बुंदेली व्यंग्य:तेल गओ तेल लैवे

वीथिका            Feb 01, 2016


shirish-pandeyश्रीश पांडे पनवाड़ी कछु खुर्रयाने से बड़बड़ाउत अपनो सजीलो सो पान को डिब्बा खोलई रये हते कि उते से प्यारे 'मॉर्निंग वाक’ पे निकरे...जैसई पनवाड़ी खां 'गुड मार्निंग’ कई सो पनवाड़ी तनक और खुर्रया उठे कान लगे काय की 'गुड मार्निंग’ प्यारे! कैसी 'गुड मॉर्निंग’! 'गुड़ मॉर्निंग’ तो ससुरी सरकार की हो रई और उनके पल्लू में बंधो उद्योगपतियन की। हमाई-तुमाई भटा है गुडमॉर्निंग। प्यारे ने कई 'काय खौं बड़े सौकाउं झल्ला रये तुम।’... का हो गयो कौनउ ने उधारी नई दई या उधारी मार दई। पनवाड़ी बोलो- अरे! नई प्यारे पेट्रोल डीजल की गिरतीं कीमतन से घरवाई ने पिरसन्न हो के कई कि नई न सई, कौनउ छोटी सी 'सेकेंड हैंड’ कार लै लो। कब लो ई खटारा मोटरसाईकिल में हमे बैठाउत रैहो। उमर हो चली तुमाई और हमाई। ऊपर से हमाई मांगाई सी बढ़त मोटाई कौनउ दिना तुमाओ बैलेंस बिगाड़ न दे और हमे तुम दै पटको। सो प्यारे हम सोई सोचन लगे हते कि तेल रोज-रोज फिसल रओ सो जेई मौका है कि घरवाई को शौक पूरो कर दें। उये कार में बिठार कें कौनउ दिना 'लॉग ड्राईव’ कर लें, करा दें। काय से लगत तो कि पैट्रोल के दाम 20-30 रुपईया लीटर लो आ जैहें। petrol-cost-cartoon मतलब पांच पान की कीमत में एक लीटर तेल और ऐई से कार लैवो को मन बनाउत हते। लेकिन प्यारे तनक उम्मीद बनी हती कि केन्द्र और मध्यप्रदेश की सरकारन ने जीवो हराम कर दओ है। पैलां यूपीए सरकार जा कहत हती कि तेल की कीमतें ईसे बढ़ रईं कि खाड़ी देश से आवे बारो 'क्रूड ऑलय’ मांगो है, सो वे मजबूर हैं...यूपीए के पिरधानमंत्री मनमोहन सिंह तो तन, मन दोउ से कमजोर हते। वे दस साल देश के पिरधानमंत्री रये पै कबउं नई लगो कि वे कैसउ मजबूत हों। दस बरस तक दस जनपथ से जैसी चाबी भरी गई वे उसईं चलत रये। ऐई से जनता ने उबया कें 56 ईंच के सीना बारे मोदी खां ताज सौंप दओ कि लो तुमई कछु करौ-धरौ। किस्मत से खाड़ी देशन में तेल हड़पे को युद्ध छिड़ गओ और बगदादी एंड कंम्पनी ने तेल खां औने-पौने दाम में बेंचबो शुरु करो सो देश में कीमतें कछु कम भईं, लेकिन जित्ती होने हतीं, उत्ती नईं भईं काय! ऊपर से रोज-रोज लगबे बारो नओ-नओ टैक्स तेल की कीमतन खां नैचें आबे नईं देत। सरकार खुलेआम कै रई कि ईसे उये फायदा हो रओ। सुनो हतो लोकतंत्र में प्यारे सरकारें फायदा के लाने काम नई करतीं वे तो बेई करतीं जीमें जनता को फायदा हो। लेकिन गुजरात को कौनउ नेता होय उए हर काम में फायदा देखबे की आदत होत। प्यारे कान लगे पनवाड़ी तुम पान को ठेला चलाउत तुमें कछु अर्थव्यवस्था को ज्ञान है कि जा कैसे चलत। सरकार खां सब्सिीडी बांटने, मुआवजा देने, बुलेट ट्रेन चलाउने, स्मार्ट सिटियां बनाउने और जौन-जौन ने चुनाव में सहयोग करो हतो उये कमाबे को मौका देने और इन सब के नाए रुपया चाउने कि नईं। सो तेल के दाम गिरबे बाद टंगे हैं और बीच की रकम जमा कर रये बा इनई सबके काम आउने। हो सकत तुम ठीक कै रैये, पै प्यारे हमाय और घरवारी के सपने को का हुइये। तेल गऔ तेल लैबे हमाई अपनी जा काम चलाऊ मोटरसाइकिलई ठीक है। लेखक मध्यप्रदेश जनसंदेश के संपादक हैं


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