मल्हार मीडिया ब्यूरो।
खाद्य पदार्थो की कीमतें बढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित देश की महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर 3.59 फीसदी रही है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, संशोधित आधार वर्ष 2011-12 के आधार पर अक्टूबर में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) 3.59 फीसदी रहा, जो सितंबर में 2.60 फीसदी था।
इन आंकड़ों पर भारतीय कॉरपोरेट जगत ने कहा कि मुद्रास्फीति में तेजी की उम्मीद पहले से ही थी, जिसका प्रमुख कारण मांग में तेजी और कच्चे तेल समेत अन्य वस्तुओं की कीमतों में हुई वैश्विक वृद्धि है। साथ ही यह कहा कि नीति निर्माताओं को चुनौतियों का सामना करने के लिए सुधारात्मक उपाय करने चाहिए।
विभिन्न खंडों के आधार पर प्राथमिक वस्तुओं की अक्टूबर में महंगाई दर 0.15 फीसदी बढ़कर 3.33 फीसदी रही, जिसका डब्ल्यूपीआई में 22.62 फीसदी भार है।
खाद्य पदार्थो की कीमतें साल-दर-साल आधार पर अक्टूबर में 4.30 फीसदी हो गईं, जो सितंबर के दौरान 2.04 फीसदी थीं। प्याज के थोक मूल्य सूचकांक में 127.04 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि आलू की कीमतें 44.29 फीसदी घटीं।
अक्टूबर में कुल मिलाकर सब्जियों की कीमतों में 36.61 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 11.84 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी।
आंकड़ों के मुताबिक, गेहूं की कीमत साल-दर-साल आधार पर अक्टूबर में 1.99 फीसदी कम रही, जबकि दालों की कीमतों में 31.05 फीसदी की कमी आई।
प्रोटीन आधारित खाद्य पदार्थो जैसे अंडा, मांस और मछली में समीक्षाधीन माह में 5.76 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
समीक्षाधीन माह में ईंधन और बिजली की कीमतों में 10.52 फीसदी की तेजी दर्ज की गई।
एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा, "नीति निर्माताओं को उद्योग द्वारा पेश की जा रही चुनौतियों पर सुधारात्मक कार्रवाई करनी चाहिए, जिसमें बढ़ती ब्याज दरें, दोहरे बैलेंस शीट, सीमित निवेश क्षमता और अन्य चुनौतियां शामिल हैं।"
उन्होंने यह भी कहा कि डब्ल्यूपीआई के आंकड़ों में तेजी से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा, जिससे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना घट जाएगी, क्योंकि आरबीआई ने पहले ही भविष्य में महंगाई को लेकर चिंता जताई है।
फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा, "अक्टूबर में थोक और खुदरा दोनों कीमतों में तेजी दर्ज की गई है। सब्जियों के साथ खाद्य पदार्थो की कीमतों में तेज वृद्धि रही। हालांकि यह प्रतिकूल मौसम की वजह से हैं। आनेवाले महीनों में स्थितियां सुधरेंगी।"
उन्होंने आगे कहा, "फिक्की यह दोहराना चाहता है कि वर्तमान परिदृश्य में केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्रास्फीति का लक्ष्य निर्धारित करना सही नहीं होगा। विनिर्माण क्षेत्र वापस पटरी पर लौटता दिख रहा है और यह महत्वपूर्ण है कि इसे सभी नीतिगत स्तर से समर्थन दिया जाए। ब्याज की उच्च दरें उद्योग के लिए अभी भी चुनौती बनी हुई हैं।"
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