पुण्य प्रसून बाजपेयी।
तो नॉर्दन कमान ने बकायदा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि पुंछ जिले में कृष्णा घाटी सेक्टर में लाइन आफ कन्ट्रोल के दो पोस्ट पर रॉकेट और मोर्टार से पाकिस्तान ने गोलाबारी की, जिसमें एक सेना का जवान और एक बीएसएफ का जवान शहीद हो गया। लेकिन पाकिस्तानी फौज ने भारतीय सैनिकों के शव को क्षत-विक्षत कर दिया। ये ना तो पहली घटना है और हालात बताते हैं कि ये ना ही आखिरी घटना होगी। क्योंकि करगिल युद्द के बाद से पाकिस्तान ने आधे दर्जन से ज्यादा बार जवानों के सिर काटे हैं।
मई 1999 में जवान सौरभ कालिया का सिर काटा, जून 2008 में 2/8 गोरखा रेजिमेंट के एक जवान का सिर काटा। जुलाई 2011 में कुमाऊं रेजिमेंट के जयपाल सिंह अधिकारी और लांस नायक देवेन्द्र सिंह के सर काटे, 8 जनवरी 2013 लांस नायक हेमराज का सिर काटा, अक्टूबर 2016 जवान मंजीत सिंह का सिर काटा। नवंबर 2016 तीन जवानों का शव क्षत-विक्षत किया। और 5 महीने बाद यानी 1 मई 2017 को पुंछ जिले के कृष्णा सेक्टर में दो जवानों के शव के साथ खिलवाड़ किया गया और याद कीजिये 2013 में एलओसी पर लांस नायक हेमराज का सिर कटा हुआ पाया गया था तो उसके बाद संसद में तब की विपक्षी पार्टी जो अब सत्ता में है वह बिफर पड़ी थी और सत्ता में आने पर एक सिर के बदले दस सिर काटने का एलान भी किया था।
तब सभी ने तालियां बजायी थीं, लेकिन उसके बाद तो वही विपक्ष सत्ता में आया और पहली बार 29 सितबंर 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक किया गया। माना गया कि पाकिस्तान को सीख दे दी गई है, लेकिन हुआ क्या? ना सीजफायर थमा, ना आतंकी घुसपैठ थमी, ना सैनिकों की शहादत रुकी, ना पाकिस्तान ने कभी अपना दोष माना। इस दौरान ये सवाल ही बना रहा कि पाकिस्तान को पड़ोसी मान कर युद्ध किया जाये या फिर युद्द से पहले बातचीत को तरजीह दी जाये? या फिर परमाणु हथियारों से लैस पाकिस्तान के साथ युद्ध् का मतलब विनाश तो नहीं होगा।
तो आईये जरा परख ही लें कि ना युद्ध, ना दोस्ती के बीच अटके संबंध में भारत ने क्या और कितना गंवाया है। विभाजन के बाद युद्ध् और बिना युद्ध् के बीच फंसे भारत के जवानों की शहादत कभी रुकी नहीं। कुल 13,636 जवान सीमा पर या फिर कश्मीर में शहीद हो चुके हैं।
लेकिन ये भी देश की त्रासदी है कि इनमें से 7295 जवान तो युद्ध् में शहीद हुये जबकि 6341 जवान बिना युद्ध् ही शहीद हो गये।
इन हालातों को परखें तो पाकिस्तान से तीन युद्ध्। पहला 1965 में हुआ जिसमें 2815 जवान शहीद हुये। दूसरा युद्द 1971 में हुआ जिसमें 3900 जवान शहीद हुये और 1999 में हुये करगिल युद्द के वक्त 530 जवान शहीद हुये। इन तीन युद्धें से इतर भी कश्मीर और पाकिस्तान से लगी सीमाओं के हालातों में कुल शहीद हुये 6341 जवानों में से 6286 जवान आतंकी हमले में शहीद हुये और 55 जवान सीमा पर शहीद हुये। इनमें से 40 जवान एलओसी पर तो 15 जवान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर शहीद हुय़े। यानी युद्ध भी नहीं और दोस्ती भी नहीं, सिर्फ बातचीत का जिक्र और कश्मीर में आतंक को शह देते पाकिस्तान को लेकर दिल्ली से श्रीनगर तक सिर्फ खामोश निगाहों से हालातों को परखते हालात कैसे युद्ध् से भी बुरे हालात पैदा कर रहे हैं। ये इससे भी समझा जा सकता है कि पाकिस्तान का कश्मीर राग वहां की हर सरकार को राजनीतिक ताकत देता है। पाकिस्तान का सीजपायर उल्लंघन वहां की सेना को पाकिस्तानी सरकार से बड़ा करता है। पाकिस्तान से आतंकी घुसपैठ आईएसाई को ताकत देती है।
यानी एक तरफ विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान की चुनी हुई सत्ता हो या सेना या आईएसआई । जब तीनों की जरुरत कश्मीर में हिसा को अंजाम देना है तो फिर भारत के लिये सही रास्ता होगा कौन सा। क्योंकि विभाजन के बाद से पाकिस्तान से हुये हर युद्द में जितने जवान शहीद हुये जितने घायल हुये। जितने नागरिक मारे गये अगर उन तमाम तादाद को जोड भी दे। तो भी सच यही है कि कश्मीर में आंतक के साये 1988 से अप्रैल 2017 तक 44211 मौतें हो चुकी हैं। जिसमें 6286 जवान शहीद हुये। वही 14,751 नागरिक आतंकी हिंसा में मारे गये। जबकि सुरक्षाकर्मियों ने 23,174 आतंकवादियो को मार गिराया।
