मल्हार मीडिया ब्यूरो।
मोदी सरकार के नोटबंदी के जरिए देश के नकली नोटों की समस्या को खत्म करने के सरकारी दावे इस खबर से फेल होते दिख रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने स्वीकार किया है कि नोटबंदी के बाद से बैंकों को मिले नकली नोटों की संख्या का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। इस संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता अनिल वी गलगली ने एक आरटीआई दाखिल कर इसकी जानकारी मांगी थी। दाखिल आरटीआई के जवाब में आरबीआई के मुद्रा प्रबंधन विभाग (जाली नोट सतर्कता प्रभाग) ने कहा, “अभी हमारे पास इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।” भारतीय रिजर्व बैंक ने साफ कहा है कि बैंकों में जमा किये गये 500, 1000 रुपये के चलन से वापस लिये गये नोटों में नकली करेंसी होने का कोई रिकॉर्ड नहीं है।
गलगली ने आरबीआई से पूछा था कि वह आठ नवंबर से 10 दिसंबर 2016 के बीच जब्त किए गए नकली नोटों, बैंकों के नाम, तारीख आदि की जानकारी साझा करे। हालांकि “आरबीआई ने स्पष्ट कर दिया है कि नोटबंदी के लगभग 11 सप्ताह बाद भी इस संबंध में कोई भी आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। इस तरह नकली नोटों के खिलाफ नोटबंदी को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करने के सरकार के दावे खोखले साबित हुए। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि नकली नोटों की समस्या से निपटने के लिए नोटबंदी मदद करेगी।
गलगली ने कहा, “आरबीआई के जवाब से स्पष्ट है कि सरकार अपने प्रयास में असफल रही है। अब यह प्रधानमंत्री पर है कि वह देश हित में जब्त नोटों की संख्या का ऐलान करें।” रिजर्व बैंक ने मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली द्वारा पूछे गये सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है। आरटीआई में गलगली ने जानना चाहा था कि 10 दिसंबर 2016 तक बैंकों में 500, 1,000 रुपये के चलन से हटाये गये कितने नकली नोट जमा किये गये पर इसके जवाब में रिजर्व बैंक ने कहा कि उसके पास ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
इससे पहले रिजर्व बैंक ने नोटबंदी से पहले बैंक और सरकार के बीच हुये विचार विमर्श के बारे में जानकारी देने से इनकार किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थी। यहां तक कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी नोटबंदी से पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार और वित्त मंत्रालय के साथ विचार विमर्श के बारे में जानकारी देने से इनकार कर किया था।
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