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, बीते चार साल में शहर में कुल अपराधों में कमी आई है, लेकिन वर्ष 2013-14 के मुकाबले 2014-15 में हत्या के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है।
एनजीओ ने सर्वेक्षण में विभिन्न विषयों शहर में लगभग 22,850 लोगों से सवाल पूछे थे। इनमें दक्षिण मुंबई के लगभग 51 प्रतिशत लोगों ने माना कि वह सबसे ज्यादा अपराध का सामना कर रहे हैं। यहां लोग मानते हैं कि उनकी महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सुरक्षित नहीं है। इनमें करीब 75 प्रतिशत लोगों ने अपराध के संबंध में पुलिस से संपर्क किया, जिसमें 53 प्रतिशत लोग पुलिस के काम से संतुष्ट नजर आए। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस में 11 प्रतिशत स्टाफ की कमी है। हालांकि, पुलिस उपायुक्त धनंजय कुलकर्णी इस कमी को 1.35 प्रतिशत बताते हैं।
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