संजय जोशी 'सजग'
हमारा देश अभियानों से चलता है अभियान सक्रियता का अहसास दिलाते है कि देश में इनके माध्यम से कुछ अच्छा कर गुजरने की लालसा प्रकट होती है पर विडंबना यह है कि सब शो ऑफ की चमक में अपने मूल उद्देश्य से कोसों दूर हो जाते है और शो ऑफ बनाम शो गेम बन कर मीडिया का भोजन बन जाते है और इन अभियानों के लाइव दर्शनों को को इतना दिखाया और झिलाया जाता है कि अभियान की मूल भावना उपेक्षा की शिकार हो जाती है और शो ऑफ सबसे ऊपर आ जाता है ।
सुबह-सुबह मेरे घर की कॉल बेल बजी मैंने दरवाजा खोला तो सामने एक समाज सेवी कम नेता अधिक जो कॉलोनी में रहते है व मित्र भी है अपने बेग में से निकालकर दो तीन तरह की ड्रेस दिखाते हुए बोले मैं और मेरी घरवाली ड्रेस तय नहीं कर पा रहे है तो हेल्प कीजिये प्लीज । मैंने कहा यह तो निजी मामला है वे बोले नहीं इक अभियान में जाना है इस लिए तो समस्या है ,फोटो और वीडियो क्लिप में कुछ अलग दिखना चाहिए ताकि अपने चाहने वाले अलग से पहचान लें । मैंने उन्हें कहा कि आपको क्या कमी है ?हर अभियान के लिए नई ड्रेस बनवा लिया करें ,वे बोले कितनी बनवाये देश में सब काम अभियान के तहत ही होते है कुछ -न कुछ रोज ही चलता रहता है , मैंने पूछा कि अभियान महत्वपूर्ण है या ड्रेस वे बोले अभियान तो लोग बाग़ चलाते रहेंगे ,सब काम हम ही कर लेंगे तो जनता को कन्फ्यूज करने का महाअभियान कौन करेगा ?, और ये फोटो शोटो ,वीडियो क्लिप हमारी तरक्की में योगदान देते है यह नहीं हो तो हम क्या दिखाए ,जब सीट मांगने जाए हम भी जनता से जुड़े हुए है ,मैंने कहा सही है यह सब ही तो सीमेंट गारे का काम करती है जोड़ने के लिए । जितना शो ऑफ करेंगे उतना ही तो हम ऊपर जाने जायेंगे।
मैंने कहा कि मुझसे पूछने आये और संम्मान दिया उसके लिए मैं आपको ब्लू कलर वाली ड्रेस का सुझाव देता हूँ इसलिए कि इसमें फोटो अच्छा आएगा । वे अति प्रसन्न होते हुए जाने लगे और कहने लगे कि अब इसके अनुरूप जूते ,चश्में का जुगाड़ करना पड़ेगा क्या करें ? हमारे दल में ही शो आॅफ़ करने की प्रतियोगिता का माहौल है यहां जैसे खरबूजे को देख कर खरबूजा रंग बदलता है और हर कोई अपने आप को अनूठा समझता है । जब अच्छे -अच्छों के फोटो बिगड़ जाते है पर अपन तो इसमें फरफेक्ट हैं या यूँ कहे कि हम फोटो छाप है हमारा तो आना ही है ।
उनके जाने बाद मैंने सोचा कि वाकई शो ऑफ का जमाना है जिसने नहीं किया उसने जीवन में क्या किया ?जिसने नहीं किये ये करम उसके फूटे करम । आजकल शो ऑफ करना एक कला है करने वाला कलाकार है नहीं करता ,बेकार है या कलमकार है ,बचपन से पचपन तक शो ऑफ करने की होड़ मची है । माहौल देख कर लगता है, चाहे हम कुछ नहीं करेंगे हम केवल शो ऑफ करेंगे ,शो ऑफ करेंगे ।
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