यानी एक वक्त समूचे कश्मीर को जीतने का जिक्र होता था और अब कश्मीर में आतंकी हिसा पर पाकिस्तान को आतंकी देश कहने से आगे बात बढ नहीं रही है। तो सारे सवाल क्या पाकिस्तान को आतंकी देश कहने भर से थम जायेंगे? क्योंकि कश्मीर के हालात को समझे उससे पहले इस सच को भी जान लें कि 1947 में विभाजन के वक्त भी दोनों तरफ से कुल 7500 मौते हुई थीं, 18,000 घायल हुये थे। लेकिन अब उससे कई गुना जवान बिना युद्ध् के शहीद हो चुके हैं। अब सवाल सिर्फ भारत के गुस्से भर का नहीं है सवाल आगे की कार्रवाई का भी है क्योंकि पाकिस्तान लगातार सीजफायर उल्लंघन कर रहा है। कश्मीर घाटी में लगातार हिंसक घटनाओं में इजाफा हो रहा है।
आलम ये है कि 2017 में पाकिस्तानी सेना 65 बार सीजफायर उल्लघन कर चुकी है। 2016 में 449 बार सीजफायर उल्लंघन की थी। 2015 में 405 बार सीजफायर उल्लंघन किया था। यानी सितंबर 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक का कोई असर पाकिस्तान पर दिखायी नहीं दे रहा है। और उस पर पाकिस्तान का सच यही है कि वह पाकिस्तान की रणनीति के केंद्र में कश्मीर है, और कश्मीर को सुलगाए रखना उसका मुख्य उद्देश्य। यही वजह है कि आतंकवादी और सेना अगर जमीन पर कश्मीर के हालात को बिगाड़ने का काम करते हैं तो कूटनीतिक और राजनीतिक तौर पर सरकार कश्मीर को गर्माए रखना चाहती है।
आलम ये कि सिर्फ 2016 में यानी बीते साल कश्मीर मुद्दे पर चार बार पाकिस्तानी संसद में प्रस्ताव पास हुए। 8 जुलाई को पहला,22 जुलाई को दूसरा, 29 अगस्त को तीसरा और 7 अक्टूबर को चौथा प्रस्ताव पाकिस्तान की संसद में पास किया गया। तो क्या वाकई पाकिस्तान को लेकर भारत के पास कोई रणनीति नहीं है? जो सवाल हर बार युद्ध् को लेकर हर जहन में दशहत भर देता है वह परमाणु युद्ध् की आहट का हो, तो इसका भी सच परख लें। यूं परमाणु बम भारत के पास भी हैं लेकिन भारत का दुनिया से वादा है कि किसी भी युद्ध में पहले परमाणु बम का इस्तेमाल वो नहीं करेगा अलबत्ता दुनिया को पाकिस्तान से इसलिए डर लगता है या कहें कि आशंका रहती है कि कहीं पाकिस्तान परमाणु बम का इस्तेमाल न कर दे।
तो आइए पहले समझ लें कि परमाणु बम का इस्तेमाल हुआ तो क्या होगा। परमाणु विस्फोट विश्लेषण करने वाली साइट न्यूकमैप के मुताबिक अगर पाकिस्तान का 45 किलो टन का सबसे शक्तिशाली परमाणु बम भारत के तीन शहरों दिल्ली-मुंबई और कोलकाता पर गिरता है तो दिल्ली में करीब 3 लाख 67 हजार लोग मारे जाएंगे और 12 लाख 85 हजार से ज्यादा लोग रेडिएशन से प्रभावित होंगे। मुंबई में परमाणु बम गिरा तो 5 लाख 86 हजार लोग मारे जाएंगे और करीब 20 लाख 37 हजार लोग प्रभावित होंगे। कोलकाता में बम गिरा तो करीब 8 लाख 66 हजार लोग मारे जाएंगे और करीब 19 लाख 25 हजार लोग प्रभावित होंगे। जाहिर है ये सिर्फ मौत का आंकड़ा है क्योंकि परमाणु बम का नुकसान तो बरसों बरस पर्यावरण से लेकर बीमारियों के हालात के रुप में शहर को देखना पड़ता है। जैसे हीरोशिमा और नागासाकी को देखना पड़ा है।
लेकिन-दूसरा सच यह भी है कि परमाणु बम से शहर खत्म नहीं हो जाता, क्योंकि अगर पाकिस्तान के पास 100 से 120 परमाणु बम हैं तो भारत के पास भी 90-100 परमाणु बम हैं । लेकिन बारत की सैन्य शक्ति पाकिसातन से कई गुना ज्यादा है। आलम ये कि अमेरिका-चीन-रुस और सऊदी अरब के बाद भारत अपनी रक्षा ताकत बढ़ाने पर सबसे ज्यादा पैसा खर्च करने वाला देश है।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रीसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारी हथियार खरीद के मामले में भारत दुनिया का सबसे बड़ा आयातक देश है और इसने 2012 से 2016 के बीच पूरी दुनिया में हुए भारी हथियारों के आयात का अकेले 13 फ़ीसद आयात किया। दुनिया के 126 देशों मे सैन्य ताकत के मामले में भारत का नंबर चौथा और पाकिस्तान का 13वां है। ऐसे में सच ये भी है कि चाहे परमाणु युद्ध ही क्यों न हो, नुकसान भारत का होगा तो पाकिस्तान भी पूरा खत्म हो जाएगा। लेकिन सवाल यही है कि युद्ध नहीं होगा तो पाकिस्तान से कैसे निपटें-इसकी रणनीति भारत के पास नहीं है।
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