बुंदेली व्यंग्य:"हमाय दलित तुमाय दलित"

वीथिका            Feb 09, 2016


shirish-pandeyश्रीश पांडे दलित...दलित और दलितन पे सरकारें, नेता-नपाड़ी और 'फेसबुकिया एक्टिविस्ट’ एक दूसरे की ऐसी-तैसी करबे पे उतर आए देख कें... पनवाड़ी सोचन लगे कि- देश में दलितन के सिवा औ कोउ नईंया का। जिए देखो बोेई दलित...दलित चिल्लया रओ। चाये कौनउ पार्टी के होंए, रट लगाएं बैठीं कि दलितन के असली रखबारे बेई हैं। ऐसो लगत कि प्यारे दलित पे चर्चा न हो गई देश में आपातकाल सो लग गओ। जैसे अपनो देश केवल दलितन को होय और दलित देवता से बाकी सबरे दानव से होंए। विकास, गरीब, किसान, बेरोजगार सबरन खां एक कोदाईं करकें जो कछु बचो है तो वे 'ओनली’ दलित हैं। पनवाड़ी ने कई- 'काय प्यारे जा तो बताओ कि जे आए दलित कित्ते से? कब से हैं? और काय से अब लो दलितई बने रै गए? 70 सालें तो आजादी आए गुजर गए। सरकारन की सबरी योजनाएं इनई के लाने बनतीं रईं, बन रईं और बनत राने, लेकिन देश से दलित नई पटाने।’ प्यारे कहन लगे- 'इने कबउं नईं पटाने है, काय से जब लो देश में दलित हैं तब लो राजनीति की रोटी दलित के तवा पे सिंकत राने। दलित तो सबरे दलन को ऐसो विटामिन है जीके सेवन से हर दल के नेता 'ए टू जेड’ सुख भोग रए।’ बेचारे वेमुला ने मारे दुखन कें अपनी जान दे दई हती और लिख गए हते कि हमाई मौत को दोषी कोऊ नइयां औ वे तो अपने मन से मरे रये। फिन का हतो, दलितन के चायबे बारे मनमानी पे उतर आये। हाय वेमुला..हमाओ वेमुला...खामोखां नासपीटी सरकार के आदमियन ने उए मार डारो, हत्यारी है सरकार। वेमुला तो अपनी 'च्वॉइश’ से परलोक सिधारे, पे बेअटकर की बातें और कानाफूसी खूब चर रई, अखबारन में लेख लिखे जा रय, चिंता ऐसे जाहिर हो रई जैसे सबको बापई मर गओ होय। सोशल मीडिया पे 'ओनली वेमुला’ पे लाईक कमेंट लए-दए जा रये। पनवाड़ी ने मौं में भर आओ पान के रस की लम्म्म्म्म्म्म्बी सी पिचकारी एक कोंटे में मारी और अंगौछे से मौं पौंछ के मोदी के स्वच्छता अभियान की बऊ कर दई। फिर नओ सवाल दागो कि- काय प्यारे अपने संविधान ने सबखां बराबर मानों, लेकिन नेतन की जमात ने अंग्रेजन की साजिशन में फंस के हिन्दुअन के समाज खां इतने टुकड़न में बांटो दओ कि अब लो सम्भरो नईं सम्हरओ। नेता अपनी चांदी काट रये। काय से लोकतंत्र में वोट योग्यता से नईं, संख्या से मिलत। चाये कित्तऊ पढ़े-लिखे होंय, चाये अनपढ़ वोट की कीमत उत्तई राने। ऐई से देश में सबरी पार्टियन ने अपने-अपने वोट बैंकन को ऐसो मायाजाल रच कें दलितन, पिछड़न, अदिवासियन, मुसलमानन खां चेताओ कि अगर देश में सुरक्षित रैने तो उनखों दलितन के कॉपी राईट वाले दल खां वोट करने परहे। नई ता सबको बाजो बज जाने। प्यारे ने कई कि मोदी जी ने दलित वोटन को 'इम्पोरटेंस’ समझो। और झट्टईं बाबा साहब खां इज्जत बख्शी, उनके शरणागत भये और दलितन खां अपनी पार्टी में शामिल करो। काय से जब 35 परसेंट वोटन में सरकार बन जात और दलितन को वोट जब देश को आधो मतलब 16 परसेंट होए तो फिन सरकारें, विपक्ष सबरे दलितन के नाए स्वांग करबे से कहां चूकबे बारे। काय से दलित की तंग गली से दिल्ली की सत्ता को राजपथ निकरत है। ऐई देश में नेतन नापड़ियन के बीच हमाय दलित तुमाय दलित की लठमलठ मचो पनवाड़ी


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